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शिव का प्रकाश उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से हुआ अस्त, कई भाजपाई थे इनके कृत्यों से त्रस्त

शिव के प्रकाश के अंध भक्त अब  पचा नहीं पा रहे उनका ऐसे ही चले जाना

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून : भाजपा संगठन में अपनी धाक रखने वाले महाबली ,सर्वशक्तिमान,स्वनामधन्य शिव के प्रकाश का अपने पसंदीदा प्रदेशों उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश से चला जाना जहां उनके जैसे अंध भक्त पचा नहीं पा रहे हैं। वहीं इनके प्रदूषित प्रकाश की लौ से जल रहे तमाम तरह से त्रस्त उन भाजपाइयों ने चैन की सांस ली है, जिन्होंने पार्टी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है। 

भाजपा शासित इन दोनों प्रदेशों में जहां एक ओर ये कयास लगाए जा रहे हैं कि गुटबाजी को बढ़ावा देना, पार्टी की रीति -नीति को समझने वाले कार्यकर्ताओं की जगह अपने नकारा पिछलग्गुओं को पार्टी में आगे करना, वर्षों से पार्टी का ईमानदारी से काम करने वाले कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का गला घोंटना भी इसका कारण हो सकता है, वहीं दूसरी ओर ये भी कयास जोरों पर हैं कि इन्हें श्री राम के लाल की जगह राष्ट्रीय संगठन मंत्री बनाया जाना था, लेकिन पार्टी आलाकमान को दोनों राज्यों से मिले फीडबैक के बाद पार्टी द्वारा उनसे यहां किनारा कर दक्षिण की तरफ धकेल दिए जाने के पीछे भी यही कारण बताए जा रहे हैं।  

बहरहाल कारण चाहे जो भी रहे हों पर उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश का भाजपा संगठन और सरकार के वे नेता इस फैसले से खुश हैं जिनको समय समय पर शिव के प्रकाश की “गुड बुक” में ना होने के कारण पीछे धकेल दिया जाता रहा था।  हालांकि इनके मुंह लगे और मी -टू में फंसे एक नेता की तर्ज पर अब इनके कुछ समर्थक भी इस आस में हैं कि शायद शिव का प्रकाश अब भी उन तक पहुंच जाए और उनके नाम से उनकी भी दुकानें चल पड़े, जैसी कि कुछ और पिछलग्गुओं की चल रही है। इसलिए अब शिव के प्रकाश की चाहत रखने वाले उनके कतिपय चेले उनसे इतने महत्वपूर्ण प्रदेशों उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड का प्रभार वापस लेने की बात को दरकिनार कर ऐसे प्रचारित करने की कोशिश कर रहे हैं जैसे कि शिव का प्रकाश प्रधानमंत्री मोदी की जगह अब देश के दक्षिण दिशा की तरफ ही चकाचौंध करेगा।

बहरहाल अब यह निश्चित ही कहा जा सकता है की संघ और भाजपा अब शायद ही भविष्य में किसी एक कार्यकर्ता को इतने लंबे समय तक किसी एक ही जगह पर टिका कर इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दें,क्योंकि इससे कहीं ना कहीं वो व्यक्ति स्थानीय राजनीति से या तो प्रभावित होने लगता है या स्थानीय राजनीति को दिशा देने के बजाय उसे ही प्रभावित करने लगता है।

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