ALMORA

कोसी पुनरोद्धार कार्यक्रम को जन अभियान के रूप में चलाना होगा 

  • कोसी जलागम की 49 सहायक नदियां जो लगभग सूख चुकी
  • जबकि मानव सभ्यता का विकास नदियों से ही शुरू हुआ
अल्मोड़ा । मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट कोसी पुनरोद्वार कार्यक्रम को हमें आम जन सहभागिता के सहयोग से एक अभियान के रूप में चलाना होगा यह बात इस कार्यक्रम के संयोजक व अध्यक्ष मुख्य विकास अधिकारी मयूर दीक्षित ने डीनापानी के समीप कसार देवी विद्यापीठ (गधोली) में कोसी पुनरोद्वार कार्यक्रम के प्रथम चरण की शुरूआत के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि कोसी नदी उत्तराखण्ड के कुमाऊ क्षेत्र की एक प्रमुख नदी है जो प्रसिद्व पर्यटन स्थल कौसानी के निकट धारपानी धार से निकलने के बाद आगे निकलती इसकी 21 सहायक नदिया है और 97 अन्य जलधार है।
 
कोसी जलागम की ऐसी ही 49 सहायक नदिया भी है जो लगभग सूख चुकी है इनको पुर्नजिवित करने के लिए हमें मनरेगा के माध्यम से अनेक कार्यक्रम चलाने होंगे साथ ही गाॅवों में चाल-खाल बनाने के साथ-साथ वहाॅ चौड़ी पत्ती के वृक्षों का वृक्षारोपण व सामूहिक खेती को बढ़ावा देना होगा। मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि मनरेगा के अन्तर्गत जो भी काम किये जा सकते है उनके लिए ग्रामीणों के सुझावों को प्राथमिकता दी जायेगी। हमें लम्बी सोच बनाकर कार्य करना होगा और प्रत्येक माह कि लिए अलग-अलग कार्यक्रम निर्धारित करने होंगे ताकि कार्यक्रमों को गति मिल सके।
उन्होंने ग्राम विकास अधिकारियों व ग्राम पंचायत अधिकारियों से कहा कि वे ग्रामों में खुली बैठक बुलाकर ग्रामीणों के सुझाव लें ताकि उस पर कार्य किया जा सके। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज कार्यक्रम की शुरूआत के बाद अब गधोली क्षेत्र में जहाॅ पर वृक्षारोपण किया जाना है उसके लिए गडढे खोदने के साथ-साथ चाल-खाल, खनती बनाने का भी काम किया जायेगा ताकि बरसात में वृक्षारोपण हो सके इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों का भी सहयोग अवश्य लिया जाय। मुख्य विकास अधिकारी ने कहा गधोली काम होने पर इससे जुड़े अन्य गाॅव पिलखा, घनेली, उडयारी, घुरसौं, कुटगोली, छानी, जाखसोड़ा सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा ताकि यह कार्यक्रम एक अभियान के रूप में आगे बढ़ सके।
उत्तराखण्ड सूचना विज्ञान केन्द्र के निदेशक प्रो जीवन सिंह रावत ने बताया कि कोसी कैचमेंट एरिया को 14 रिजार्च जोनो में बाॅटा गया है जिसके लिए नोडल अधिकारी नामित किये गये है। इन रिचार्ज जोन और बरसाती नालो को सक्रिय कर नदी को नया जीवन देने के लिए मा0 मुख्यमंत्री की पहल पर इसकी शुरूआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह पहली गैर हिमानी नदी होगी जिसके उद्वार के लिए वृहद कार्यक्रम किया जा रहा है। प्रो रावत ने बताया कि 25 वर्ष के शोध के बाद इन रिचार्ज जोन और नालो को सक्रिय कर नदी को नया जीवन देने के प्रयास में जब तक ग्रामीणों की सहभागिता नहीं होगी हम तब तक इस कार्यक्रम में आगे नहीं बढ़ पायेंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपने सुझाव जिला प्रशासन को दे सकते है उन सुझावो पर अमल किया जायेगा। 
इस अवसर पर क्षेत्र के पूर्व वन पंचायत संघ के अध्यक्ष गोविन्द सिंह मेहरा, स्कूल के प्रबन्धक करन सिंह मेहरा, ग्राम प्रधान गीता देवी व स्कूल के प्रधानाचार्य सुन्दर सिंह बिष्ट ने भी अपने विचार रखते हुए इन कार्यक्रमों में आगे आने की बात कही। ग्रामीणों ने पेयजल की समस्या के साथ-साथ जंगली जानवरों से हो रहे नुकसान आदि के बारे में भी बताया। ग्रामीणों ने कहा कि यह अभियान तभी सफल हो पायेगा जब क्षेत्र में चकबन्दी को बढ़ावा दिया जायेगा साथ ही बंजर भूमि जो अब कृषि उपयोगी नहीं रह गयी है उसे उपयोग में लाने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जाय ताकि वहाॅ पर हल्दी, अदरक की खेती के साथ अन्य अभिनव प्रयोग किये जा सके। वक्ताओं ने कहा कि मानव सभ्यता का विकास नदियो से ही शुरू हुआ था इसलिए हमें इस और ध्यान देना होगा इसके साथ ही उन्होंने जल संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि, पशुपालन, दस्तकारी के लिए ठोस पहल करने की बात कही। इस अवसर पर डीनापानी (गधोली) क्षेत्र के नोडल अधिकारी  व परियोजना निदेशक नरेश कुमार ने अभी तक इस क्षेत्र में कोसी पुर्नजीवन के लिए जो कार्य किये जा रहे है उसके बारे में प्रकाश डाला और सहयोग की अपील है। जिला विकास अधिकारी मोहम्मद असलम ने कहा कि मनरेगा के कार्यों में धन की कमी नहीं आने दी जायेगी।
इस कार्यक्रम में ग्राम प्रधान पुष्कर राम, प्रवीण सिंह कम्र्याल, सरपंच नारायण सिंह मेहता, क्षेत्र पंचायत सदस्य चन्दन राम, महेन्द्र सिंह मेहरा, माधो सिंह मेहरा, समस्त नोडल अधिकारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थें। इस कार्यक्रम का संचालन खण्ड विकास अधिकारी हवालबाग पंकज काण्डपाल ने किया। इससे पूर्व विद्यालय के छात्र-छात्राआंे ने अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। 

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