EXCLUSIVE
प्रलय के बाद एक बार फिर उठ खड़ा हुआ केदार
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केदारनाथ यात्रा ने स्थापित किये नए कीर्तिमान
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केदारनाथ के कपाट खुलने से लेकर दर्शन कर चुके हैं 47 लाख
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नई इबारत के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की कायाकल्प की सोच
राजेन्द्र जोशी
केदारनाथ धाम पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या
2019 – 6,32,576 (14 जून तक )
2018 – 7,32,390
2017 – 4,71,235
2016 – 3,49,123
2015 – 1,59,340
2014 – 39,500
देहरादून : 16 जून 2013 में केदारनाथ में हुए भयंकर प्रलय के बाद का अपने अस्तित्व को बरक़रार रखने को बेकरार केदार और आज के केदार को देखने की बाद और बदले परिदृश्य को देखने के बाद लगता है कि महाप्रलय के छह साल बाद केदार एक नई इबारत लिखने को तैयार है। इस नई इबारत को लिखने के पीछे कहीं न कहीं भारत के प्रधानमंत्री मोदी की केदारनाथ के कायाकल्प करने की सोच और बाबा केदार के प्रति उनकी श्रद्धा का ही परिणाम है जो अब तक बाबा केदार यात्रा के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं। इस बार 29 अप्रैल को जब केदारनाथ के कपाट खुलने के दिन से लेकर आज तक लगभग 47 लाख श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं जो अब तक का रिकॉर्ड है। यही नहीं इस कठिन यात्रा को सुरक्षित यात्रा का सन्देश देश-विदेश के जन -जन तक पहुँचाने का यदि श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को ही जाता है जिनकी प्रेरणा से श्रद्धालु केदारनाथ का रुख कर रहे हैं।
केदारपुरी के नवनिर्माण में प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशन में राज्य सरकार द्वारा जो भगीरथ प्रयास हुए उससे वहां का परिदृश्य बदला है, उसने न केवल देश-दुनिया के लोगों में भरोसा कायम किया, बल्कि केदारघाटी के लोगों की टूटती उम्मीदों को भी संबल दिया है। आज केदारपुरी जिस रूप में है, उसकी संभवत: किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि वर्ष 2013 की प्रलयंकारी जलजले के आने के बाद मरघट सा मंज़र बना केदार क्या कभी ऐसा रूप ले पायेगा जहां दर्शनों के लिए मंदिर से लेकर देवदर्शनी तक दो-दो किलोमीटर लम्बी श्रद्धालुओं की लाइन लग पाएगी ? लेकिन आज के ”केदार” में श्रद्धालु भूखे -प्यासे कई घंटे लाइन में लगने के बावजूद ”बाबा केदार” का एक दर्शन पाने को आतुर नज़र आ रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने सुविधा एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए केदारपुरी को काफी कुछ संवार दिया है। इतना ही नहीं पहले से दो किलोमीटर की अतिरिक्त लम्बाई बढ़ने के बावजूद नए पैदल मार्ग से केदारपुरी के लिए यात्रियों का सैलाब हर-हर महादेव, बोल बम और जय भोले के शब्दों से साथ गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ धाम तक उमड़ पड़ा है।
श्रद्धालुओं से लबालब केदारघाटी में स्थानीय लोगों के चेहरे नई उम्मीद के साथ खिले हुए हैं। रोजी-रोटी के उपक्रमों के एक बार फिर जुटने से उन्हें लगने लगा है कि दुख के बादल छंट चुके हैं और अब उनके खुशियों को समेटने के दिन लौट आए हैं।
इस बार केदारनाथ सहित चारधाम यात्रा का पूरा परिदृश्य बदला हुआ है। इतने यात्री यहां कभी यहां देखे ही नहीं गए कि चारधाम यात्रा मार्ग ही जाम हो गया, पर्यटकों और श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए प्रशासन को यात्रा मार्ग डायवर्ट तक करना पड़ा, इतनी संख्या में पर्यटक और यात्री आ गए कि प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गयी। होटल धर्मशालाएं आदि सब इस कदर फुल हो गए कि कतिपय यात्रियों को अपने वाहनों और सड़कों पर रात गुजारने को मज़बूर होना पड़ा। कहां वर्ष 2013 में विनाशकारी प्रलय के बाद दो साल तक पूरी केदारघाटी में सन्नाटा पसरा रहा। जहां सैकड़ों में यात्रियों की संख्या उत्तराखंड के इन चार धामों की तरफ रुख करने में भी घबरा रही थी वहीं इस वर्ष इस संख्या से पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अब पर्यटक और यात्री बिना किसी खौफ के यात्रा पर चल निकला है।
इस बार की यात्रा को देखने से लगने लगा है कि 2013 की आपदा के जख्म पूरी तरह भर चुके हैं हाँ लेकिन उन लोगों की कमी तो कभी पूरी नहीं की जा सकती जिनके परिवारों ने उस विनाशकारी आपदा के दौरान अपने परिजनों, नाते-रिश्तेदारों को खोया है। यात्रा मार्ग के व्यापारियों के साथ ही तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों के चेहरों पर मुस्कान नज़र आ रही है। यहां के लोगों ने नए सिरे से अपने जीवन की शुरुआत कर दी है यात्रा ने उनके जीवन में उल्लास का संचार किया है। चारधाम खुलने के शुरुआती महीने में ही यात्रा ने संकेत दे दिए थे कि मौसम के अनुकूल रहने पर वह अब इस बार नई इबारत लिखने वाली है।
केदारनाथ धाम में महज 47 दिन में यहां यात्रियों की इतनी आमद हो चुकी है, जितनी बीते वर्षों के दौरान पूरे सीजन में भी नहीं हुई थी। वहीं बदरीनाथ धाम में भी यह संख्या बीते वर्ष के मुकाबले अब तक दो लाख से अधिक पहुंच चुकी है। गंगोत्री-यमुनोत्री में भी यात्रा की गति ने उत्साह और उम्मीद भरी है कि यहां भी यात्रा पिछले आंकड़ों को ध्वस्त करने को तैयार है।
अभी तक नहीं मिला 3187 यात्रियों का कोई अता – पता
उत्तराखंड में 16 जून 2013 को अब तक की सबसे भीषण जल प्रलय आई थी। केदारनाथ में आई इस जल प्रलय ने हजारों जिंदगियां लील लीं थी। केदारनाथ और प्रदेश के सभी पहाड़ी जिलों रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ की करीब नौ लाख आबादी आपदा की जद में आ गई थीं। सड़कें, पुल और संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गए थे।
2013 से 2018 तक मिले नरकंकाल
कुल लापता-3886
वर्ष 2013- 545
वर्ष 2014- 63
वर्ष 2015- 03
वर्ष 2016- 60
वर्ष 2017- 07
वर्ष 2018- 21
कुल – 699