CAPITAL

गैरसैंण राजधानी के लिए देहरादून में विशाल मशाल जुलूस

  •  मशाल जुलूस के साथ सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब

देहरादून : राज्य गठन के 17 साल बाद भी उत्तराखंड राज्य को अब तक स्थाई राजधानी नसीब नहीं हुई है , उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैण को घोषित न किये जाने से आक्रोशित उत्तराखण्ड की जनता का गुस्सा अब सडकों पर मशाल बन कर धधकने लगा है। उत्तराखंड की गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर 20 से अधिक संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं , सांस्कृतिक टोलियों ने एकत्रित होकर शनिवार को एक बैनर तले गांधी पार्क से शहीद स्मारक तक विशाल मशाल जुलूस निकालकर राजनैतिक दलों को अपने तेवरों का जमकर प्रदर्शन किया । इस दौरान जुलूस में शामिल लोगों ने दून में रहने वाले अधिकारियों को नारों और जनगीतों के माध्यम से पहाड़ का दर्द समझने की नसीहत दी। मशाल जुलूस में शामिल हुए लोगों ने कहा कि बजट सत्र में यदि राजधानी को लेकर सरकार ने निर्णय नहीं लिया तो एक बार फिर राज्य गठन के दौरान हुए आंदोलन जैसी शुरुआत की जाएगी।

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन के बैनर तले जुटे विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि शनिवार देर शाम गांधी पार्क में एकत्र हुए और राजधानी गैरसैंण को लेकर मुखर होकर नारेबाजी की। ढोल दमौं के साथ जनगीत गाते हुए चल रहा मशाल जुलूस 1994 के उत्तराखंड आंदोलन के स्वत:स्फूर्त प्रदर्शनों की याद दिला रहा था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि, राज्य आंदोलन  के समय से ही गैरसैंण को राजधानी बनाने का ख्वाब देखा गया था। लेकिन राजनैतिक दल व अदूरदर्शी नेतृत्व ने अपने स्वार्थ के लिए एक सीधी-साधी मांग को घुमा के रख दिया है। जिस तरह से अलग राज्य पाने के लिए यहां के लोगों ने जनांदोलन किया था। ठीक इसी तरह गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के लिए बड़ा जनांदोलन शुरू करने का वक्त आ गया है।

शहीद स्मारक जाकर सभी ने शहीदों को श्रद्धाजंलि दी। यहां गैरसैंण को राजधानी बनाने तक संघर्षरत रहने का संकल्प लिया गया। संगठन के रघुबीर सिंह बिष्ट व रविंद्र जुगराण ने बताया कि गैरसैंण में प्रस्तावित बजट सत्र में स्थाई राजधानी की घोषणा, गैरसैंण में ही सभी सत्र कराने, गांव से हो रहे पलायन, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य को देखते हुए गैरसैंण को राजधानी बनाना जरूरी है। मशाल जुलूस में मुखर हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि, इस सत्र में गैरसैंण राजधानी घोषित नहीं की गई तो बड़े स्तर पर नया जनांदोलन शुरू किया जाएगा।  

इस मशाल जुलूस में आंदोलनकारियों ने सरकार को दो टूक चेतावनी दी कि बजट सत्र में राजधानी गैरसैंण को घोषित करें नहीं तो जनता ऐसे निकम्मी सरकार को राजधानी गैरसैंण घोषित कराने के लिए राज्य गठन के आंदोलन की तर्ज पर व्यापक जनांदोलन छेड़ेगी। 

इस मशाल जुलूस में राज्य गठन आंदोलन के शहीदों के सपनों को साकार करने की राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए उत्तराखंड आंदोलन की तरह व्यापक जनांदोलन छेड़ने का संकल्प लिया गया। आंदोलनकारियों ने इस बात के लिए अभी तक की भाजपा व कांग्रेस की सरकारों की कड़ी भर्त्सना की।

देहरादून में सत्ता और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कुण्डली मार कर बैठे रहने से उत्तराखण्ड के  सीमान्त व पर्वतीय जनपद आज शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित होने के कारण पलायन के दंश से मर्माहित हैं, जिन्होने अपने चहुंमुखी विकास, सम्मान व हक हकूकों की रक्षा के लिए अभिभाजित राज्य की   के  अमानवीय सरकारों के दमन सह कर भी राज्य आंदोलन को जीवंत रख कर राज्य गठन को मजबूर किया। सीमान्त व पर्वतीय जनपदों की देहरादून में कुण्डली मार कर बैठे नेताओं व नौकरशाहों ने अपनी अय्याशी  के लिए उत्तराखंड की जनांकांक्षाओं, शहीदों के सपनो व राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतीक गैरसैंण को राजधानी न बनाकर देश व प्रदेश के हितों पर कुठाराघात किया है।  अन्य पर्वतीय एवं हिमालयी राज्यों की राजधानी पर्वतीय क्षेत्र में स्थित  है। अब जब गैरसैंण विधानसभा में शीतकालीन, ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित होने के बाद अब बजट सत्र भी आयोजित हो रहा है तो  ऐसे में क्यों प्रदेश के हुक्मरान जनभावनाओं, के अनुरूप गैरसैंण को राजधानी घोषित नहीं कर रहे है। 

मशाल जुलूस में भाग लेने वाले सामाजिक संगठनों में जहां देहरादून सहित उत्तराखण्ड की अलकनंदा पिंडर घाटी विकास समिति, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली विकास समिति, पर्वतीय विकास मंच, बद्री केदार विकास समिति, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच, विभिन्न छात्र संगठन, अखिल गढ़वाल सभा, नैनीडांडा विकास समिति, उत्तराखंड रैफरी फुटबॉल एसोसिएशन, उत्तराखंड जनमंच, उत्तराखंड बैंक एसोसिएशन, नव भारत संघ, अपना परिवार, कूर्माचल विकास परिषद्, गढ़ सेना, पूर्व सैनिक अर्ध सैनिक संगठन, ग्यारह गांव हिंदवाण, डांडी काणठी क्लब, धाद संस्था, मैती संस्था, उत्तराखंड नव निर्माण मंच, उफ्तारा संस्था, उत्तराखंड फुटबॉल अकादमी के अलावा दिल्ली की सबसे बडी सामाजिक संगठन  उत्तराखंड एकता मंच दिल्ली ने मशाल जुलूस में भागेदारी निभाई। 

मशाल जुलूस में जन कवि अतुल शर्मा, छात्र नेता सचिन थपलियाल, रघुवीर बिष्ट, देवसिंह रावत, रविंद्र जुगरान, पीसी थपलियाल, हेमा देवराड़ी, रेनू नेगी ,प्रदीप कुकरेती, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मोहन रावत, अनिल पंत,  बीएस रावत, जगमोहन मेहंदीरत्ता, जयदीप सकलानी, पुष्कर नेगी, पुरूषोत्तम भट्ट, लूसुन टोडरिया, अनिल रावत, विकास नेगी, विजय बौड़ाई, कैलाश जोशी, कमल रजवार, ललित जोशी, महेंद्र रावल, सूरवीर राणा, अनिल पंत,  दिगमोहन नेगी, सुरेन्द्र हालसी, शशिमोहन कोटनाला,  अभिराज शर्मा आदि बड़ी संख्या में छात्रों, नौजवानों, महिलाओं, पत्रकारों, रंगकर्मियों ने प्रमुखता से भाग लिया।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »