युवा भारतीयता की ओर अग्रसर हों : मुख्यमंत्री

संस्कृत एक सदाचार सिखाने वाला भाषा का नाम : त्रिवेन्द्र रावत
भारतीयता को ओर अग्रसर हो युवा अध्यात्मवादी चिंतन को अपनायें : डॉ. पण्ड्या
हरिद्वार : राज्य के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि वेदों एवं आर्षग्रंथों में विभिन्न विषयों के शोधों से संबंधित अनेक सूत्र हैं, इन सूत्रों को ध्यान देने व अपनाने से भारतीय संस्कृति के स्तंभ को मजबूत किया जा सकता है। इन्हीं सूत्रों के अवलम्बन से युवा भारतीयता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय शिक्षण मंडल का अभ्यास वर्ग के दूसरे दिन के प्रथम सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पोलेण्ड व स्पेन में संस्कृत को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाने लगा है। संस्कृत एक सदाचार सिखाने वाला भाषा का नाम है। संस्कृत (वेदों, उपनिषदों) के माध्यम हरित ऊर्जा से लेकर अनेक विषयों में शोध रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो, जहाँ विद्यार्थी अपने भारतीय संस्कृति व पूर्वजों को आदर करना सीखें। शिक्षा में जीवन मूल्य समाहित हों। उत्तराखण्ड बनने के बाद प्रथम विवि के रूप में स्थापित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के युवा भी इस दिशा में अग्रसर हो रहे हैं, यह गौरव की बात है।
बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय जीवन मूल्यों को समाहित होना चाहिए। इसके लिए भारतीय शिक्षक मण्डल के साथ चिंतन एवं विचारों का आदान-प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्पेन एवं पोलेण्ड जैसे देशों में संस्कृत की डिमाण्ड बढ़ी है। संस्कृत भाषा में ज्ञान, संस्कार एवं सद्विचार हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति तथा सभ्यता को आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयास करने होगे। नई पीढ़ी का रूझान भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की ओर ले जाना होगा, इसके लिए भारतीय शिक्षक मण्डल का महत्वपूर्ण योगदान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें भारतीय परम्पराओं को आगे बढ़ाना होगा। कहा कि भारतीय शिक्षक मण्डल एवं अन्य समाजिक संस्थाओं के प्रयासों से एक स्वाभिमानी भारत बनेगा, जिनमें अपने पूर्वजों एवं परम्पराओं के प्रति एक विश्वास खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करने होंगे।
गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि यह समय अनीति के उच्छेदन का है। इसके लिए अध्यात्मवादी विचारधारा को अपनाना पड़ेगा। अध्यात्मवादी विचारधारा अर्थात् संस्कृत, संस्कृति व संस्कार से परिपूर्ण विचार। इन्हीं विचारों के माध्यम से हमारी जीवन शैली बदल सकती है और हम परिवार, समाज व राष्ट्र के विकास में सहयोग दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवा पाश्चात्य संस्कृति के अंधी दौड़ में अवसाद से ग्रस्त हो रहे हैं, उन्हें बचाने एवं भारतीय संस्कृति को पुष्ट करने के लिए सभी को मिल जुलकर कार्य करने होंगे।
देसंविवि के कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने कहा कि शांतिकुंज द्वारा संचालित हो रहे निर्मल गंगा जन अभियान में पाँच लाख कार्यकर्त्ता व युवा जुटें हैं, आने वाले दिनों में इसकी संख्या और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि जनवरी 2018 में नागपुर (महाराष्ट्र) में कई लाख युवाओं एकत्रित होंगे, जहाँ उन्हें समाज के विकास में कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए संकल्पित कराये जायेंगे। मंडल की राष्ट्रीय महिला प्रमुख डॉ. गीता मिश्र ने एकल गीत प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अंगद सिह, प्रांतीय अध्यक्ष श्री मनोहर सिंह रावत आदि ने अपने-अपने विचार रखे।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री रावत एवं गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या सहित भारतीय शिक्षण के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शांतिकुंज संगीत विभाग के भाइयों ने सुमधुर गीत से सभी को झंकृत कर दिया। मंडल के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. ओपी सिंह ने सभी का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर भारतीय शिक्षक मण्डल से डाॅ.बनवारी लाल, डाॅ.अंगद सिंह, डाॅ.पंकज सिंह, डाॅ.ओम प्रकाश, श्री मनोहर सिंह रावत, डाॅ.गीता मिश्र, जिलाधिकारी श्री दीपक रावत एवं उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड आदि प्रान्तों के शिक्षक उपस्थित थे।