जातिवाद के नाम पर उस समय महिलाओं का किस क़दर होता था शोषण
कमला बडोनी
शॉर्ट फिल्म ‘मुलकरम- स्तन कर” (Mulkaram- The Breast tax) सत्य घटनाओं पर आधारित है. योगेश पगारे की ये फिल्म बहुत तेज़ी से वायरल हो रही है. इस फिल्म में बताया गया है कि जातिवाद के नाम पर उस समय महिलाओं का किस क़दर शोषण किया जाता था।
ये है फिल्म मुलकरम- स्तन कर’ की कहानी
19वीं शताब्दी की शुरुआत में केरल (भारत) में निचली जाति की महिलाओं को अपना स्तन ढंकने की अनुमति नहीं थी। यदि ये महिलाएं ऊंची जाति की महिलाओं की तरह स्तन ढंकने का दुस्साहस करती थीं, तो उन्हें ‘मुलकरम’ यानी स्तन कर (ब्रेस्ट टैक्स) देना पड़ता था।
19वीं शताब्दी की शुरुआत में केरल (भारत) में निचली जाति की महिलाओं को अपना स्तन ढंकने की अनुमति नहीं थी। यदि ये महिलाएं ऊंची जाति की महिलाओं की तरह स्तन ढंकने का दुस्साहस करती थीं, तो उन्हें ‘मुलकरम’ यानी स्तन कर (ब्रेस्ट टैक्स) देना पड़ता था।
बहादुर महिला ‘नंगेली’ ने दिलाया महिलाओं को न्याय
दिल को छू लेने वाली ये सच्ची कहानी एक बहादुर महिला ‘नंगेली’ की है, जिसने इस अमानवीय स्तन कर यानी ब्रेक्स टैक्स के ख़िलाफ़ आवाज उठाई। ‘नंगेली’ ने इस कुप्रथा का विरोध करते हुए अपने स्तन ढंकने शुरू कर दिए। बहुत जल्दी ही ये बात फैल गई और ‘नंगेली’ के घर पर स्तन कर का फ़रमान आ गया, लेकिन बहादुर ‘नंगेली’ हार मानने वालों में कहां थी। ‘नंगेली’ ने एक बार फिर इस कुप्रथा का विरोध किया और स्तन ढंकने के अपने तथाकथित जुर्म के कर (टैक्स) के रूप में अपने स्तन काटकर दे दिए।
दिल को छू लेने वाली ये सच्ची कहानी एक बहादुर महिला ‘नंगेली’ की है, जिसने इस अमानवीय स्तन कर यानी ब्रेक्स टैक्स के ख़िलाफ़ आवाज उठाई। ‘नंगेली’ ने इस कुप्रथा का विरोध करते हुए अपने स्तन ढंकने शुरू कर दिए। बहुत जल्दी ही ये बात फैल गई और ‘नंगेली’ के घर पर स्तन कर का फ़रमान आ गया, लेकिन बहादुर ‘नंगेली’ हार मानने वालों में कहां थी। ‘नंगेली’ ने एक बार फिर इस कुप्रथा का विरोध किया और स्तन ढंकने के अपने तथाकथित जुर्म के कर (टैक्स) के रूप में अपने स्तन काटकर दे दिए।
इतिहास से नदारद है बहादुर ‘नंगेली’ का बलिदान
‘नंगेली’ के इस बलिदान के कारण ही ‘स्तन कर’ हमेशा के लिए ख़त्म हो गया. हालांकि इतिहास के पन्नों पर बहादुर ‘नंगेली का ज़िक्र कम ही मिलता है, लेकिन जब भी हम महिला सशक्तिकरण की बात करें, तो हमें महिलाओं के अधिकार के लिए अपनी ज़िंदगी कुर्बान कर देने वाली बहादुर महिला ‘नंगेली’ का ज़िक्र करना नहीं भूलना चाहिए।
