HISTORY & CULTURE

देवरा गांव में कर्ण-शल्य का कफुआ नृत्य आकर्षण का केंद्र

24 गांव के लोग पहुंचे देवरा गांव जहाँ हुआ यह भव्य आयोजन

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

मोरी (उत्तरकाशी) : उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती मोरी क्षेत्र में महाभारत के विलक्षण नायक दानवीर कर्ण का सावन मेला का भव्य आयोजन परंपरानुसार हर वर्ष किया जाता है। देवरा गांव में आयोजित इस आयोजन में 24 गांवों के ग्रामीणों भी  हर साल भाग लेते हैं। इस आयोजन में कर्ण और उनके सारथी शल्य महाराज व द्वारपाल पोखू महाराज का कफुआ नृत्य खास आकर्षण का केंद्र रहता है जो इस बार भी ग्रामीणों सहित पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर गया। 

देवरा गांव में स्थित कर्ण महाराज के मंदिर परिसर में आयोजित सावन मेले में उपस्थित गांवों में देवरा सहित पोखरी, गुराड़ी, गैंच्वाण गांव, दणमाण गांव, सुस्यांण गांव, हल्टवाड़, पासा, कुंदरा, लुदराला, नानाई, रामाल गांव, डोभाल गांव, विगसारी, लिवाड़ी, फिताड़ी, जखोल, पर्वत, कोटगांव, नैटवाड़ सहित 24 गांव के ग्रामीण जुटी।

मेले में ग्रामीण अपने-अपने गांव से परम्परागत वाद्य यंत्रों को लेकर पहुंचे। जहां ग्रामीणों ने रांसो नृत्य किया। इसके साथ ही मेले में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र कर्ण, उनके सारथी शल्य महाराज व द्वारपाल पोखू महाराज का कफुआ नृत्य रहा है। इस दौरान ग्रामीणों ने कई पकवान भी बनाए तथा दूर दराज गांवों से पहुंचे मेहमानों का स्वागत भी किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में पर्यटक भी देवरा गांव में पहुंचे और मेले का आनंद लिया।

राजमोहन सिंह रांगड़ ने बताया कि इस क्षेत्र के जो पूर्वज थे। उन्हें कर्ण की वीरता, मित्रता तथा दान देने की वीरता बेहद पसंद थी। यही बात वे अपने पूर्वजों से सुनते आए हैं। यह के ग्रामीणों का कुलदेवता और इष्ट देवता कर्ण ही है। इसी कारण इस क्षेत्र में पांडवों की पूजा तथा पांडव लीला नहीं होती है।

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