UTTARAKHAND

”कौथिग” की आखिरी शाम, हेमा नेगी करासी व गजेंद्र राणा के रही नाम

हंस फाउंडेशन की मंगला माता व भोले जी महाराज का हुआ शानदार सम्मान

वेद विलास उनियाल के साथ मयंक आर्य 

नवी मुम्बई :  अगले वर्ष  एक बार फिर  मिलने के वादे के साथ नवी मुम्बई में नरुल के रामलीला मैदान में  पिछले 10 दिनों से  उत्तराखंडी गीत संगीत का ”कौथिग 2017”  का  समापन हो गया।इन दस सालों के सफर के दौरान कौथिग फाउंडेशन ने कई उतार -चढ़ाव देखे लेकिन कौथिग की टीम के जज्बे व हौसले के चलते उत्तराखंडी गीत संगीत का यह कारवां लगातार चलता ही रहा और अब अगले वर्ष एक बार फिर कौथिग नए स्वरुप में देखने को मिलेगा।  कौथिग के अध्यक्ष डॉ. योगम्बर शर्मा व केसर सिंह बिष्ट सहित सभी कार्यकर्ताओं का मनोबल व उत्साह देखने लायक रहा जिनके अथक प्रयासों से कौथिग अब 11 वें साल 2018 में एक बार फिर सबके सामने होगा। कार्यक्रम का सबसे भाव विभोर कर देने वाला क्षण तब नज़र आया जब कौथिग के महासचिव व उद्घोषक केसर बिष्ट ने टीम के सदस्यों के बच्चों को मंच पर बुलाकर यह कहना कि हम लोग हों न हों कौथिग के इस सफर को अब आगे ले जाने की जिम्मेदारी आप सब लोगों की है।इस दौरान उन्होंने बच्चों से कौथिग के लिए शपथ भी दिलवाई। वहीँ माता मंगला देवी ने भी कौथिग के सफर को अपनी शुभकामनायें दी।  
 
मुंबई कौथिग 2017 की आखिरी शाम पूरा प्रांगण हेमा नेगी करासी तथा गजेंद्र राणा के गीतों पर थिरका। हेमा नेगी ने जहाँ माँ नंदा देवी के जागर से गीतमाला की शुरुवात की तो वहीँ गजेंद्र राणा ने  मां नंदा का जागर से कौथिग को लोक परंपरा से जोड़ा। इसके बाद लीला घस्यारी, पुष्पा छोरी, नी रहेंदू मैंसे ढोंडा पडेंगे भैंसी जैसे बेहद चर्चित गीत गाए तो समां बंध गया। लोग थिरकते रहे गीतों में अपने स्वर मिलाते रहे। कौथिग की आज की शाम हेमा नेगी करासी, जुबिन नौटियाल, नेहा खकंरियाल , अनिता भट्ट के गीत लोगों को मंत्रमुग्ध कर गए।
 
कौथिग में आज विशेष रूप से माता मंगला देवी जी और भोले जी महाराजा आमंत्रित थे। इसके अलावा महाराष्ट्र के नेता गणेश नाईक का सम्मान किया गया। कौथिग फाऊंडेशन की तरफ से इस बार दस दिवसीय आयोजन किया गया। इस बार खास तौर पर युवा गायक संगीतकारों ने कौथिग को सजाया। बालीवुड के प्रसिद्ध गायक जुबिन नौटियाल ने जौनसारी गीत तेरी चिट्ठी पत्री आई ना गाया तो लोग झूम उठे। इसके अलावा उन्होंने भारतीय सेन्य परंपरा को याद करते हुए ये जिंदगी गीत गाया।
 
हेमा करासी ने अपना चिरपरिचित गिर गेंदवा गाकर कौथिग के आयोजन में समा बांधा। आयोजन के प्रारंभ में पिथौरागढ से आई छोलिया टीम ने विशेष रूप से अपना नृत्य प्रदर्शन किया। छोलिया टीम की नृत्य कौशल देखते ही बना। मशकबीन ढोल दमाऊ के साथ छोलिया नृत्य की प्रस्तुति ने नई मुंबई के नेरुल रामलीला मैदान में उत्तराखंड की वादियों की याद दिलाई। आज की एक और खास प्रस्तुति में सीआरपीएफ के जवानों ने देश भक्ति के गीतों पर नृत्य किया। वंदे मातरम, सारे जहां से अच्छा, जां तुझे सलाम गीतों की श्रंखला में जब अपनी कला का प्रदर्शन किया तो लोग झूम उठे। कौथिग में आए अथाह जनसमूह ने खडे होकर सीआरपीएफ के जवानों का अभिवादन किया।
 
कौथिग के आखिरी शाम जुबिन  नौटियाल ने जिस जौनसारी गीत तेरी चिट्ठी पत्री आई ना को गाया उसे एम टी अनपल्गड में प्रस्तुत कर चुके हैं। आयोजन में माता मंगला ने कह पहाडों से दूर इस शहर में सांस्कृति रचनात्मक आयोजन का अपना महत्व है। आयोजन के अंत में संयोजक केशर बिष्ट नेकहा कि कौथिग दस वर्ष में अपना आकार ले चुका है। उन्होंने कहा कि कौथिग जैसे आयोजन केवल गीत संगीत और नाचने गाने के लिए नहीं बल्कि समाज को अपनी परंपरा संस्कृति का अहसास कराना है।

devbhoomimedia

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