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सदन में सरकार ने माना छात्रवृत्तियों में हुआ फर्जीवाड़ा

विधानसभा में आज ……

सरकारी धन के दुरूपयोग को रोकने के लिए मंत्री ने दिया जवाब

देहरादून । उत्तराखण्ड में घोटाले होना कोई नई बात नहीं है। सदन में भी घोटालों को लेकर मामले गूंजते रहे है। वहीं, आज गुरूवार को राज्य की विधानसभा में छात्रवृत्ति के घोटाले की गूंज रही। विभागीय मंत्री ने भी स्वीकार किया कि छात्रवृत्तियों के वितरण में फर्जीवाड़ा हुआ है जिसे रोकने के लिए व सरकारी धन के दुरूपयोग को रोकने हेतु शासनादेश के माध्यम से दिशा निर्देश जारी किये गये है।

सदन में विधायक प्रीतम सिंह पंवार के संबंधित सवाल के जवाब में समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कहा है कि प्रदेश में छात्रवृत्तियों के वितरण में पारदर्शिता लाये जाने, छात्र-छात्राओं के फर्जी प्रवेश व सरकारी धन के दुरूपयोग को रोकने के लिए विस्तृत दिशा निर्देश 3 मई 2017 के शासनादेश के माध्यम से जारी किये गये है। उन्होंने कहा कि अब लाभार्थियों के नाम वेबसाईट पर प्रकाशित किये जाने, वितरित छात्र वृत्ति का कई स्तरीय भौतिक सत्यापन किये जाने तथा इसके अलावा छात्र-छात्राओं के प्रवेश की पुष्टि कराकर, उत्तीर्ण सैमेस्टर के प्रमाण पत्र और अंकतालिका तथा उपस्थिति रिपोर्ट प्राप्त कर ही रिपोर्ट के नियम संगत होने पर छात्रवृत्ति के भुगतान की कार्यवाही की व्यवस्था की गयी हैं। मंत्री ने कहा कि यदि किसी भी तरह की अनियमितता का मामला सामने आता है तो संबंधित के खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी।

ग्रामीण क्षेत्र जबरन नगर निगम में नहीः कौशिक

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने आज विधानसभा में घोशणा करते हुए विपक्ष को विश्वास दिलाया कि आसपास के क्षेत्रों को नगर निकायों में षामिल करने के क्रम में पहले से स्थापित प्रक्रिया का पूरी तरह अक्षरषः पालन ही नही किया जायेगा बल्कि यह आश्वासन भी दिया कि इसमें सरकार कोई जबरदस्ती नही करेगी। उन्हांेने विपक्ष को यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार में भी यह प्रक्रिया दोबार चलाई गई थी।

इसमें सरकार की मंशा विधिवत विज्ञापित करने से लेकर आपत्तियां आमंत्रित करके जनसुनवाई की प्रक्रिया शामिल होगी। नगर निगम व नगर पालिका विस्तार में सटे गांवों को जोड़ने की कोषिषों क विरोध में ग्रामीण निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के आंदोलन को लेकर विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव पर सदन में नियम 310 में चर्चा कराने की मांग आई और विपक्ष के हंगामे के चलते विधानसभाध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल ने इसे नियम 58 में ग्राह्यता में सुना और षहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का पक्ष आने के बाद अस्वीकार कर दिया गया। नेता प्रतिपक्ष डाक्टर इंदिरा हृदयेश कहा कि प्रदेष के महानगर व नगर पालिकाओं से सटे ग्रामों को गांव से जोड़ना न्याय संगत नही है। गांव के लोग शहर की चकाचौंध, भीडभाड,गंदगी व अपने ऊपर लगने वाले करों से बचना चाहते है। इसलिए नगर निगम सेवा विस्तार का ग्राम पंचायतों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से विरोध किया जा रहा है।

उन्होने हल्द्वानी में कूडे के ढेरों का संदर्भ दिया तो कौशिक ने तपाक से कहा कि ये ढेर कोई दो महीने में नही लगे । डाक्टर इंदिरा ने प्रक्रिया से पहले इस संबंध में सर्वेक्षण कराने का सुझाव देते हुए नगर निकायों के कर राजस्व एकत्र करने में फिसड्डीपन, सफाई कर्मियों समेत कर्मचारियों को वेतन-पेंषन देने में असमर्थता आदि के कारण आसपास के क्षेत्रों को इनमें षामिल करने के विचार को ही गलत बताया तो कौशिक ने ध्यान दिलाया कि ग्रामीण क्षेत्र से लोग तो वैसे ही शहरों में अनियोजित रूप में आकर मलिन बस्तियों का कारण बन रहे हैं । इससे तमाम समस्यायें पैदा हो रही है। सरकार निकायों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को परिधि में लाकर उन्हे सफाई ,सीवर, पानी-बिजली की उचित सुविधायें दे पायेगी ।

उन्होने कहा कि डबल इंजन की सरकार में कर्मचारियों को वेतन आदि के लिये परेषान नही होना पडेगा । इस पर षहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने तर्क दिया कि नगर निगम विस्तार करना सरकार का उद्देष्य गांव निवासियों को शहरी योजना से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि कई षहरी आवास योजना व उन्हें मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना है। चर्चा में कांगे्रेस के गोविन्द सिंह कुंजवाल व प्रीतम सिंह पंवार ने भी भाग लिया और बताया कि उनके समय में आपत्तियां आई तो उन्होने प्रस्ताव वापस ले लिया था।

