CRIME

गूलर में निर्माणाधीन पुल ढहने का मामला में कंस्ट्रक्शन कंपनी और ठेकेदार पर दर्ज हुआ मुकदमा

90 मीटर स्पान के पुल के मजबूती के लिए कम से कम तीन सपोर्टिंग पिलर थे जरूरी, जबकि बने है सिर्फ दो पिलर 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
90 मीटर स्पान के आरसीसी पुल पर सिर्फ एक पिलर आखिर कैसे उठाता इतना भार 

90 मीटर लंबे दो लेन पुल का निर्माण दो चरणों में किया जा रहा है। पुल का आधा हिस्सा पहले ही तैयार हो चुका है, जबकि आधा यानी 45 मीटर हिस्से पर लेंटर डालने की तैयारियां चल रही थी। जानकार इंजीनियर्स का कहना है कि इतने लंबे स्पान के पुल के सपोर्ट के लिए इसके मध्य में केवल एक पिलर बनाया गया है। जबकि तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि 90 मीटर लंबे पुल की मजबूती के लिए कम से कम तीन सपोर्टिंग पिलर बनाए जाने चाहिए थे। इनका कहना है इसमें जहां ठेकेदार की लापरवाही तो है ही साथ ही विभागीय अभियंताओं की लापरवाही से भी इंकार नहीं किआ जा सकता जिन्होंने यह नहीं देखा कि क्या इतना लम्बा आरसीसी लैंटर पुल का भार उठाने में सक्षम भी होगा या नहीं।
ऋषिकेश । NH के अंतर्गत बन रही ऑलवेदर रोड परियोजना द्वारा शिवपुरी के निकट निर्माणाधीन पुल ढहने के मामले में कंस्ट्रक्शन कंपनी की बड़ी लापरवाही सामने आई है। निर्माण स्थल पर न तो कंपनी के इंजीनियर मौजूद थे और न ही लेंटर डालने के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। यहां तक कि कार्यस्थल पर पर्याप्त रोशनी का प्रबंध भी नहीं था। मुनिकीरेती थाने की पुलिस ने इस सिलसिले में गाजियाबाद की राजा श्याम कंस्ट्रक्शन कंपनी और ठेकेदार देवेंद्र चौधरी के खिलाफ लापरवाही बरतने का मुकदमा दर्ज किया है। विभागीय स्तर पर भी प्रकरण की जांच की जा रही है। जिसके लिए विभागीय अधिकारियों ने और नरेंद्रनगर से प्रशासनिक अधिकारियों ने मौक़ा मुआयना किया।
गौरतलब हो कि ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर शिवपुरी में गूलर के पास बन रहे आरसीसी पुल का 45 मीटर हिस्सा रविवार शाम ढह गया था। इस हिस्से में लेंटर डाले जाने की तैयारियां चल ही रही थी कि अचानक इस दौरान सेटरिंग टूट गई और पुल के ऊपर काम कर रहे 14 मजदूर गहरी खाई में गिर गए थे। हादसे में एक श्रमिक की मौत हो गई थी, जबकि 13 अन्य का एम्स ऋषिकेश में अभी भी उपचार चल रहा है।
मामले में मुनिकीरेती थाने के प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि प्राथमिक जांच में निर्माण करा रही कंपनी के स्तर पर लापरवाही बरते जाने की बात सामने आई है। थाना प्रभारी ने बताया कि हादसे के वक्त कंपनी का कोई भी इंजीनियर मौके पर नहीं था। मौके पर लाइट के पुख्ता इंतजाम भी नहीं था। मजदूर अंधेरे में ही काम कर रहे थे। यही नहीं, श्रमिकों के पास हेलमेट तक नहीं थे। निर्माण नदी तल से 22 मीटर ऊंचाई पर हो रहा था, लेकिन इस लिहाज से सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे। विभाग के स्तर पर प्रकरण की जांच जारी है। लेकिन, आपराधिक कृत्य के लिहाज से पुलिस भी अपने स्तर पर जांच करेगी। जांच में यदि अन्य भी जिम्मेदार पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
इधर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जांच के आदेश के बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर शरद कुमार ने सोमवार सुबह घटनास्थल पहुंचकर जांच की। उन्होंने आसपास के लोगों से भी जानकारी हासिल की। कहा कि, मामले की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की है। मुख्य अभियंता ने बताया कि प्रकरण की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है, जल्द विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुल का निर्माण कार्य नहीं रुकेगा। वहां से मलबा हटाने का काम शुरू करा दिया गया है।
वहीं टिहरी जिला प्रशासन की टीम ने भी दोपहर घटना का जायजा लिया। डीएम ईवा श्रीवास्तव के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी शिवचरण द्विवेदी नरेंद्रनगर की उप जिलाधिकारी युक्ता मिश्रा के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने सेटरिंग के भार वहन न कर पाने की वजह से हादसा होने की आशंका जताई।

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