UTTARAKHAND

”कौथिग फाउंडेशन” ने उत्तराखंड के विधायकों को प्रवासियों की वापसी के लिए लिखा पत्र

विधायक जी, प्रवासी उत्तराखंडियों की घर वापसी पर आपसे है सशक्त पहल की उम्मीद !

विधायक जरा भी प्रवासियों को लेकर फिक्रमंद हो तो संभव नहीं कोरोना का मौज़ूदा संकट प्रवासियों के लिए जीने-मरने का सवाल बने 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : ”कौथिग फाउंडेशन” मुंबई ने उत्तराखंड के सभी विधायकों को पत्र लिखकर प्रवासियों को उनके राज्य उत्तराखंड तक पहुंचाने की गुजारिश की है।  ”कौथिग फाउंडेशन” ने कहा है कि सभी जिलों के विधायक अपने-अपने क्षेत्र के प्रवासियों को लेकर फिक्रमंद हो जाएं, तो संभव ही नहीं कि कोरोना का मौज़ूदा संकट हमारे लिए जीने-मरने का सवाल बन जाए।
राज्य के विधायकों को लिखे पत्र में ”कौथिग फाउंडेशन” ने कहा है कि लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म होने को है लेकिन कोरोना से उत्पन्न संकट जस-के-तस हैं या यूँ कहें कि बद-से-बदतर हैं। ”कौथिग फाउंडेशन” कहा है कि इस बीच थोड़ी राहत की खबर आयी है कि विभिन्न राज्यों में फंसे संकटग्रस्त लोगों को अब एक राज्य से दूसरे राज्य आने-जाने की छूट दे दी गयी है। इसने निश्चित ही हम प्रवासियों के निरन्तर टूटते मनोबल को सहारा तो मिला है।
पत्र में कहा गया है तमाम औपचारिकताओं के बीच घर वापसी में वक़्त लगेगा। तब तक परेशांहाल  प्रवासियों को सामाजिक रूप से संभालने की अपेक्षा आप जैसे प्रमुख प्रतिनिधि से है। ”कौथिग फाउंडेशन” ने पत्र में विधायकों से अपील की है कि एक विधायक के रूप में आपसे अनुरोध है कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के तहत आनेवाले प्रवासियों को वापस लाने के लिए आप संवैधानिक दायरे के साथ-साथ निज़ी स्तर पर भी थोड़ा और अधिक प्रयास करें।
इसी परिप्रेक्ष्य में महोदय आपसेअनुरोध कुछ इस तरह बिंदुवार किया है कि…
1 आप अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रवासियों की जानकारी हासिल करें कि आपके क्षेत्र के कितने लोग किन शहरों में कितनी संख्या में मौजूद हैं।
2 जानकारी के बाद आप संबंधित शहर में अपने परिचितों या सामाजिक प्रतिनिधि/संस्थाओं के मार्फ़त हमारी खैर-खबर लें।
3 सामाजिक संस्थाएं मदद कर रही हैं। पर जब आप जैसी शख्सियत हमारी खबर लेगा, तो हमारी टूटती उम्मीदों को भावनात्मक संजीवनी देगा।
4 आप सामाजिक संस्थाओं और शहरों में मौजूद अपने परिचितों के माध्यम से हम जैसे प्रवासियों को दिलासा दें कि उनके खेत-खलिहानों से आप उनकी चिंता कर रहे हैं।
5 इस वक़्त पेट की आग और दिल की आग साथ-साथ सुलग रही है और मन गहरे अवसाद में है। इसलिए इस वक़्त हमें दो जून की रोटी के साथ दो बोल स्नेह की भी सख्त जरूरत है। अतः आपसे संवाद_अभियान शुरू करने की नितांत अपेक्षा है।
6 आप सरकार के प्रतिनिधि हैं। स्वाभाविक रूप से सरकार को मदद के लिए आगे आने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखना आपका नैतिक दायित्व है और आप निभा भी रहे हैं। पर अपने-अपने क्षेत्रों की भागीदारी के नाते आप निजी प्रयास भी करेंगे, तो सरकार अर्थात आपकी ही संवैधानिक पहल को गति मिलेगी। वरना जितनी बड़ी संख्या में प्रवासी लौटना चाहते हैं, छूट में घोषित फौरी राहत का कारगर हो पाना आसान नहीं।
7 जहां बेहद जरूरी हो वहां सीधे आंशिक आर्थिंक दान से भी हमारी दैनिक आवश्यकताओं में आपसे मदद की गुजारिश है। ताकि जब तक हम लौट नहीं जाते तब तक हमारी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।
8 दूसरी ओर यह सही वक़्त है कि आप पता कर सकें कि आपके निर्वाचन क्षेत्र के कितने लोग बाहर हैं और कितने लोग लौट कर सरकारी योजनाओं में शामिल होकर राज्य की उन्नति में सार्थक भूमिका निभा सकते हैं।

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