सिडकुल में काम करें मजदूर की न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई जायेगी

विधानसभा बजट सत्र के दौरान सिडकुल के चल रही ठेकेदारी प्रथा व श्रमिक की वेतन बढ़ोतरी का मुद्दा सदन में जोर षोर से उठा। इस पर सरकार ने कहा कि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी का बढ़ाया जायेगा। सदन की कार्यवाही के दौरान प्रष्नकाल में सल्ट के विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना के सवाल किया कि उत्तराखण्ड में सिडकुल या अन्य नियोजन में कार्य करने वाले श्रमिक को मजदूरी के तौर पर 250 से लेकर 300 रूपये प्रतिदिन तक देने का कानून है। जबकि दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी 9724 प्रति माह व 374 रूपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 13350 प्रति माह व 512 रूपये प्रतिदिन दिया जा रहा है।

जीना ने कहा कि उत्तराखण्ड व दिल्ली के व्यक्ति में फिलहाल कोई समानता ही नही है। यहां की सिडकुल कम्पनियां अगर हमारे मजदूर का उत्पीड़न करती है तो ऐसी कम्पनियों की हमें यहां आवष्यकता नही है। इस पर श्रम मंत्री डाक्टर हरक सिंह रावत ने बताया कि मजदूरी की दरों के पुनरीक्षण को समिति और उप समिति के गठन तथा धारा- 7 मेंअन्तर्गत न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड से वेतन पुनरीक्षण की व्यवस्था है। जीना ने कहा कि वर्श 2012 में नेता सदन ने आश्वासन दिया था कि मजदूरी बढ़ाई जायेगी। इसके लिए आश्वासन समिति का गठन किया भी गया था लेकिन पांच वर्श बीतने के बाद भी समिति का निर्णय नही आया है। तब विभागीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि उत्तराखण्ड के मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी सरकार बढ़ायेगी।

गांव-गांव से खेल प्रतिभायें लाई जायेंगी बाहरः पाण्डे

प्रदेश में खेल व खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए गांव-गांव से खेत से जुड़ी प्रतिभाओं को बाहर निकाला जायेगा। खिलाड़ियों को प्रेक्टिस लिए प्रत्येक ब्लाक में एक कोच की नियुक्ति की जायेगी। ये बात शिक्षा, खेल एंव युवा कल्याण मंत्री अरविन्द पाण्डे ने विधायक प्रीतम पंवार के सवाल पर कही। पाण्डेय ने कहा कि प्रदेष में दो बड़े स्टेडियम व सैकड़ों मिनी स्टेडियम बनाएं गये है, लेकिन चिंता का विषय है ये है कि अधिकतर स्टेडियम में घास उग आई है, जहां खिलाड़ी के बजाय भैंस व जानवर चुगने आते हैं ।

पाण्डे ने कहा कि सरकार की चिंता ये है कि प्रदेष के युवा व युवतियां विश्व के पटल पर खेलने कैसे जाये। सरकार ने ऐसे प्रतिभाओं को गांव से बाहर निकालने के लिए 13 जिलों में एक विषेशज्ञ टीम को भेजने का निर्णय लिया है। जो गांव- गांव जाकर खेल प्रतिभा को बाहर निकाल कर लायेगी जिनकी फिजिकल जांच कराकर ये पता लगाया जायेगा वे किसी खेल में रूचि रखते हैं। इस दौरान विपक्ष की नेता डाक्टर इंदिरा हृदयेष ने सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश में बने दो बड़े स्टेडियम के रख- रखाव के लिए किसी निजी कम्पनी से अनुबंध किया जाये।

सौरभ ने उठाया सिडकुल में ठेकेदारी प्रथा का मुद्दा

सितारगंज विधायक सौरभ बहुगुणा ने सिडकुल में काम कर रहें मजदूरी को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त कराने का मुद्दा उठाया। जवाब मं सरकार ने कहा कि सरकार ठेकेदारी प्रथा खत्म करने को सख्ती से आदेष जारी करेगी। सितारगंज के विधायक सौरभ बहुगुणा ने कहा कि सितारगंज सिडकुल में अधिकतर श्रमिक व कर्मचारियों को ठेकेदार के माध्यम से रखा गया है।

ऐसे में उनका जबरदस्त उत्पीड़न किया जा रहा है। बहुगुणा ने कहा कि जब किसी कर्मचारी व मजदूर के साथ कोई दुर्घटना होती है तो संम्बधित कम्पनी से यह कहकर मुआवजा नही दिया जाता कि ये हमारी कम्पनी का कर्मचारी नही है। इससें पीडित परिवार को न्याय नही मिल पाता है। इसके साथ ही उसे अपनी मेहनत का सही मुआवजा भी नही मिलता है।

इसी मुद्दे को लालकुंआ विधायक नवीन दुम्का व मगन लाल शाह ने भी समर्थन किया। इस पर श्रम मंत्री डाक्टर हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने मजदूरों के साथ कोई अन्याय न हों, इसके निर्देश दिये हैं। इसके बाद भी सरकार पुनः सख्ती से आदेश जारी करेगी। श्रमिक के साथ किसी तरह का उत्पीड़न बर्दाश्त नही किया जायेगा। सरकार ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने के लिए सख्ती से निपटेगी।

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