सीमावर्ती इलाकों में स्नो लेपर्ड का शिकार रोकने को संवेदनशील स्थल होंगे चिह्नित

देहरादून : ‘सिक्योर हिमालय’ परियोजना के तहत भारत -चीन सीमा से लगे राज्य उत्तराखंड के गंगोत्री-गोविंद लैंडस्कैप से लेकर अस्कोट सेंचुरी तक के उच्च हिमालयी क्षेत्र में वन्यजीवों के शिकार के दृष्टिकोण से संवेदनशील स्थल चिह्नित किए जाएंगे। इन स्थलों में स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुओं) के साथ ही दूसरे वन्य जानवरों की सुरक्षा के मद्देनजर प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। इस क्षेत्र से लगे गांवों में पशु चारे की व्यवस्था के मद्देनजर चारागाह विकास के लिए उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास परिषद से भी प्रस्ताव मांगा गया है।
गौरतलब हो कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से चलने वाली ‘सिक्योर हिमालय’ परियोजना में उत्तराखंड का गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान व गोविंद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक का क्षेत्र शामिल है। राज्य में परियोजना के संचालन का जिम्मा वन विभाग के पास है। योजना के क्रियान्वयन के मद्देनजर प्रथम चरण में इस उच्च हिमालयी क्षेत्र से जुड़े तमाम विषयों पर अध्ययन कराया जा रहा है।
सूबे के सिक्योर हिमालय परियोजना के नोडल अधिकारी डॉ.धनंजय मोहन के मुताबिक स्नो लेपर्ड समेत दूसरे वन्यजीवों की सुरक्षा, आजीविका विकास, जैव विविधता संरक्षण, चारागाह विकास जैसे विषयों पर अध्ययन के मद्देनजर विभिन्न विभागों और संस्थाओं से प्रस्ताव मांगे गए थे। उन्होंने बताया कि गंगोत्री से अस्कोट तक के क्षेत्र में वन्यजीवों का शिकार रोकने के लिए संवेदनशील स्थल चिह्नित करने के संबंध में ट्रेफिक इंडिया संस्था की ओर से प्रस्ताव आया है।
डॉ. धनंजय के अनुसार संवेदनशील स्थल चिह्नित करने के लिए जल्द ही कार्यवाही की जाएगी। इनके चिह्नीकरण के बाद वहां कैमरा ट्रैप की संख्या बढ़ाने समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि भेड़ एवं ऊन विकास परिषद से भी चारागाह विकास के मद्देनजर प्रस्ताव मांगा गया है, ताकि इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित गांवों में मवेशियों के लिए चारे का पुख्ता इंतजाम किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही परियोजना से जुड़े हितधारकों की बैठक बुलाई जाएगी