‘नंगेली’ के इस बलिदान के कारण ही ‘स्तन कर’ हमेशा के लिए ख़त्म हो गया. हालांकि इतिहास के पन्नों पर बहादुर ‘नंगेली का ज़िक्र कम ही मिलता है, लेकिन जब भी हम महिला सशक्तिकरण की बात करें, तो हमें महिलाओं के अधिकार के लिए अपनी ज़िंदगी कुर्बान कर देने वाली बहादुर महिला ‘नंगेली’ का ज़िक्र करना नहीं भूलना चाहिए।
भारतीय महिलाओं के इतिहास और उनके साथ होने वाले अत्याचार, शोषण, अमानवीय व्यवहार पर इतनी सटीक और भावुक शॉर्ट फिल्म बनाने के लिए ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं योगेश पगारे! आप से आगे भी ऐसे ही बेहतरीन काम की उम्मीद रहेगी।
आप लिंक को क्लिक करिये और देखिए तेज़ी से वायरल हो रही योगेश पगारे की ऑफीशियल शॉर्ट फिल्म ‘मुलकरम- स्तन कर’ (Mulkaram- The Breast tax) https://youtu.be/Bg0h7XM_7zA
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जातिवाद के नाम पर उस समय महिलाओं का किस क़दर होता था शोषणकमला बडोनी शॉर्ट फिल्म ‘मुलकरम- स्तन कर” (Mulkaram- The Breast tax) सत्य घटनाओं पर आधारित है. योगेश पगारे की ये फिल्म बहुत तेज़ी से वायरल हो रही है. इस फिल्म में बताया गया है कि जातिवाद के नाम पर उस समय महिलाओं का किस क़दर शोषण किया जाता था। ये है फिल्म मुलकरम- स्तन कर’ की कहानी
19वीं शताब्दी की शुरुआत में केरल (भारत) में निचली जाति की महिलाओं को अपना स्तन ढंकने की अनुमति नहीं थी। यदि ये महिलाएं ऊंची जाति की महिलाओं की तरह स्तन ढंकने का दुस्साहस करती थीं, तो उन्हें ‘मुलकरम’ यानी स्तन कर (ब्रेस्ट टैक्स) देना पड़ता था। बहादुर महिला ‘नंगेली’ ने दिलाया महिलाओं को न्याय
दिल को छू लेने वाली ये सच्ची कहानी एक बहादुर महिला ‘नंगेली’ की है, जिसने इस अमानवीय स्तन कर यानी ब्रेक्स टैक्स के ख़िलाफ़ आवाज उठाई। ‘नंगेली’ ने इस कुप्रथा का विरोध करते हुए अपने स्तन ढंकने शुरू कर दिए। बहुत जल्दी ही ये बात फैल गई और ‘नंगेली’ के घर पर स्तन कर का फ़रमान आ गया, लेकिन बहादुर ‘नंगेली’ हार मानने वालों में कहां थी। ‘नंगेली’ ने एक बार फिर इस कुप्रथा का विरोध किया और स्तन ढंकने के अपने तथाकथित जुर्म के कर (टैक्स) के रूप में अपने स्तन काटकर दे दिए। इतिहास से नदारद है बहादुर ‘नंगेली’ का बलिदान
‘नंगेली’ के इस बलिदान के कारण ही ‘स्तन कर’ हमेशा के लिए ख़त्म हो गया. हालांकि इतिहास के पन्नों पर बहादुर ‘नंगेली का ज़िक्र कम ही मिलता है, लेकिन जब भी हम महिला सशक्तिकरण की बात करें, तो हमें महिलाओं के अधिकार के लिए अपनी ज़िंदगी कुर्बान कर देने वाली बहादुर महिला ‘नंगेली’ का ज़िक्र करना नहीं भूलना चाहिए।भारतीय महिलाओं के इतिहास और उनके साथ होने वाले अत्याचार, शोषण, अमानवीय व्यवहार पर इतनी सटीक और भावुक शॉर्ट फिल्म बनाने के लिए ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं योगेश पगारे! आप से आगे भी ऐसे ही बेहतरीन काम की उम्मीद रहेगी।