HISTORY & CULTURE

जौनसार-बाबर क्षेत्र के गांवों में इन दिनों मरोज पर्व की धूम

खोड़ा और शुणियात पर्व के लिए भी क्षेत्रवासियों ने शुरू कर दी तैयारियां 

ऊंचाई पर बसे गांवों में भीषण ठंड के चलते पर्व की रंगत फीकी

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

मुख्यमंत्री ने दी प्रदेशवासियों मकर संक्राति की शुभकामनाएं 

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को मकर संक्राति पर्व की शुभकामनाएं दी है। अपने शुभकामना संदेश में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि मकर संक्रान्ति का पर्व नई शुरूआत एवं नई गति का पर्व है।

इस पर्व पर सभी प्रदेशवासियों के लिए सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि भगवान सूर्य की आराधना का यह पर्व हम सबके जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करे।

देहरादून। समूचा हिन्दुस्तान मकर संक्रांति से पर्व मनाए जाने में व्यस्त है कहीं बिहू का पर्व मनाया जा रहा है तो कहीं पोंगल और यहाँ उत्तराखंड में कहीं घुघत्यार मनाया जा रहा है तो  जौनसार-बाबर क्षेत्र के हर गांव में इन दिनों माघ (मरोज) पर्व की धूम है।

लोग जहां घरों में लोक नृत्य और गीतों की रंगत बिखेर रहे हैं, वहीं घर-घर में दावतों का दौर जारी है। वहीं, खोड़ा और शुणियात पर्व के लिए भी क्षेत्रवासियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। माघ मरोज पर्व के चलते जौनसार बावर क्षेत्र के हर गांव में उत्साह का माहौल है। पर्व पर विशेष तौर से दावतों का दौर चल रहा है। रिश्तेदार और मेहमानों का लगातार आना-जाना लगा है। जिनकी सभी परिवार के लोग अच्छी खातिरदारी करते नजर आ रहे हैं।

क्षेत्र में किसी भी पर्व पर नाचते गाने का रिवाज भी सदियों से चला रहा है। इसके चलते शाम होते ही गांव-गांव में ग्रामीण महिलाएं और पुरुष देर रात तक ढोल-दमाऊं की थाप पर नाच-गाकर खुशी मना रहे हैं। गांवों में देर रात तक ठंडू बेणी छुमके मां मेरिए सुरकिए ढाके लावणा गैंगले दुरीबोलाए, स्वाइना लांबो काटी घासा, खंजरी लेकर माघरो मीना बौठा तू भी आया माइते, काटो तो सियारा ओली बांदा रोशनिएं, मीनके बांमोटे लाले बिमूरे हौडे आदि लोक गीतों की धुन पर ग्रामीण नाचते गाते पर्व की खुशियां बांट रहे हैं।

उधर, मकर संक्रांति के बाद मनाये जाने वाले खोड़ा व शुणियात पर्व के लिए भी ग्रामीणों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इसके लिए घरों में शाही पकवान बनाने के साथ बाजारों से खरीददारी भी की जा रही है। जौनसार बावर क्षेत्र में ऊंचाई पर बसे गांवों में भीषण ठंड के चलते पर्व की रंगत फीकी नजर आ रही है।

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