UTTARAKHAND

”आरुषि निशंक” ने सीमा पर तैनात सैनिकों को भेजे खादी से बने मास्क

रक्षा सूत्र से पहले सुरक्षा कवच : आरुषि निशंक 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : स्पर्श गंगा की राष्ट्रीय संयोजिका आरुषि पोखरियाल ”निशंक” ने बॉर्डर पर तैनात सैनिकों की सुरक्षा की चिंता करते हुए खादी के कपड़े से बने रियूजेबल मास्क भिजवाए। स्पर्श गंगा जो देश और दुनिया में 2008 से काम कर रही है और पूरी दुनिया में 5.5 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं।
स्पर्श गंगा की विभिन्न टीमों ने इन फेस मास्क को खादी के कपड़ों से स्वयं घर में बनाया है।  जिन्हें धोकर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है एक बार प्रयोग में लेकर फेंके जाने वाले मास्क पर वायरस के होने से उससे और लोगों के भी कोरोना से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए हाथ से बने मास्क ज्यादा उपयोगी हैं।
इस अवसर, पर, आरुषि निशंक ने कहा, कि हम सब अपने घरों में रह कर लॉक डाउन का पालन करते हुए इस वैश्विक महामारी से लड़ रहे हैं और उधर हमारे वीर सैनिक भाई जो सीमा पर दुश्मन से लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर इस जानलेवा वायरस से हम सब का कर्तव्य बनता है कि सीमाओं को सुरक्षित करने वाले हमारे वीर सैनिक भाइयों को रक्षासूत्र बाँधने से पहले हम इस जानलेवा वायरस से सुरक्षित कर सकें इस हेतु स्पर्श गंगा की देश व्यापी टीम ने अपने भाइयों को रक्षा कवच( फेस मास्क) भेजने का निर्णय किया।
आरुषि निशंक ने कहा, रक्षा बंधन हमारे देश का सबसे प्रमुख त्योहार है जिसमें प्रत्येक बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा का धागा बांधती है और भाई सदैव बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है।  उन्होंने कहा हमारे भाई तो जी जान से सीमाओं पर अपना प्रण निभा रहे हैं तो फिर हम बहनों का भी धर्म है कि हम अपने भाइयों की कलाई को सुरक्षित करें जो सदैव हमारी रक्षा के लिए तत्पर रहती है।
उन्होंने बताया 10 हजार मास्क आर्म फोर्स क्लीनिक दिल्ली को आज सौपे गए जो कि डॉक्टर एवं सैनिक वो जो हमारी सुरक्षा के लिए लगातार बने हुए हैं उनको उपलब्ध करवाए जायेंगे।  उन्होंने कहा यह मुहिम स्पर्श गंगा ने “एक्वाक्राफ्ट” जो कि एक एनजीओ है उनके साथ मिलकर, सस्टेनेबल इनीशिएटिव के रूप में लिया गया है,ताकि हमें आर्थिकी बढ़ाने के साथ पर्यावरण के संरक्षण एवं सवर्धन में भी सहायता मिलेगी।

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