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राजस्थान, पंजाब और मध्यप्रदेश पहुंचा टिड्डी दल, साथ ही जानिएगा, क्या है टिड्डी दल और कहां से आता है

पूर्वी अफ्रीका में स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है, जहां खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए अभूतपूर्व खतरा बना है टिड्डी दल

टिड्डी सर्वाहारी और प्रवासी कीट है और इसमें सामूहिक रूप से सैकड़ों किलोमीटर उड़ने की क्षमता होती है

सर्वेक्षण और नियंत्रण कार्रवाइयों का संचालन कर रहे हैं 200 टिड्डी सर्कल कार्यालय और अस्थायी शिविर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
नई दिल्ली। पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भारत भर में विशाल टिड्डी दलों के पहुंचने के बीच, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे प्रभावित राज्यों में टिड्डियों पर नियंत्रण की कार्रवाइयों में तेजी लाए हैं। आज तक, ये टिड्डी दल राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, जयपुर जिलों और मध्य प्रदेश के सतना, ग्वालियर, सीधी, राजगढ़, बैतूल, देवास, आगर मालवा जिलों में सक्रिय हैं।
वर्तमान में 200 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) प्रभावित राज्यों के जिला प्रशासन और कृषि फील्‍ड मशीनरी के साथ तालमेल कायम करते हुए सर्वेक्षण और नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। राज्य कृषि विभागों और स्थानीय प्रशासन के समन्वय के साथ टिड्डी नियंत्रण का कार्य जोरों पर हैं। अब तक राजस्थान के 21 जिलों, मध्य प्रदेश के 18 जिलों, पंजाब के एक जिले और गुजरात के 2 जिलों में टिड्डी नियंत्रण कार्य किया गया है। अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों से परे टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए, राजस्थान के अजमेर, चित्तौड़गढ़ और दौसा, मध्य प्रदेश के मंदसौर, उज्जैन और शिवपुरी तथा उत्तर प्रदेश के झांसी में अस्थायी नियंत्रण शिविर स्थापित किए गए हैं।
अब तक राजस्थान,पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश में जिला प्रशासन और राज्य कृषि विभाग के साथ समन्वय करते हुए एलसीओ ने कुल 303 स्थानों के 47,308 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की कार्रवाइयां की गई हैं। टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 89 दमकल गाडि़यों, 120 सर्वेक्षण वाहनों, छिड़काव करने वाले उपकरणों और 810 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर युक्‍त 47 नियंत्रण वाहनों को आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग दिनों के दौरान तैनात किया गया।
आमतौर पर, टिड्डी दल पाकिस्तान के रास्‍ते से भारत के अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में जून / जुलाई के महीने में मानसून के आगमन के साथ ग्रीष्‍मकालीन प्रजनन के लिए प्रवेश करते हैं। इस वर्ष हालांकि इन हॉपर और गुलाबी रंग की टिड्डियों का प्रवेश समय से काफी पहले हो गया है, जिसकी वजह पाकिस्तान में पिछले सीजन में टिड्डियों की अवशिष्ट आबादी की उपस्थिति बताई गई है, जिन्‍हें वह नियंत्रित नहीं कर सका था।
राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती जिलों में 11 अप्रैल, 2020 से टिड्डी हॉपर और 30 अप्रैल, 2020 से गुलाबी अपरिपक्व वयस्क टिड्डियों के प्रवेश की सूचना मिल रही है, जिन्हें नियंत्रित किया जा रहा है। गुलाबी अपरिपक्व वयस्क ऊंची उड़ान भरते हैं और पाकिस्तान की तरफ से आने वाली पश्चिमी हवाओं के साथ एक दिन में एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक की लंबी दूरी तय करते हैं। इनमें से अधिकांश गुलाबी अपरिपक्व वयस्क रात को पेड़ों पर ठहरते हैं और ज्यादातर दिन में उड़ान भरते हैं।
