CAPITAL

दुर्घटनाओं को दावत देता आईएसबीटी – वाईशेप फ्लाईओवर !

  • इंजीनियर हादसा होने पर क्या जेल जाएंगे ?

  • निर्माण संस्थाओं पर दर्ज हो सकता है गैरइरादतन हत्या का केस : आलोक घिल्डियाल 

  • बल्लीवाला फ्लाई ओवर से भी लोकनिर्माण विभाग ने नहीं ली सीख  

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

आईएसबीटी के पास बने वाईशेप फ्लाईओवर घटिया निर्माण और घटिया डिजाइन को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर तमाम खामियों वाला यह फ्लाईओवर के डिजाइन को कैसे आईआईटी जैसे संस्थान ने पास कर डाला। कैसे आईआईटी कर लोकनिर्माण विभाग सहित राष्ट्रीय राजमार्ग में विलक्षण प्रतिभा के धनी इंजीनियर फ्लाई ओवर की खामी को पकड़ने में चूक गए। इतना ही नहीं कैसे सरकार को चला रहे बड़े -बड़े  तोंद वाले अधिकारियों ने भी इस फ्लाई ओवर को मंजूरी दे दी।

देहरादून : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पिछले एक दशक के दौरान कई फ्लाईओवर बनाये जा चुके हैं जिनकी लम्बाई कई किलोमीटर है लेकिन वहां बने फ्लाईओवर के निर्माण पर शायद ही कभी सवाल उठे हों। लेकिन उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी में बीते सालों में बने बल्ली वाला फ्लाईओवर हुए अब लोकार्पित हुए लेकिन वहीं आईएसबीटी  के पास बने वाई-शेप फ्लाईओवर उद्घाटन के दिन से ही विवादों में आ गया है इस फ्लाईओवर के डिजाइन पर भी तमाम सवाल उठने के बाद प्रदेश सरकार ने इस मामले में जांच बैठाई है। हालांकि इससे पहले मौत के फ्लाईओवर के नाम से विख्यात बल्लीवाला फ्लाई ओवर के निर्माण और डिजाइन की जांच कई वार हो चुकी है लेकिन उन जांचों का क्या परिणाम रहा इससे अस्थायी राजधानी की जनता अभी तक अनभिज्ञ है।  

इतना ही नहीं महानगर के बुद्धिजीवियों और तमाम जनता के बीच यह सवाल उठने लगा है कि अगर आईएसबीटी के पास बने वाईशेप फ्लाईओवर पर कोई  हादसा होता है तो क्या इस फ्लाईओवर के डिजाइन बनाने वाले और निर्माण में शामिल इंजीनियर गैर-इरादतन हत्या के मामले में जेल जाएंगे ? लोकनिर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिकारियों के तुर्रे के अनुसार आईएसबीटी वाईशेप फ्लाईओवर का डिजाइन आईआईटी मुंबई समेत चार कंसल्टेंट एजेंसियों की देखरेख में तैयार कराया गया है, लेकिन इसके निर्माण में तमाम खामियों पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। जबकि आईएसबीटी के पास बने वाईशेप फ्लाईओवर घटिया निर्माण और घटिया डिजाइन तैयार करने वाली एजेंसियों की क्षमता पर भी प्रश्न खड़ा हो गया है।

