UTTARAKHAND

उत्तराखंड की जेलों में ठूंसे गए हैं क्षमता के 62 प्रतिशत अधिक कैदी

हल्द्वानी जेल क्षमता के 341 प्रतिशत तथा देहरादून मे 225 प्रतिशत अधिक हैं कैदी

कोरोना के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रिहा करने होंगे बड़ी संख्या में कैदी

कैदियों को पैरोल पर छोड़े जाने को जेल प्रशासन ने शुरू की कवायद 

छह माह के पैरोल पर भेज दिया जाएगा घर

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जिलों में कारागार प्रशासन भी एहतियात बरत रहा है। जेल में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए कैदियों को पैरोल पर छोड़ रहा है। जिसके लिए कैदियों को चिन्हित कर सूची तैयार की जा रही है। पौड़ी जिला कारागार उप अधीक्षक जेल डीपी सिन्हा ने बताया कि जिला कारागार पौड़ी से पैरोल पर छोड़े जाने के लिए 14 कैदियों की सूची बनाई गई है। जिसे आइजी जेल को भेज दिया गया है। उक्त सभी कैदी सात साल से कम की सजा काट रहे हैं। सिन्हा ने बताया कि आइजी जेल से अनुमति मिलने पर इन सभी कैदियों को छह माह के पैरोल पर घर भेज दिया जाएगा। हालांकि बाद में इन सभी कैदियों को छह माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून : उत्तराखंड की जेलों मे उनकी क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक कैदी बंद है, इन बंद कैदियों में 61प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं, केवल 39 प्रतिशत कैदी ही सिद्धदोष कैदी हैं। हल्द्वानी जेल में क्षमता से 241 प्रतिशत अधिक कैदी बंद हैं।

यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को कारागार मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है। कोरोना के बचाव हेतु सुप्रीम कोर्ट के कैदियों को रिहा करने के आदेश के पालन में उत्तराखंड में बड़ी संख्या में कैदी रिहा करने होंगे, जिस पर सरकार ने भी हामी भर दी है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने मुख्यालय, महानिरीक्षक कारागार, उत्तराखंड से उत्तराखंड की जेलों की क्षमता तथा उनमें बंद कैदियों के सम्बन्ध में सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में कारागार मुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सी.एस.जोशी ने अपने पत्रांक 8129 दिनांक 05 मार्च 2020 से कारागारों में क्षमता के सापेक्ष कुल निरूद्ध बन्दियों की संख्या की सूचना उपलब्ध करायी है।

उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड में स्थित कुल 11 जेलों की क्षमता 3540 कैदियों की है जबकि उसमें सूचना उपलब्ध कराने की तिथि तक 5748 कैदी बंद हैं। जिसमें 2259 सिद्धदोष (सजायाफ्ता) तथा 3489 विचाराधीन कैदी हैं। कुल कैदियों में 61 प्रतिशत कैदी विचाराधीन हैं, केवल 39 प्रतिशत ही न्यायालय से सजा प्राप्त कैदी हैं।

श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार क्षमता से सर्वाधिक कैदी हल्द्वानी जेल में बंद हैं। हल्द्वानी जेल की क्षमता केवल 382 कैदियों की है जबकि वहां 1304 कैदी बंद हैं जो क्षमता का 341प्रतिशत है, दूसरे स्थान पर क्षमता के 227प्रतिशत 232 कैदी अल्मोड़ा जेल में बंद हैं जबकि क्षमता 102 कैदियों की है। तीसरे स्थान पर क्षमता के 225 प्रतिशत 1305 कैदी देहरादून जेल में बंद हैं। जबकि यहां की क्षमता केवल 580 कैदियों की है। इसके अतिरिक्त हरिद्वार जेल में क्षमता के 157 प्रतिशत 1320 कैदी, रूड़की जेल में 202 प्रतिशत 492 कैदी, नैनीताल में 203प्रतिशत 144 कैदी बंद हैं। टिहरी जेल में 112प्रतिशत 168 कैदी, पौड़ी में 104 प्रतिशत 156 कैदी बंद हैं।

उत्तराखंड में तीन जेलें ऐसी भी हैं जिसमें उनकी क्षमता से कम कैदी बंद हैं। क्षमता से सबसे कम कैदी सम्पूर्णनन्द शिविर सितारगंज में बंद हैं। इस जेल की क्षमता 300 कैदियों की है जबकि क्षमता के केवल 15प्रतिशत 45 कैदी ही यहां बंद हैं, दूसरे स्थान पर चमोली जेल में क्षमता के 54 प्रतिशत 91 कैदी तथा तीसरे स्थान पर केंद्रीय कारागार सितारगंज में 89 प्रतिशत 491 कैदी बंद हैं।

श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड की जेलों में कुल कैदियों में 61 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं जिन्हें सजा नहीं हुई है, बल्कि उन पर मुकदमें चल रहे हैं। कुल 3489 विचाराधीन कैदियों में 801 देहरादून, 526 हरिद्वार, 122 नैनीताल, 96 अल्मोड़ा, 50 चमोली, 83 पौड़ी, 113 टिहरी, 468 रूड़की, 1158 हल्द्वानी, 72 केंद्रीय कारागार सितारगंज में बंद हैं और अपने मुकदमों के फैसलों का इंतजार कर रहे हैं। सम्पूर्णनन्द शिविर सितारगंज में सभी 45 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं इसमें कोई विचाराधीन कैदी बंद नहीं है।

श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड की 11 जेलों में कुल 2259 सिद्धदोष (सजायाफ्ता) कैदी बंद हैं, जिसमें 504 देहरादून, 794 हरिद्वार, 22 नैनीताल, 136 अल्मोड़ा, 41 चमोली, 73 पौड़ी, 55 टिहरी, 24 रूड़की 146 हल्द्वानी, 419 केंद्रीय जेल सितारगंज तथा 45 सम्पूर्णानंद शिविर (खुली जेल) सितारगंज में अपनी सजा काट रहे हैं।

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