RUDRAPRAYAG

केदारनाथ विकास प्राधिकरण के इलाके बदलाव की तैयारी !

रुद्रप्रयाग : केदारनाथ विकास प्राधिकरण में तमाम विसंगतियों को देखते हुए और इसके  क्षेत्रफल में परिवर्तन किये जाने को लेकर जिला प्रशासन विचार कर रहा है वहीँ  जिला प्रशासन का मानना है कि गौरीकुंड से केदारनाथ तक के पैदल मार्ग को भी इस प्राधिकरण में शामिल किया जाना है।वहीँ वासुकीताल व चौराबाड़ी क्षेत्र को केडीए में रखा जाए या नहीं, इस पर भी विचार किया जा रहा है और इन दिनों इस इलाके का सर्वे भी कराया जा रहा है।

इस परिवर्तन के बाद केडीए (केदारनाथ विकास प्राधिकरण) के वर्तमान नक्शे में बदलाव हो जाएगा। प्रदेश सरकार भी प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट होने के कारण इन दिनों इसको लेकर गुणा-भाग करने में जुटी है कि किन क्षेत्रों को इस नक्शे में शामिल करना है और कौन से क्षेत्र हटाए जाने हैं, इस पर भी मंथन चल रहा है। ज्ञांत हो कि 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन पांच परियोजनाओं की केदारपुरी में नींव रखी थी, उन्हें धरातल पर उतारने के लिए केदारपुरी में केडीए का दफ्तर खोला जा रहा है। साथ ही इन दिनों जीपीएस से केडीए में शामिल क्षेत्र का सर्वे कार्य भी चल रहा है। जल्द ही नक्शे को अंतिम रूप देकर इसकी रिपोर्ट डीएम रुद्रप्रयाग के माध्यम से शासन को भेज दी जाएगी। वहीँ कार्य को गति देने के लिए केडीए में अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया भी चल रही है। जिलाधिकारी केडीए में मुख्य कार्याधिकारी होंगे, जबकि प्रमुख सचिव पर्यटन को प्राधिकरण के अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अलावा कार्यालय संचालन के लिए एक दर्जन अन्य पदों पर भी भर्ती होनी है।

गौरतलब हो कि प्राधिकरण में वर्तमान में वासुकीताल, चौराबाड़ी समेत केदारपुरी के दूरस्थ क्षेत्रों को भी केडीए में लिया गया है। लेकिन गौरीकुंड -केदारनाथ पैदल मार्ग इसमें शामिल नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि हरीश रावत सरकार ने केदारनाथ आपदा के तीन माह बाद सितंबर 2013 में तत्कालीन सरकार ने केडीए के गठन का शासनादेश जारी किया था। इसमें वासुकीताल व चौराबाड़ी से जुड़े क्षेत्र के साथ ही भैरव मंदिर, गरुड़चट्टी, रामबाड़ा, गौरीकुंड व त्रियुगीनारायण समेत 500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को शामिल किया गया। लेकिन अब इसे धरातल पर उतारने की तैयारी आपदा के चार साल बाद चल रही है। 

हालांकि, केडीए को लेकर स्थानीय जनता सहित तीर्थ पुरोहितों सहित स्थानीय समाज में कई भ्रांतियां भी हैं। जैसे कि केदारनाथ पैदल मार्ग को इसमें शामिल नहीं किया गया है, जबकि वासुकीताल व चौराबाड़ी क्षेत्र को इसमें शामिल किया जाना तर्कसंगत नहीं माना जा रहा। वहीँ  केडीए के अंतर्गत केदारपुरी से छह किमी दूर निर्जन  हिमालयी क्षेत्र के विकास की बात भी गले नहीं उतर रही। 

 

devbhoomimedia

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