गौरतलब हो  कि आईएसबीटी और से शिमला बाई पास के बने फ्लाईओवर के निर्माण  के बाद रिस्पना पुल की तरफ से रुड़की-सहारनपुर की ओर जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए वाईशेप की मांग उठी थी जिसकी लागत 33 करोड़ आंकी गयी। आईएसबीटी के पास बने वाईशेप फ्लाईओवर निर्माण की खामियों पर अपना पल्ला झाड़ते हुए लोनिवि के अधीक्षण अभियंता राजेश चंद्र शर्मा का कहना है कि वाईशेप के लिए लोनिवि ने मैसर्स स्ट्रेंथ इंजीनियरिंग जयपुर और डिजाइन टेक स्ट्रैक्चरल कंसल्टेंट देहरादून को डिजाइन का काम सौंपा गया। डिजाइन का एमएनआईटी जयपुर और आईआईटी मुंबई से परीक्षण कराया। वहां से मंजूरी किे बाद विभाग ने डीपीआर तैयार की और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वित्त व्यय समिति की बैठक में 33 करोड़ की परियोजना को मंजूरी दी। उन्होंने विभाग और सरकार के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल करते हुए कहा कि तब क्यों इस पर सवाल नहीं उठाए कि फोरलेन फ्लाईओवर संग वाईशेप कैसे जुड़ेगा ? 

आईएसबीटी के पास बने वाईशेप फ्लाईओवर के खतरनाक  डिजाइन पर अधिवक्ता आलोक घिल्डियाल का कहना है कि सबसे पहले राज्य सरकार को ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त  कार्रवाही करनी चाहिए वहीं हादसे में अगर किसी की मौत होती है तो आईएसबीटी के पास बने वाईशेप फ्लाईओवर का डिजाइन करने वाले करने वाले इंजीनियर, अफसर और शासन के संबंधित आला अधिकारी के खिलाफ धारा 304-ए के तहत गैर इरादतन हत्या में मुकदमा दर्ज हो सकता है, उनका कहना है कि ठीक इसी तरह अभी तक 12 से अधिक लोगों की जान लेने वाला बल्लीवाला फ्लाईओवर पर अभी तक जान गवां चुके हैं उनके परिजन भी फ्लाईओवर के निर्माण करने वाले विभाग पर गैर इरादतन ह्त्या का मामला दर्ज करवा सकते हैं।  

विवादों में घिरे आईएसबीटी वाईशेप फ्लाईओवर के कारण फोरलेन मुख्य फ्लाईओवर की शेफ (बनावट) भी बिगड़ गई है। जिस फ्लाईओवर पर पूर्व में वाहन सरपट निकल रहे थे, उसपर वाई शेप फ्लाई ओवर के जुड़ने के बाद बोटलनेक बन चुका है। वाईशेप के ज्वाइंट वाली जगह हादसों को न्यौता दे रही है। आईएसबीटी वाईशेप फ्लाईओवर की इंजीनियरिंग ने एक बार फिर से लोनिवि एनएच को कटघरे में खड़ा कर दिया है। बल्लीवाला फ्लाईओवर के बाद वाईशेप फ्लाईओवर पर विभाग की फजीहत हो रही है। वन-वे फ्लाईओवर जब आईएसबीटी मुख्य फ्लाईओवर में जाकर मिलता है तो वहां पर खतरनाक प्वाइंट बन गया है। एक तरह से बोटलनेक बन गया है। वाईशेप के कारण मुख्य फ्लाईओवर पर चलने वाला ट्रैफिक भी गड़बड़ाने लगा है। फ्लाईओवर बनाने का मकसद था सरपट वाहन निकल सकें, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। डिजाइन तैयार करने वाली कंपनियों तो सवालों के घेरे में हैं ही, एनएच रुड़की खंड के अफसरों भी भविष्य में होने वाली दिक्कत को समझ नहीं पाए। उस वक्त अधिशासी अभियंता शैलेंद्र मिश्रा, अपर सहायक अभियंता अखिलेश कुमार, अवर अभियंता पुष्कर सिंह नेगी रहे। डिजाइन की खामियों को दूर करने के लिए आईएसबीटी और वाईशेप फ्लाईओवर में ट्रैफिक कंट्रोल के लिए पाइप लगाए गए हैं। फ्लाईओवर में बायीं तरफ जाना प्रतिबंधित है और ओवरटेक न करें जैसे साइनबोर्ड तो लगाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद मुसीबत दूर नहीं हुई है। 

Related Articles

Back to top button
Translate »