इस वर्ष समय से पहले टिड्डी दलों के हमले से चिंतित केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने प्रभावित राज्‍यों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की तैयारियों की समीक्षा के लिए 6 मई, 2020 को कीटनाशक निर्माताओं और सभी संबंधित हितधारकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। कृषि मंत्री तोमर के निर्देशों का पालन करते हुए 22 मई, 2020 को सचिव (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में पंजाब, राजस्थान, गुजरात मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के टिड्डियों के खतरे वाले जिलों के जिला प्रशासन और जिला कृषि अधिकारियों और एनडीएमए  के प्रतिनिधियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई।  बैठक में राज्यों के साथ टिड्डी के बारे में जागरूकता वाला साहित्य, एसओपी, स्‍वीकृत कीटनाशक और जागरूकता वाले वीडियो साझा किए गए।
एफएओ के 21 मई, 2020 के लोकस्‍ट स्‍टेट्स अपडेट के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका में वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है, जहां यह खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए एक अभूतपूर्व खतरा बना हुआ है। नए टिड्डी दल  भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर के साथ-साथ सूडान और पश्चिम अफ्रीका के ग्रीष्मकालीन प्रजनन क्षेत्रों में दाखिल होंगे। जैसे-जैसे वनस्पति सूखती जाएगी, इनके और अधिक झुंड और दल तैयार होंगे और इन क्षेत्रों से भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर ग्रीष्‍म प्रजनन क्षेत्रों का रुख करेंगे। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे क्षेत्रों में जून के शुरुआती दिनों के दौरान अच्छी बारिश का पूर्वानुमान व्‍यक्‍त किया गया है, जो इनके लिए अंडे देने हेतु अनुकूल है ।
वर्ष 2019-20 के दौरान, भारत में बड़े पैमाने पर टिड्डियों का हमला हुआ, जिसे सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। 21 मई, 2019 से लेकर 17 फरवरी 2020 तक, कुल 4,03,488 हेक्टेयर क्षेत्र का उपचार किया गया और टिड्डियों को नियंत्रित किया गया। राजस्थान और गुजरात के राज्य कृषि विभाग ने राज्य के फसल वाले क्षेत्रों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए तालमेल किया। 
टिड्डी नियंत्रण संगठन और जिला प्राधिकरण तथा राज्य कृषि विभाग के अधिकारी प्रतिदिन प्रातः काल एलसीओ के कंट्रोल स्प्रे व्‍हीकल्‍स, ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर्स और दमकल गाडि़यों के साथ टिड्डी नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। अपरिपक्व टिडि्डयां बहुत सक्रिय हैं और उनकी गतिशीलता इस दल को एक स्थान पर नियंत्रित करना मुश्किल बना देती है और विभिन्न स्थानों पर किसी विशेष टिड्डी दल को नियंत्रित करने में 4 से 5 दिन का समय लगता है।
टिड्डी एक सर्वाहारी और प्रवासी कीट है और इसमें सामूहिक रूप से सैकड़ों किलोमीटर उड़ने की क्षमता होती है। यह दो देशों की सीमाओं के आर-पार जाने वाला या ट्रांस-बॉर्डर कीट है और विशाल दल  में फसल पर हमला करता है। अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में पाया जाने वाला यह कीट करीब 60 देशों में पाया जाता है और यह पृथ्वी की भू सतह के वन-फिफ्थ हिस्से को कवर कर सकते हैं।
डेजर्ट लोकस्ट की विपत्ति विश्‍व की मानव आबादी के दसवें हिस्से की आर्थिक आजीविका के लिए खतरा बन सकती है। ग्रीष्‍म  मानसून सीजन के दौरान अफ्रीका / खाड़ी / दक्षिण पश्चिम एशिया से ये टिड्डी दल भारत में दाखिल होते हैं और वसंतकालीन प्रजनन के लिए ईरान, खाड़ी और अफ्रीकी देशों की ओर लौट जाते हैं।
भारत में 2 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र के अंतर्गत आता है। टिड्डी चेतावनी संगठन और भारत सरकार के 10 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) राजस्थान (जैसलमेर, बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर, जालौर, चुरू, नागौर, सूरतगढ़) और गुजरात (पालमपुर और भुज) राज्य सरकारों के साथ समन्वय करते हुए अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में डेजर्ट लोकस्‍ट के नियंत्रण, निगरानी, सर्वेक्षण के लिए उत्‍तरदायी हैं।

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