एसएलपी मामले में नाटकीय मोड़, अब मामले को सुलझाना चाहता है उमेश कुमार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व पत्रकार एवं खानपुर से विधायक उमेश कुमार से जुड़ी विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी के मामले में एक नाटकीय मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई अहम सुनवाई के दौरान उमेश कुमार के वकील कपिल सिब्बल ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि उनके मुवक्किल अब इस मामले को सुलझाना चाहते हैं। वह अब मुकदमा नहीं चाहते हैं और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा दर्ज याचिका का समर्थन करेंगे।
उत्तराखंड सरकार ने उमेश कुमार के खिलाफ दायर एसएलपी को वापस लेने का सनसनीखेज फैसला 24 घंटे में ही वापस ले लिया। इसके बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान उमेश कुमार की ओर से ये गुहार लगाई गई।
सुप्रीम कोर्ट में त्रिवेंद्र सिंह रावत की याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान उमेश कुमार शर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि उनके मुव्वकिल (उमेश कुमार शर्मा) मामले को सुलझाना चाहते हैं।
उधर, त्रिवेंद्र सिंह रावत के वकील आत्माराम एनएस नाटकर्णी ने सुनवाई के दौरान कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्ट का फैसला न्याय की नीति के विरुद्ध है और उसे रद्द किया जाना चाहिए। वह अपना पक्ष रख ही रहे थे कि कपिल सिब्बल ने उन्हें बीच में रोकते हुए न्यायालय के समक्ष कहा कि वो इस मामले में ‘मुकदमा नहीं चाहते हैं।’
इस मामले को हल करने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से समय देने की मांग की। कपिल सिब्बल ने कोर्ट में स्पष्ट रूप से ये कहा कि ‘वो त्रिवेंद्र सिंह रावत की याचिका का समर्थन करेंगे।’ कपिल सिब्बल के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 जनवरी, 2023 की तारीख तय की है।
दरअसल, 2020 में एक सोशल मीडिया पोस्ट में उमेश कुमार ने तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने डा. हरेंद्र सिंह रावत और उनके परिवार के बैंक खाते के माध्यम से काला धन अपने बैंक खाते में जमा करवाया। इसके खिलाफ हरेंद्र रावत ने अपने बैंक खातों की एसआईटी की जांच करवाई, जिसके पश्चात उमेश कुमार शर्मा के खिलाफ देहरादून में एफआईआर दर्ज कराई गई। इस एफआईआर के विरुद्ध उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में गुहार लगाई।
अक्टूबर 2020 में सुनवाई के दौरान जस्टिस रवींद्र मैठाणी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। दूसरे दिन ही राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। जहां त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह इस मामले में पक्षकार भी नहीं हैं। यह उमेश कुमार और हरेंद्र रावत के बीच का मामला था, जिस पर आश्चर्य जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगा दी।