तमिलनाडु। पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए उनके रिश्तेदारों ने मंगलवार को उनका हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया। रिश्तेदारों का मानना था कि जयललिता को दफनाया गया, न कि उनका दाह संस्कार किया गया। यही वजह है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए मंगलवार को श्रीरंगपटना में कावेरी नदी के तट पर उनका दाह संस्कार किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार
मुख्य पुजारी रंगनाथ लंगर ने दाह संस्कार की रस्में पूरी करवाई। दाह संस्कार में जया के शव की जगह एक गुड़िया को उनकी प्रतिकृति मानते हुए रखा गया। उन्होंने कहा, ‘इस संस्कार से जया को मोक्ष की प्राप्ति होगी। संस्कार से जुड़े कुछ और कर्म अभी बाकी हैं, जो अगले पांच दिन तक पूरे किए जाएंगे।’
क्या मेरी बहन नास्तिक थीं, जो दफनाया गया?
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के सौतेले भाई वरदराजू मुख्य तौर पर इन रस्मों में शामिल रहे। उन्होंने कहा, ‘पार्टी को जयललिता की मान्यताओं का सम्मान करना चाहिए था। क्या मेरी बहन नास्तिक थीं? क्या वह हिंदू त्योहारों और मान्यताओं को नहीं मानती थीं? क्यों उनकी पार्टी ने उन्हें दफनाने का निश्चय किया? उनके अंतिम संस्कार से हम लोगों को दूर क्यों रखा गया।’ जयललिता के मैसूर और मेलूकोटे वाले भतीजों ने भी रस्मों में हिस्सा लेकर दुख व्यक्त किया। वे वरदराजू के साथ दाह संस्कार में शामिल रहे।
मालूम हो कि किसी रिश्तेदार के बजाय जयललिता की करीबी दोस्त शशिकला ने उनके अंतिम संस्कार की आखिरी रस्में पूरी कीं थीं। ऐसा करके शशिकला ने संभवत: यह संदेश देने का प्रयास किया था कि जयललिता की राजनीतिक विरासत पर उनका अधिकार है।