लंबित परिसंपत्तियों के बंटवारे पर त्रिवेन्द्र रावत की पहल से लगे पंख

- सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को फटकार लगाई थी
- हरिद्वार स्थित अलकनंदा रिजॉर्ट उत्तराखंड को देने पर सहमति
देहरादून : पिछले 17 सालों से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच लंबित परिसंपत्तियों के बंटवारे का मामला अब सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पहल के बाद सुलझता नज़र आ रहा है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा अब तक इस मामले में हीला – हवाली और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्रियों द्वारा उत्तराखंड के साथ सहयोगात्मक रवैया न होने के चलते यह मुद्दा कई बार आगे खिसकने के बाद पीछे जाता रहा था लेकिन अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की लखनऊ में हुई बैठक में हरिद्वार स्थित अलकनंदा रिजॉर्ट सहित उन तमाम परिसम्पतियों के मामले पर उत्तरप्रदेश की सहमति से उम्मीद बन रही है कि अब उसका अधिकार मिल जायेगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की बीते दिन लगभग दो घंटे की चर्चा -परिचर्चा के बाद हरिद्वार स्थित अलकनंदा रिजॉर्ट को उत्तराखंड को देने पर सहमति के साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि परिसंपत्तियों के अन्य लंबित प्रकरणों पर दोनों ही प्रदेशों के मुख्य सचिवों के बीच बैठक होगी। इस पर परिसंपत्तियों के निस्तारण के लिए अब अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब हो कि शनिवार को लखनऊ में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर अहम बैठक हुई थी। यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण थी। वहीँ इससे पहले हरिद्वार स्थित अलकनंदा रिजॉर्ट के मसले पर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने दोनों प्रदेशों को आपसी सहमति से मामले का निस्तारण कर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के बीच फोन पर बातचीत हुई इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि शनिवार को दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की बीच होने वाली बैठक में इस का निर्णय लिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने हरिद्वार के अलकनंदा होटल के मसले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के तर्क पर सहमति जताते हुए अपने अधिकारियों को निर्देश दिए गए वे इस संबंध में भारत सरकार के आदेश का अनुपालन करें। गौरतलब है कि वर्ष 2004 में भारत सरकार ने अलकनंदा होटल उत्तराखंड को देने का निर्णय लिया था लेकिन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों और वहां तैनात अधिकारीयों ने किसी की नहीं सुनी इसके बाद यह मामला उच्चतम न्यायलय चला गया था जिसके बाद दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को इस मामले पर बीते दिन बैठना पडा। हालाँकि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने मामले में अनावश्यक विलम्ब होने पर अप्रसन्नता भी जताई है । परिसंपत्तियों के मामले में यह भी सहमति बनी कि अब शीघ्र ही मुख्य सचिव स्तर पर एक बैठक होगी। इस बैठक में परिसंपत्तियों के बंटवारे को अंतिम रूप देते हुए निर्णय लिया जाएगा।
बैठक में उत्तराखंड के सभी तर्कों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाया। बैठक में उत्तराखंड के प्रमुख सचिव गृह आनंदवर्द्धन और उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल भी उपस्थित थे।