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Lock Down Effect : नैनीताल की नैनी झील सहित गंगा जल हुआ पीने लायक
राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण बोर्ड का आकलन
पानी में हानिकारक जीवाणु कोलीफार्म बैक्टीरिया हुए कम
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : लॉकडाउन के चलते जहां लोग घरों में कैद हैं वहीँ इसका फायदा प्रकृति को मिल रहा है, वातावरण में जहां प्रदूषण काम हुआ है वहीं नैनीताल की नैनी झील सहित आसपास की अन्य झीलों और गंगा के पानी की सेहत में भी सुधार हुआ है राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड के आकलन से इसकी पुष्टि हुई है। बोर्ड के एक आकलन के अनुसार देवप्रयाग से लेकर हरिद्वार में हरकी पैड़ी तक गंगा में हानिकारक जीवाणुओं की संख्या में कमी आई है तो गंदगी भी कम हुई है। बोर्ड का मानना है कि गंगा का पानी अब पानी क्लास ए का है और यहां के पानी को अब क्लोरीन के साथ पीने के उपयोग में लाया जा सकता है।
वहीं लॉकडाउन में नैनीताल और भीमताल झीलों की सेहत में काफी सुधार आया है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) द्वारा लॉकडाउन के दौरान दोनों झीलों के पानी पर पड़े असर के मद्देनजर की गई जांच में ये बात सामने आई है। आंकड़ों के मुताबिक नैनी झील में मार्च के मुकाबले घुलित ऑक्सीजन (डीओ) की मात्र में 21 फीसद का इजाफा हुआ है, जबकि बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) में 95 फीसद की कमी दर्ज की गई है। इसके साथ ही टोटल कॉलीफार्म की मात्र में भी 40 फीसद की कमी आई है। इसी प्रकार भीमताल की झील में भी डीओ बढ़ा है, जबकि बीओडी व टोटल कॉलीफार्म में कमी आई है। यह दोनों झीलों के जलीय पर्यावरण के लिए काफी हद तक ठीक है। हालांकि, दोनों के जल की गुणवत्ता अभी भी ‘सी’ और ‘डी’ कैटेगरी में ही है। पीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी एवं देहरादून स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला के प्रभारी एसएस पाल के अनुसार आठ अप्रैल को दोनों झीलों से पानी के नमूने लिए गए।
मुख्य पर्यावरण अधिकारी पाल ने नैनीताल झील के आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया कि नैनी झील में मार्च में घुलित ऑक्सीजन की मात्र 6.8 मिलीग्राम प्रति लीटर थी, जो अब बढ़कर 8.6 हो गई है। इसके अलावा बीओडी पहले 20 मिग्रा प्रतिलीटर था, जो अब 1.0 पर आ गया है। टोटल कॉलीफार्म (बैक्टीरियल तत्व) पहले 5594 प्रति सौ मिली था, जो अब 5119 है। उन्होंने बताया कि भीमताल झील में मार्च में डीओ की मात्र पहले 7.8 थी, जो अब 9.2 हो गई है। भीमताल में बीओडी भी 12 से घटकर 0.8 और टोटल कॉलीफार्म 4284 से घटकर 2406 पर आ गया है। उन्होंने बताया कि नैनीताल झील के पानी की गुणवत्ता डी श्रेणी (मत्स्य पालन व वन्यजीवों के लिए ही उपयुक्त) में है, जबकि भीमताल झील की गुणवत्ता सी श्रेणी (पानी को प्रॉपर ट्रीटमेंट के बाद पीने के उपयोग में लाना) में है।
गौरतलब हो कि लॉकडाउन के बाद से ही यह कहा जा रहा था कि गंगा का पानी अब अधिक साफ और नीला दिखाई देने लगा है। गंगा तटों रहने वाले लोगों ने इसका अहसास भी किया है लेकिन अब बात की पुष्टि राज्य पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आकलन से हो गई है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक हर की पैड़ी में बायो ऑक्सीजन डिमांड करीब 20 प्रतिशत कम हुई है। इसका मतलब यह भी है कि यहां जीवाणुओं को अब जैविक कणों को तोड़ने के लिए बीस प्रतिशत कम ऑक्सीजन की जरूरत हो रही है।
वहीं दूसरी ओर राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड को इस अध्ययन में पता चला है कि गंगा के पानी में देवप्रयाग से लेकर हरकी पैड़ी तक हानिकारक जीवाणु (कोलीफार्म बैक्टीरिया) काफी कम हुआ है। वहीं हरकी पैड़ी में जहां यह जीवाणु की उपस्थिति मार्च 2020 में 26 प्रतिशत थी जो अब घटकर 17 प्रतिशत रह गई है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड को लक्ष्मणझूला ऋषिकेश क्षेत्र में कोलीफार्म बैक्टीरिया में करीब 47 प्रतिशत की कमी मिली है। इस पर बोर्ड का मानना है कि यहां अब पानी क्लास ”ए” का है। इसके बाद अब यहां के पानी को क्लोरीन के साथ पीने के उपयोग में लाया जा सकता है।
फोटो साभार : अमित पोखरियाल