UTTARAKHAND

भारत के अंतिम गांव माणा का ’’जेठ पुजाई’’उत्सव बन चुका है विशाल मेला

  • छोटे से पारम्परिक छोटे से मेले से शुरू हुआ था जेठ पुजाई उत्सव 

  • भगवान  घंण्टाकर्ण के अपने मूल मंदिर मे प्रवेश उत्सव ही है जेठ पुजाई मेला 

  • आने वाली पीढ़ियों को भी संस्कृति को जीवंत रखने की देता है यह मेला प्ररेणा

प्रकाश कपरूवाण 

बदरीनाथ । सैलानियों के सैलाब के बीच संस्कृति को संजोए रखना कोई भारत -चीन सीमा पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा से सीखे, देश के इस आखिरी गांव माणा मे छोटे से पारम्परिक छोटे से मेले से शुरू हुआ ’’जेठ पुजाई’’उत्सव अब एक विशाल मेले का रूप ले चुका है। 

देश-विदेश के सैलानियों को यहाॅ की संस्कृति से रूबरू कराने के साथ ही आने वाली पीढ़ियों को भी संस्कृति को जीवंत रखने की प्ररेणा दे रहा है जेठ पुजाई मेला । इस वर्ष मेले के समापन अवसर पर जनजाति सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष/राज्य मंत्री स्तर रामकृष्ण सिंह रावत बतौर मुख्य अतिथि मेले मे शामिल हुए। उन्होने बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट की ओर से मेला समिति को ढाई लाख रूपया देने की घोषणा की। 

सीमांत गाॅव माणा मे पौराणिक पंरपरानुसा प्रतिवर्ष जेठ पुजाई धार्मिक उत्सव का आयोजन होता है। जेष्ठ मास की संक्राति को भगवान घंण्टाकर्ण अपने शीतकालीन प्रवास स्थल से मेल मंदिर मे पंहुचते है। इस दिन पूरे दिन विशेष पूजाओं का अयोजन होता है। और इस प्रकार की पूजाएं  15 जून से 15नंवबर तक अनवरत चलती रहती है और 15 नवबर को पूरे विधि-विधान व धार्मिक पंरपराओ के साथ भगवान घंण्टाकर्ण पुन अपने शीतकालीन प्रवास पर विराजमान हो जाते है। भगवान घंण्टाकर्ण के अपने मूल मंदिर मे प्रवेश उत्सव को ही जेठ पुजाई कहा जाता है। 

जेठ पुजाई धार्मिक उत्सव को मेले का स्वरूप देने की शुरूवात वर्ष 2014 मे हुई। वर्ष 2013की आपदा के बाद तीर्थयात्रियों व सैलानियों की संख्या भी कम होती गई। देश के अंतिम गाॅव मे रौनक बदस्तूर रहे इसके लिए माणा गाॅव के जागरूक नागरिको के साथ ही माणा गाॅव के देश व विदेश मे उच्च पदो पर सेवारत कार्मिकों ने इस धार्मिक उत्सव को मेले का स्वरूप देने का फैसला किया। और वर्ष 2014 मे ही इसकी शुरूवात कर ली गई। जेठ पुजाई उत्सव को तीन दिनी मेले का स्वरूप दिए जाने का निर्णय हुआ और नामी कलाकारों का इस मेले मे आंमत्रित कर मेले के माध्यम से आपदा से उबरने का सफल प्रयास किया गया। 

मेले का आकर्षक बनाने के लिए ख्याति प्राप्त कलाकार दरबान नैथवाल, प्रेम हिदवाल, प्रीतम भरतवांण व किसन महिपाल के बाद इस वर्ष प्रतिष्ठित लोक गायिका हेमा नेगी करासी ने शानदार प्रस्तुतियाॅ प्रस्तुत कर दर्शको को भी झूमने पर विवश कर दिया । 

