30 करोड़ लोगों को पहले फेज में कोरोना वैक्सीन देने पर भारत का आएगा कितना खर्च …जानिए

पहले फेज में भारत के 103.11 अरब रुपए से 132.57 अरब रुपए होंगे खर्च
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
फिर भी दुनिया की एक चौथाई आबादी को 2022 तक नहीं मिल पाएगा कोविड-19 का टीका
दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी को 2022 तक कोविड-19 का टीका संभवत: नहीं मिल पाएगा। ‘द बीएमजे’ में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन में यह बताया गया है और सचेत किया गया है कि टीका वितरित करना, उसे विकसित करने जितना ही चुनौतीपूर्ण होगा।
इसी पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में अनुमान जताया गया हो कि दुनियाभर में 3.7 अरब वयस्क कोविड-19 का टीका लगवाना चाहते हैं, जो खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत रणनीतियां बनाने की महत्ता को रेखांकित करता है। ये अध्ययन दर्शाते हैं कि वैश्विक कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की संचालनात्मक चुनौतियां टीका विकसित करने से जुड़ी वैज्ञानिक चुनौतियों जितनी ही मुश्किल होंगी। अमेरिका में ‘जॉन्स हॉप्किन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, ”यह अध्ययन बताता है कि अधिक आय वाले देशों ने किस प्रकार कोविड-19 टीकों की भविष्य में आपूर्ति सुनिश्चित कर ली है, लेकिन शेष दुनिया में इनकी पहुंच अनिश्चित है।”
उन्होंने कहा कि टीकों की आधी से अधिक खुराक (51 प्रतिशत) अधिक आय वाले देशों को मिलेंगी, जो दुनिया की आबादी का 14 प्रतिशत हैं और बाकी बची खुराक कम एवं मध्यम आय वाले देशों को मिलेंगी, जबकि वे दुनिया की जनसंख्या का 85 प्रतिशत से अधिक हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी को 2022 तक कोविड-19 का टीका संभवत: नहीं मिल पाएगा और यदि सभी टीका निर्माता अधिकतम निर्माण क्षमता तक पहुंचने में सफल हो जाए, तो भी 2022 तक दुनिया के कम से कम पांचवें हिस्से तक टीका नहीं पहुंच पाएगा।
नई दिल्ली : भारत में कोरोना टीकाकरण के पहले फेज की तैयारी जोरशोर से चल रही है। इस पर भारत को एक बड़ी धनराशि खर्च करनी होगी। गावी वैक्सीन अलायंस के अनुमान के मुताबिक, कोवाक्स ग्लोबल वैक्सीन-शेयरिंग स्कीम के तहत मदद मिलने के बावजूद भारत को पहले फेज में 103.11 अरब रुपए से 132.57 अरब रुपए खर्च करने होंगे।
अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे अधिक कोरोना संक्रमण वाला देश अगले छह से आठ महीनों में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की तैयारी में है। एस्ट्राजेनेका, रूस के स्पूतिक, जायडस कैडिला और देसी भारत बायोटेक के टीके लगाए जा सकते हैं। रॉयटर्स की ओर से रिव्यू कि गए डॉक्युमेंट्स में बताया गया है कि विशाल आबादी के टीकाकरण के लिए भारत के सामने फंडिंग की कितनी बड़ी चुनौती है। फ्रंटलाइन वर्कर्स और जोखिम वाले लोगों के टीकाकरण के लिए 60 करोड़ डोज की आवश्यकता होगी।
यदि भारत को वैक्सीन के 19-25 करोड़ शॉट्स कोवाक्स फैसिलिटी के तहत मिल जाते हैं तो सरकार को बाकी के डोज पर 1.4 अरब डॉलर (103.11 अरब रुपए) खर्च करने होंगे। यह बात गावी की तीन दिवसीय बोर्ड मीटिंग के लिए तैयार एक रिपोर्ट में यह बात गई है, जिसे अभी पब्लिश नहीं किया गया है।
यदि भारत को 9.5-12.5 करोड़ डोज मिलते हैं तो सरकार को अतिरिक्त खरीद पर 132.57 अरब रुपए खर्च करने होंगे, जबकि 2020-21 के केंद्रीय बजट में हेल्थकेयर के लिए 10 अरब डॉलर (736.51 अरब रुपए) का प्रावधान किया गया था। स्वास्थ्य या वित्त मंत्रालय की ओर से इसको लेकर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और GAVI की ओर से चलाए जा रहे कोवाक्स प्लान का उद्देश्य गरीब और मध्यम आमदनी वाले देशों को जांच किट, दवा और वैक्सीन उपलब्ध कराना है। यह जिस फंड के जरिए किया जा रहा है उसे एक्सेस टु कोविड-19 टूल्स (ATC) एक्सीलेटर नाम दिया गया है, जिसकी स्थापना अप्रैल में की गई थी।
भारत सरकार ने वैक्सीन प्रोग्राम पर होने वाले खर्च को लेकर कोई अनुमान पेश नहीं किया है। हालांकि, उसने कहा है कि पूरी आबादी को कोरोना टीका उपलब्ध कराने के लिए सभी संसाधन लगाए जाएंगे। सरकारों, दवा कंपनियों, दानदाताओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के गठबंधन GAVI ने कहा कि वह भारत सरकार के साथ सपोर्ट पैकेज को लेकर बातचीत कर रहा है।