वुहान से लॉकडाउन हटते ही कब्रिस्तान के बाहर लंबी कतारें मगर रोने की नहीं अनुमति

परिजनों को अपनों के जाने पर रोने की अनुमति तक नहीं
देवभूमि मीडिया डेस्क
वुहान : चीन ने कोरोना वायरस के केंद्र रहे वुहान से लॉकडाउन हटा दिया है। इसके बाद अब मृतकों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि परिजनों को अपनों के जाने पर रोने की भी अनुमति नहीं है।
वुहान ने झांग लिफांग जैसे प्रवासियों को ऐसी चोट पहुंचाई है कि वे अब शहर का मुंह तक नहीं देखना चाहते हैं। कब्रिस्तानों के बाहर लंबी लाइन लगी हुई हैं और परिजनों को रोने तक की अनुमति नहीं है। यात्रा प्रतिबंध हटने के बाद लिफांग अपने पिता की अस्थियों को लेने के लिए शेनजेन लौटे हैं।
शेनजेन ने कहा कि वुहान ने मेरा दिल तोड़ दिया है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि जिस पिता को ऑपरेशन के लिए वुहान ले जा रहा हूं उनके बिना ही मुझे घर लौटना पड़ेगा। यदि अपने पिता की अस्थियां न लेनी होती तो मैं कभी वुहान में कदम तक नहीं रखता।
झांग के पिता वुहान में सेवानिवृत्त हुए थे। शहर में उन्हें मुफ्त चिकित्सकीय सेवा हासिल थी। मगर ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद ही वह कोरोना वायरस की चपेट में आ गए और एक फरवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया। झांग का कहना है कि मैं यह बात नहीं जानता था कि वायरस वुहान में इस कदर फैल गया है। मुफ्त ऑपरेशन के नाम पर मैंने अपने पिता को मौत के मुंह में धकेल दिया। यह सोच-सोचकर मेरा मन दर्द और पश्चाताप की आग से जल उठता है।
वहीं 34 साल के पेंग यतिंग का कहना है कि मुझे मां की अस्थियां तो मिल गई हैं पर उन्हें दफनाने के लिए सही स्थान ढूंढने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कब्रिस्तान के बाहर लंबी लाइनें लगी हुई हैं। सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सभी को एक-एक करके अंदर जाने दिया जा रहा है।
किसी को भी अस्थियां दफनाते समय रोने की अनुमति नहीं है। सालाना होने वाले ‘टॉम्ब स्वीपिंग’ परंपरा को रोक दिया गया है। इस परंपरा में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग उनकी कब्रें साफ करते हैं। बता दें कि वुहान में 25 जनवरी को अंतिम संस्कार पर रोक लगाते हुए सभी कब्रिस्तानों को बंद कर दिया था।