Uttarakhand

जापान उत्तराखंड में भू-स्खलन रोकने को देगा 9 सौ करोड़ रुपये

  • वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.रावत ने भू-स्खलन पर ली जानकारियां

  • उत्तराखंड को भू-स्खलन को रोकने की तकनीक सिखाएगा जापान  

देहरादून: जापान इन्टरनेशल काॅपरेशन एजेंसी(जायका) के आमंत्रण पर जापान पहुंचे  प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने जायका के वरिष्ठ अधिकारियों से बैठक कर भू-स्खलन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की। वहीँ इस दौरान भारत के उत्तराखंड प्रान्त से जापान गए प्रतिनिधिमंडल को जापान ने उत्तराखंड में 900 करोड़ रुपये खर्च कर भू-स्खलन रोकने में मदद किये जाने की जानकारी भी प्रतिनिधि मंडल को दी, प्रतिनिधि मंडल के नेतृत्व कर रहे डॉ. हरक सिंह रावत ने जापान का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह धन उत्तराखंड में भू-स्खलन प्रभावित क्षेत्र में जापान की तकनीकी मदद से खर्च होगा और जिसका लाभ उत्तराखंडवासियों को मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि  उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद से राज्य सरकार का यह पहला दल है जो किसी विदेशी संस्थान के खर्चे पर विदेश की यात्रा पर गया है और देश के इस छोटे से राज्य के लिए भू-स्खलन को रोकने के लिए विदेशी धन भी लेकर आएगा। इससे पहले राज्य से जितने भी दल विदेश यात्राओं पर गए उन्होंने राज्य का पैसा ही खर्चा किया और उसके बदले राज्य को क्या मिला आज तक पता नहीं।  इतना ही नहीं डॉ. हरक सिंह रावत के नेतृत्व में जापान गए इस दल को वहां भू-स्खलन को रोकने की जो तकनीक मिलेगी डॉ. रावत ने दूरभाष पर बताया कि उसका राज्य हित में प्रयोग ही नहीं किया जायेगा बल्कि राज्य को इसका व्यापक लाभ भी मिलेगा। उन्होंने कहा वे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने इस दल को अध्ययन के लिए जापान जाने की अनुमति दी और उन्होंने कहा वे जापान सरकार का भी धन्यवाद करना चाहते हैं कि उन्होंने उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य को अपनी तकनीक के साथ -साथ आर्थिक सहयोग भी देने में राज्य की मदद की।

जापान दौरे के पहले दिन ही वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के साथ गये उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमण्डल ने जायका की सीनियर वाइस प्रेजीडेंट सुजुकी नोरिको के नेतृत्व में जायका के प्रतिनिधिमण्डल से जापान में भू-स्खलन एवं उसके ट्रीटमेंट की तकनीक को लेकर विस्तृत वार्ता की।

गौरतलब हो कि जापान भी उत्तराखण्ड की भाँति वन क्षेत्र को लेकर समानता रखता है और वहाँ भी 67 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है, जबकि उत्तराखण्ड में 71 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र में आता है। पहाड़ी क्षेत्रों में व्यापक भू-स्खलन के बाद उसके ट्रीटमेंट के लिए ही जायका की स्थापना की गई थी। जायका ने भू-स्खलन प्रभावी क्षेत्रों का व्यापक ट्रीटमेंट करते हुए पूरी दुनिया के सामने अपनी तकनीक की मिशाल पेश की। जायका ने उत्तराखण्ड के साथ अपनी तकनीक को साझा करने पर भी सहमति जताई।

डॉ. रावत ने जापान की फारेस्ट्री एजेंसी के महानिदेशक ओकी से भी मुलाकात कर भू-स्खलन को रोकने की तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की।  उत्तराखण्ड की ओर से वन मंत्री के साथ मुख्य सचिव एस. रामास्वामी, पीसीसीएफ (मानव संशाधन) मोनिश मलिक, जायका के मुख्य परियोजना अधिकारी अनूप मलिक एवं उप निदेशक राजाजी पार्क किशन चन्द आदि शामिल हैं।

devbhoomimedia

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