त्याग,समर्पण,संगठन कौशल के आदर्श थे नानाजी देशमुख
अपनी इस सैद्धांतिक टेक पर उन्होंने खुद भी अमल किया। राजनीतिक जीवन से संन्यास के बाद वे आजीवन सामाजिक कार्य करते रहे। मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित नानाजी देशमुख का जीवन सार्वजनिक जीवन में शुचिता के साथ ही समाज सेवा के प्रति अखंड प्रतिबद्धता के लिहाज से हम सबके लिए प्रेरक आदर्श है।
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