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रामपाल के सामने मेयर पद पर होंगी कई चुनौतियां

  • रामपाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती नजूल भूमि पर मालिकाना हक
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
रूद्रपुर । मेयर निर्वाचित हुए रामपाल सिंह को मेयर का ताज पहनने के साथ ही कई चुनौतियों का सामना करना होगा। रामपाल टिकट मिलने के बाद से ही यह दावा करते आये हैं कि वह पैसा कमाने नहीं बल्कि जनसेवा के मकसद से राजनीति में आये हैं। अब मेयर की कुर्सी संभालने के साथ ही रामपाल को जनता के भरोसे पर खरा उतरने के लिए तमाम चुनौतियों से जूझना होगा। रामपाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती नजूल भूमि पर मालिकाना हक की है।
हालाकि मालिकाना हक को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत स्वयं भी सार्वजनिक रूप से यह आश्वासन दे चुके हैं कि नजूल भूमि से एक भी मकान नहीं उजड़ने दिया जायेगा। यही नही प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री प्रकाश पंत और जिले के प्रभारी मंत्री मदन कौशिक भी चुनाव के दौरान आयेाजित जन सभाओं में मालिकाना हक दिलाने का आश्वासन दे चुके हैं।  सरकार से आश्वासन मिलने के बाद रामपाल भी अपनी चुनावी सभाओं में दावा कर चुके हैं कि मेयर की कुर्सी संभालने  के बाद नजूल भूमि की समस्या का समाधान उनकी पहली प्राथमिकता होगी। 
उन्होंने अपने घोषणा पत्र में सबसे पहला  मुद्दा ही नजूल का लिया है और साफ कहा है कि जब तक वह इस समस्या का समाधान नहीं करायेंगे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। लेकिन देखा जाये तो नजूल भूमि के मुद्दे को सुलझाना इतना आसान नहीं जितना भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक रूप से आश्वासन देकर कहा है। नजूल भूमि से हजारों परिवारों को बेदखल करने के आदेश हाईकेार्ट से हो चुके हैं और सरकार द्वारा बनाई गयी नजूल नीति भी खारिज हो गयी है। इस मामले को सुलझाने में न्यायालय की भूमिका ही सबसे अहम होगी और मामले में अब तक भाजपा सरकार को कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी है। अब सरकार सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की तैयारी तो कर चुकी है लेकिन इसमें सफलता कब मिलेगी यह कहना अभी मुश्किल है।
रामपाल के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती शहर में कचरा निस्तारण की है। शहर में ट्रंचिंग ग्राउण्ड की समस्या दशकों पुरानी हैं। नगर निगम की निवर्तमान भाजपा मेयर सोनी कोली के कार्यकाल में भी ट्रचिंग ग्राउण्ड को किच्छा रोड से हटाकर बाहर ले जाने के प्रयास किये गये इसके लिए बकायदा भूमि भी आवंटित की गयी लेकिन भूमि शहर से बाहर नहीं होने के कारण ट्रचिंग ग्राउण्ड में आज भी किच्छा रोड पर ही है और वहां कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है। अब नये मेयर के लिए कचरे के इस पहाड़ को किच्छा रोड से हटाकर शहर से बाहर ट्रंचिंग ग्राउण्ड बनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नही है।
रामपाल ने अपने घोषणा पत्र मे वैज्ञानिक विधि से कचरे के निस्तारण का वायदा किया था जो कहने में सरल है लेकिन इसे धरातल पर उतारने मे उन्हें कई दिक्कतें आ सकती हैं। क्यों कि पिछले दो वर्षों में अभी तक ट्रंचिंग ग्राउण्ड के लिए सरकार जमीन भी फाईनल नहीं कर सकी है। नये मेयर की चुनौतियां यहीं खत्म नहीं होती। पार्किंग के अभाव में शहर में जाम की समस्या हलकान हो रहे लोगों को इस समस्या से निजात दिलाना भी मेयर के लिए आसान नहीं होगा। क्यों कि इसके लिए पूर्व में भी प्रयास हुए हैं लेकिन कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आये पाये।
इसके अलावा सीवर लाईन की समस्या, यातायात नगर की समस्या भी शहर की गंभीर समस्या है। नगर निगम में हाल ही में शामिल हुए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नगर निगम में शामिल होने के बाद विकास की नई उम्मीदें जगी हैं। दरअसल नगर निगम में शामिल हुए इन ग्रामीण क्षेत्रें में अधिकांश नई कालोनियां कटी है। कालोनाईजरों ने कालोनियों में प्लाट और मकान बेचने के बाद लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। कई कालोनियों मे तो बुनियादी सुविधायें भी नहीं हैं। यही नहीं तमाम कालोनियों में जलभराव की समस्या बेहद गंभीर है।
ऐसे में नये मेयर को इन कालोनियों में विकास की मूलभूत सुविधायें मुहैया कराना और वहां पर जल निकासी के पुख्ता इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। हालाकि नगर निगम बोर्ड की बात करें तो संख्या बल में पार्षदों की संख्या भाजपा के पास अधिक हैं लेकिन शहर में विरोध की राजनीति से सामंजस्य बैठाना भी मेयर के लिए टेढ़ी खीर होगा। क्यों कि पूर्व में भी भाजपा की मेयर को अपनों को संतुष्ट करने में दिक्कतें उठानी पड़ी थी। जिसके चलते नगर निगम में पूरे पांच वर्ष तक उठापटक का दौर रहा जिसका असर शहर के विकास कार्यों पर भी पड़ा। अब बोर्ड में निगम और पार्षदों के बीच आपसी सामंजस्य बैठाना भी मेयर के लिए चुनौती होगी।
हालाकि केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण मेयर को विकास कार्यों को गति देने में कुछ राहत जरूर मिलेगी। लेकिन चुनाव के दौरान रामपाल सिंह ने जनता से जो वायदे किये हैं उन्हें धरातल पर उतारना आसान नहीं है। शहर की ज्वलंत समस्याओं से निजात दिलाने के साथ साथ मेयर प्रत्त्याशी अपने घोषणा पत्र में शहर को एक ऐसा पार्क देने का वायदा भी कर चुके हैं जिसे एक पर्यटक स्थल का रूप मिलेगा।

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