सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के आदेश पर रोक

- स्व.सानंद का शव 76 घंटे तक मातृ सदन में अंतिम दर्शन हेतु रखने के दिए थे निर्देश
- एम्स प्रशासन ने अंतिम दर्शन की नहीं दी थी अनुमति
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नयी दिल्ली : सोलह दिन पहले देह त्यागने वाले स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (रिटायर्ड प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल) का पार्थिव शरीर दर्शनार्थ 76 घंटे के लिए हरिद्वार स्थित मातृसदन आश्रम में पहुंचाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने हाईकोर्ट के शुक्रवार सुबह दिए फैसले को चुनौती दी थी। इसके लिए एम्स प्रबंधन ने चिकित्सकीय परिस्थितियों का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में इसी को आधार बनाया है। स्वामी सानंद के अपने जीवन काल में की गई घोषणा के अनुरूप उनका पार्थिव शरीर एम्स ने अपने पास सुरक्षित रखा हुआ है।
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद एम्स प्रबंधन ने दोपहर सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर की खंडपीठ ने एम्स की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर फौरी रोक लगा दी। साथ ही याचिकाकर्ता को सात दिन के भीतर इस संबंध में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने के आदेश दिए।1इससे पहले सुबह नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने स्वामी सानंद के अनुयायी डॉ. विजय वर्मा की याचिका पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर आठ घंटे के भीतर मातृसदन पहुंचाने के आदेश दिए थे।
इससे पहले नैनीताल हाई कोर्ट ने एम्स प्रशासन ऋषिकेश द्वारा स्वर्गीय सानंद के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए मातृ सदनभेजे जाने की अनुमति दे दी थी। शुक्रवार को हाई कोर्ट ने गंगा रक्षा के लिए बलिदान दे चुके पर्यावरण विद जीडी अग्रवाल ऊर्फ ज्ञानस्वरूप सानंद का पार्थिव शरीर आठ घंटे के भीतर मातृ सदन भेजने के निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि स्वर्गीय सानंद का शरीर 76 घंटे तक मातृ सदन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाए ।
उल्लेखनीय है कि गंगा की अविरलता और उसकी रक्षा के लिए प्रभावी कानून बनाने को लेकर 113 दिनों से तप (अनशन) कर रहे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल) ने 11 अक्टूबर को ऋषिकेश एम्स में देह त्याग दी थी। वहीं उन्होंने अपना शरीर मेडिकल छात्रों के अनुसंधान के लिए दान कर दिया था। जबकि मातृ सदन का कहना था वह उनके शरीर को मातृ सदन में अंतिम दर्शन के लिए रखना चाहता है ताकि गंगा प्रेमी उनके अंतिम दर्शन कर सकें, लेकिन एम्स प्रशासन ने सानंद के पार्थिव शरीर को मातृ सदन ले जाकर अंतिम दर्शन की अनुमति नहीं दी थी।
वर्तमान में स्वर्गीय प्रोफ़ेसर जी डी अग्रवाल का पार्थिव शरीर एम्स ऋषिकेश में सुरक्षित है। वहीं हरिद्वार निवासी व जीडी अग्रवाल के अनुयायी डॉ. विजय वर्मा ने याचिका दायर कर कहा था कि अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिए जा रहे हैं। याचिका में हिन्दू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया की अनुमति भी मांगी थी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद आठ घंटे के भीतर शव अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश से शव मातृसदन भेजने के आदेश दिए हैं।