मुख्यमंत्री ने कालेधन को रोकने के लिए कि गई पहल का स्वागत करते हुए की कुछ छूट की मांग
देहरादून : मुख्यमंत्री हरीश रावत ने काले धन, पॉच सौ व हजार रुपये के नोटों को बन्द करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर जनमानस को हो रही कठिनाईयों से अवगत कराते हुए जहॅा उनके कालेधन को रोकने के लिए कि गई पहल का स्वागत करते हुए कुछ छूट की मांग की है।
अपने पत्र में श्री रावत ने प्रधानमंत्री को बताया कि उन्होने स्वंय उनके निर्णय का स्वागत किया था परन्तु जनता को हो रही कठिनाईयों से वो अवगत करा रहे है अपने पत्र में उक्त निर्णय के परिणामस्वरूप आम जन को होने वाली कठिनाईयों से उनको अवगत कराते हुए कहा है कि भारतीय समाज में अपने परिश्रम से व ईमानदारी से संचित की गई जमा पूंजी, जो आम जन व महिलायें अपने परिवार की आपात स्थिति, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, निजी आवास व शादी जैसे कार्यो के लिए, आढ़े समय काम आने की सम्भावनाओं पर संचित करते हैं, ऐसे धन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कुछ विशेष छूट दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा हमारे समाज में महिलायें स्त्री धन एवं परिवार के बच्चों की गुल्लक आदि व शगुन के रूप में मिलने वाले धन को भी परम्परागत रूप से एकत्रित इस आशा से करती हैं कि संकट की घड़ी में उस धन का उपयोग परिवार के हित में किया जा सकेगा। उन्होने अपने पत्र में देश की अर्थव्यवस्था पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी, स्व0 नरसिम्हा राव व डा0 मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बहुत तेजी से आगे बढ़ने का हवाला देते हुए कहा कि अब देश की अग्रणीय अर्थव्यवस्था के रुप में जाना जाता है, अब हम उन्नीस सौ अठ्त्तर से बहुत आगे निकल आयें हैं, आज छोटे व्यापारी, रेड़ी पट्री वाले भी इस अर्थ व्यवस्था में अपना खून-पसीना देकर भागीदारी कर रहे हैं।
श्री रावत ने उत्तराखण्ड राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में भी कार्यरत व सेवानिवृत्त सैनिक, अर्द्धसैनिक बल, उनसे जुड़े परिवार व गृहणीयां अपनी संचित पूंजी को बैंकिंग सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण अपने पास ही रखती हैं पर भी प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होने उपरोक्त सभी वर्गों के संचित धन को काले धन की श्रेणी में रखा जाना उचित नहीं ठहराया है।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध करते हुए कहा कि ऐसी संचित पूंजी की सीमा को कम से कम रू0 दस लाख तक व न्यून्तम आयकर के भुगतान के बाद रू0 बीस लाख तक किया जाना आज भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए किया जाना उपयुक्त रहेगा और उससे आम जनमानस को अपने परिश्रम से संचित की गई पूंजी को खोने की पीड़ा से राहत देने में प्रधानमंत्री का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।