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मेडिकल कॉलेज निर्माण में यूपीआरएनएन कितने बार देगा रिवाइज इस्टीमेट !

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रिवाइज इस्टीमेट के बाद यूपीआरएनएन पर उठे सवाल
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कई बार रिवाइज इस्टीमेट के बाद भी अधूरा है निर्माण
- यूपीआरएनएन का रिवाइज इस्टीमेट का क्या है ”खेल”
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वर्ष 2016 में पूरा होने था ओपीडी का निर्माण
थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराया जा सकता है
रिवाइज इस्टीमेट के प्रस्ताव को शासन को भेज दिया गया है। अब शासन स्तर पर तकनीकी ¨वग के माध्यम से परीक्षण कराया जाएगा कि मांग जायज है, या नहीं। इस तरह के बड़े कार्यों में थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराया जाता है, लिहाजा जो भी नियमों में होगा, उसकी के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
युगल किशोर पंत, निदेशक (चिकित्सा शिक्षा)
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज व इसके अंतर्गत ओपीडी ब्लॉक आदि के अवशेष निर्माण को पूरा करने के लिए कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) ने एक बार फिर करीब 65 करोड़ रुपये की मांग की है। इस दौरान कई बार ठेकेदार बदले जा चुके हैं और एक बाद पोर्च का छज्जा भी घटिया निर्माण के चलते जहाँ गिर चुका है वहीँ एक ही लेंटर को छह -छह बार नापने के आरोप भी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के अधिकारियों पर लग चुके हैं। इस बार एक बार फिर रिवाइज इस्टीमेट की मांग को लेकर सवाल भी खड़े होने लगे हैं, क्योंकि चिकित्सा शिक्षा निदेशालय निर्माण निगम को करीब इस भवन का पूरा भुगतान कर चुका है। वहीं निर्माण निगम द्वारा रिवाइज इस्टीमेट को लेकर निदेशालय में असमंजस की स्थिति में है कि काम भी पूरा नहीं हुआ और फिर पूरा भुगतान भी दे चुके हैं तो अब कैसे होगा और भुगतान।
गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को दून मेडिकल कॉलेज आदि का निर्माण करीब 406 करोड़ रुपये में करना था। इसमें कॉलेज के भवनों का निर्माण 227.53 करोड़ रुपये, ओपीडी ब्लॉक 45 करोड़ व ओ. टी. आदि का काम 129 करोड़ रुपये में करना था।
रिवाइज इस्टीमेट का ”खेल”
चर्चाओं के अनुसार यूपीआरएनएन उत्तराखंड में किये गए कई निर्माण कार्यों पर रिवाइज इस्टीमेट का ”खेल” खेलता रहा है। निर्माण निगम के इस ”खेल” में जहाँ निगम के अधिकारियों की मौज होती है वहीं सूबे के जिस विभाग का कार्य किया जा रहा होता है उनके अधिकारी भी इस ”खेल” में लिप्त रहते हैं क्योंकि जिस कार्य के लिए जितना धन इस्टीमेट के अनुसार नियत होता है अधिकारियों की मिलीभगत से उस निर्माण कार्य की लागत उससे कई अधिक दर्शायी जाती है और अधिक पैसा लेकर दोनों विभागों के अधिकारियों की जेबें भरी जाती रही है। यह पहला मामला नहीं जब ”रिवाइज इस्टीमेट” का ”खेल” खेला जा रहा है।