इस वर्ष मेले को और भी भब्य रूप देने के लिए इस वर्ष पूरे माणा गाॅव को तीन तोको पर विभिक्त कर तीनो तोको की प्रतियोगात्मक झाॅकी का आयोजन किया गया। बौना तोक, घुनै तोक व मंगर खोला तोक के ग्रामीणों ने झाॅकियों मे पूरे दमखम के साथ सिरकरत की। बौना तोक ने पौणा नृत्य व अन्य पारंपरिक नृत्यो का प्रदर्शन किया तो घुनै तोक ने जीतू बगडवाल नृत्य तथा मंगर खोला तोक ने नंदा राजजात की शानदार प्रस्तुति प्रस्तुत की। तीन दिनो तक चले इस मेले मे जहाॅ प्रशिक्षत योग शिक्षक नरेन्द्र बडवाल द्वारा योग सिखाया गया , वही इस वर्ष सीबीएसई, आईसीएसई व उत्तराख्ंाड बोर्ड मे अब्लल निकले माणा गाॅव के छात्र-छात्राओ का पुरूष्कार देकर सम्मानित किया गया। 
जेठ पुजाई मेले मे अनवरत सहयोग के लिए वर्तमान प्रधान के अलावा सभी पूर्व प्रधानों को भी अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। माणा गाॅव के ही बरिष्ठ नेत्र सर्जन किशोर कठैत को इस धार्मिक उत्सव मेले मे प्रविवर्ष विशेष सहयोग देने के लिए सम्मानित किया गया। 

जेठ पुजाई मेले के समापन समारोह को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि जनजाति सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष रामकृष्ण सिंह रावत ने कहा पौराणिक संस्कृति को जीवंत रखने का जो प्रयास माणा गाॅव द्वारा किया जा रहा है वो वाकई काबिले तारीफ है। उन्होने मेले मे आयेाजित हुए कार्यक्रमो की सराहना करते हुए कहा कि माणा गाॅव मे सैलानियों के हुजुम व ब्यावसायिक गतिविधियों के बीच मेले मे इतने सुदंर कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए इससे निश्चित ही आने वाली पीढियाॅ भी अपनी संस्कृति को जीवतं रखने के लिए पूरे मनोयोग से कार्य करेगी। दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री श्री रावत ने कहा कि बदरीनाथ व माणा मे पर्यटन व तीर्थाटन की अपार संभावनाएं है। इस पर गंभीरता से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। उन्होने बदरीनाथ विधायक महेन्द्र भटट की ओर से मेला समिति को ढाई लाख रूपया देने की घोषणा की। 

इससे पूर्व मंच पर माणा गाॅव के पूर्व प्रधान राम सिंह कंडारी व लक्ष्मण सिह रावत ने मुख्य अतिथि श्री रामकृष्ण सिह रावत को स्मृति चिन्ह, पुष्प गुच्छ व शाॅल ओढाकर सम्मानित किया। 

सेवानिवृत प्रधानाचार्य मोहन सिंह मोलपा के कुशल संचालन मे हुए समारोह मे प्रख्यात लोक गायिका हेमा नेगी करासी के लेाकगीतो की धूम रही। हेमा नेगी करासी के गीत ’’बामणी हो बामणी ’’ पर पांडाल मे बैठे दर्शक भी झूमने को विवश हो गए। 

समारोह मे नंप सलाहकार समिति बदरीनाथ के अध्यक्ष अरविंद शर्मा, जिला पंचायत के पूर्व सदस्य बाबा उदय सिह रावत, तीर्थ पुरोहित गुणानंद कोटियाल,राजेन्द्र सिह मोलपा, सूर्य विजय रावत, जगदीश रावत, बीकेटीसी के सदस्य मोनू पंचभैया, मेला समिति के अध्यक्ष कुशल सिंह बडवाल,महासचिव त्रिलोक सिंह रावत, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बडवाल,माणा के प्रधान भगत सिंह, पूर्व प्रधान पीतांबर मोलपा, गायत्री मोलपा,, मेला समिति के संस्थापक अध्यक्ष रघुबीर सिह परमार, महासचिव नारायण सिंह चैहान, कुंदन सिंह टकोला, मोहन सिह मोलपा के अलावा बदरीनाथ के थानाध्यक्ष सतेन्द्र सिंह, मलारी के गोपाल सिंह रावत, विजय पाल सिंह , प्रेम सिह रावत, सहित देश-विदेश के पर्यटक ,तीर्थयात्री व माणा तथा वामणी गाॅव के ग्रामीण बडी संख्या मे मौजूद थे।

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