Uttar Pradesh

काशी में हुई मां अन्नपूर्णा की स्थापना, CM योगी ने की पूजा-अर्चना

वाराणसी. 107 वर्ष पहले वाराणसी (Varanasi) से चोरी हुई माता अन्नपूर्णा की मूर्ति (Maa Annapurna Idol) की पुनर्स्थापना सोमवार को काशी में सुबह 9:30 बजे कर दी गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रतिमा यात्रा की अगवानी की. पूरा मंदिर परिसर मां के जयकारे और हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान है. सीएम योगी ने प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की. काशी विश्वनाथ मंदिर का अर्चक दल काशी विद्वत परिषद की निगरानी में संपूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण कराया. मूर्ति स्थापना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई. जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर बाबा से आशीर्वाद मांगा. जनकल्याण के भावों से बाबा का पूजन अर्चन कर वहां से रवाना हुए. मां अन्नपूर्णा की शोभायात्रा उत्तर प्रदेश के 18 जिलों से होती हुई काशी पहुंची है.
कनाडा से वाराणसी पहुंची मूर्ति
आपको बता दें कि वाराणसी में गंगा किनारे क्षेत्र से 1913 के आसपास मां अन्नपूर्णा की मूर्ति चोरी हुई थी. चोरी होने के बाद मूर्ति तस्करों द्वारा गुपचुप तरीके से यह मूर्ति कनाडा पहुंच गई और फिर मैकेंजी आर्ट गैलरी में शोभा बढ़ाने लगी. मूर्ति पर अध्ययन करने के बाद दिव्या मेहरा ने भारतीय दूतावास को इसके बारे में सूचित किया. मूर्ति का इतिहास सामने आने के बाद कनाडा सरकार ने इसे भारत सरकार को शिष्‍टाचार भेंट के तौर पर लौटाने की पेशकश की. अब यह मूर्ति नई दिल्‍ली राष्‍ट्रीय संग्रहालय होते हुए वाराणसी पहुंची है.
क्या है मूर्ति की खासियतें?
चुनार के बलुआ पत्‍थर से बनी अन्नपूर्णा की यह मूर्ति बहुत ही खास है. मूर्ति विशेषज्ञों ने इसे 18वीं सदी का बताया है. करीब तीन सदी पुरानी होने की वजह से यह मूर्ति काफी हद तक अपनी प्रकृति खो चुकी है. हालांकि ​कनाडा की आर्ट गैलरी में इसका रखरखाव काफी बेहतर रहा है. वाराणसी में आज भी इसी काल की कई मूर्तियां हैं, जो काशी के प्रस्‍तर कला की पहचान हैं.
इस मूर्ति में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्‍मच है. माता का यह स्वरूप आस्था का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि मां अपने हाथों से चम्मच के खीर का प्रसाद भक्तों के बीच बांटकर उन्हें धन-धान्‍य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद दे रही हैं. खासकर काशी में अन्नपूर्णा माता को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां कभी कोई भूखा नहीं रहता.

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