नम आंखों से दी शहीद राजेंद्र को विदार्इ, अंतिम यात्रा में जन सैलाब उमड़ा

- शहीद राजेंद्र का शव पहुंचा,मुख्यमंत्री ने पिथौरागढ़ पहुंचकर दी श्रद्धांजलि
- प्रदेश सरकार शहीद के परिवारजनों के साथ है : मुख्यमंत्री
- जम्मू कश्मीर में जो हो रहा है वह है चिंता का विषय
- मानवाधिकार की पैरवी करने वालो की खुलनी चाहिए आंखें
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
पिथौरागढ़ : बीते दिन जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए राजेन्द्र सिंह की रामेश्वर घाट में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गर्इ। पंजाब रेजीमेंट के जवानों ने अंतिम सलामी दी। वहीं सैकड़ों नम आंखों ने दी शहीद को अंतिम विदाई दी । शहीद के चाचा भूपाल सिंह ने शहीद को मुखाग्नि दी।
वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने पिथौरागढ़ पहुंचकर शहीद स्व. श्री राजेन्द्र सिंह बुंगला को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के लिये शहीद हुए वीर सपूत स्व.श्री राजेन्द्र सिंह बुंगला की शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शहीद के परिवारजनों के साथ है, हरसंभव मदद प्रदेश सरकार द्वारा की जाएगी। देश की रक्षा करने के लिए हमारे जवान, हमारी सेना हरदम तैयार हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जम्मू कश्मीर में जो हो रहा है वह चिंता का विषय है। इस बारे में सोचना होगा। मानवाधिकार की पैरवी करने वालो की अब भी आंखे खुलनी चाहिए।
शहीद राजेंद्र को श्रद्धांजलि देने के बाद सीएम ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि यह घटना सोचनीय है। मानवाधिकार संगठनों की आंख खुलनी चाहिए। इस तरह की हरकत करने वालों को मासूम समझने वालों को अब हकीकत का पता लग चुका है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज एक जवान की शहादत से माता, पिता औऱ दो बहनों का सहारा चला गया है। देश का हर जवान देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात है। आतंकियों के आकाओं को समझ लेना चाहिए कि हमारी सेना और अर्धसैनिक बल उन्हें सबक सिखाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि शहीद जवान के परिवार के साथ पूरा देश है।
गौरतलब हो कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों के हमले में शहीद हुए वीर सैनिक राजेन्द्र सिंह बुंगला तहसील गंगोलीहाट के ग्राम बडेना(बुंगली) के टीए जाट बटालियन जम्मू कश्मीर में तैनात थे,शुक्रवार को अनंतनाग जिले के काजीकुंडाताल में पेट्रोलिंग पर थे। इसी दौरान आतंकवादी हमला हो गया। बहादुरी से लड़ते हुए राजेंद्र ने शहादत दे दी। उन्हें इसी दीपावाली पर छुट्टी लेकर घर पहुंचना था, लेकिन शुक्रवार को उसकी शहादत की खबर ने परिजनों, दोस्तों एवं क्षेत्रवासियों को स्तब्ध कर दिया।
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक शहीद के पिता चंद्र सिंह गांव में ही खेतीबाड़ी कर आजीविका चलाते हैं। मां मोहिनी देवी गृहणी हैं। तीन बहनों के इकलौते अविवाहित भाई राजेंद्र की बड़ी बहन रेखा की शादी हो चुकी है। दो छोटी बहन खीमा और पूजा की जिम्मेदारी राजेंद्र के कंधों पर ही थी। राजेंद्र तीन वर्ष पूर्व ही जाट रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। इकलौते पुत्र की शहीद होने सूचना से मां-पिता सदमे में हैं। मां बार-बार बेहोश हो रही हैं। छोटी बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। विज्ञान वर्ग से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उसने सेना में जाने लक्ष्य तय किया था और इसमें सफल रहे। एक माह पूर्व तक वह बरेली में पोस्टेड थे। इसके बाद उसकी तैनाती जम्मू कश्मीर में हो गई। 15 दिन पूर्व ही वह जम्मू कश्मीर पहुंचे थे।
स्व.श्री राजेन्द्र बुंगला का पार्थिव शरीर, शनिवार को सेना के विमान द्वारा पिथौरागढ़ सेना मुख्यालय लाया गया जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, सेना एवं प्रशासन के अधिकारियों द्वारा पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सेना द्वारा शहीद को गार्ड ऑफ़ आनर दिया गया।
शहीद के पार्थिव शरीर को जिलाधिकारी सी.रविशंकर, बिग्रेडियर रंजन मलिक सेना मेडल, बिग्रेडियर विनोद चंद, कर्नल एम.एस. वल्दिया, कर्नल ए.के.सिंह, कर्नल एस.सी.चैहान, अपर जिलाधिकारी आर.डी.पालिवाल आदि के द्वारा पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।