उत्तराखण्ड में खंगाली जा रही है धन्नासेठ पत्रकारों की कुंडली

पत्रकार विजिलेंस की रडार पर
देहरादून : उत्तराखण्ड में अब ऐसे पत्रकारों की कुडली खंगाली जा रही है जो कि राज्य बनने के बाद यहां पहुंचे और बीते कुछ ही सालों में लाखों करोड़ों के मालिक बन गये। ऐसे पत्रकारों की सूची एलआईयू ने तैयार की है और अब यह विजिलेंस के पास है। यहीं नहीं यह बिल्कुल गोपनीय तरीके से किया जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो यहां इस समय चार दर्जन पत्रकार ऐसे हैं जो कि पिछले कुछ सालों में यहां आकर करोड़पति बन गये। इन पत्रकारों में कुछ तो ऐसे हैं जो कि यह चाय विस्कुट बेचेन आये थे और अब पत्रकार है। कुछ ने चैनलों के नाम पर तो कुछ ने अखबारों के नाम खूब धन कमाया। इन सभी की कुंडली इनके मूल निवास तक जाकर खंगाली जा रही है। बताया जा रहा है कि पिछले दो सालों से यह लिस्ट तैयार की जा रही थी और अब जाकर फाईनल हुयी है।
इसमें 47 पत्रकारों के नाम शामिल किए गये हैं। ये सभी इनकम टैक्स की रडार पर भी हैं। सबसे अधिक पत्रकार वो हैं जो कि पिछले दस सालों में यहां आये और लखपति से करोड़पति हो गये। इसमें भी दो यहां के मूल निवासी हैं और बाकी यूपी और दिल्ली के हैं। अधिकांश वो हैं जिनको पत्रकारिता की एबीसीडी भी नहीं आती है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल से शुरू यह जांच अब अपने आखिरी चरण में है। इसके बाद इनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि अभी तक पुलिस का कोई भी अधिकारी यह नही बता रहा है कि क्या-क्या जांच की जा रही है. लेकिन सूत्रों के अनुसार कुछ पत्रकारों ने तो यहां तीन-तीन, चार-चार फ्लेट ले रखे हैं जबकि उनकी यहां आने से पहले कुछ तो टूटी चप्पल में यहाँ आये थे और कुछ की संपति मात्र 20 से पचास हजार रूपये थी और अब वे करोड़ों के मालिक है। यही नहीं कुछ के पास लाखों के प्लाट और बड़ी -बड़ी गाडि़यां हैं।
एक समाचार पत्र के संपादक का तो ये हाल है कि कभी उसके पास खाने के पैसे नहीं थे और जब से देहरादून पहुंचा यहां लखपति हो गया। एक तो कुछ उदाहरण हैं खुफिया विभाग को जांच में कई ऐसी जानकारियां मिली कि आप सुनेंगे तो चौंक जायेंगे। एक ऐसे कलम के सिपाही भी हैं जिनके दो बच्चों की फीस तेरह हजार रूपये महीना जाती है और उनकी कमाई 1200 रूपये महीना है वो भी उनके साप्ताहिक समाचार पत्र में छपने वाले विज्ञापनों से। घर की माली हालत की बात करें तो उनके पास एक एक्सयूवी और दो कारों के साथ ही तीन दुपहिया हैं और मकान की कीमत लगभग एक करोड़।
यदि इनके पुश्तैनी धन दौलत की बात की जाए तो घर में कच्चा मकान है और दो भाई राज मिस्त्री का काम करते हैं। पिता नहीं हैं और मां आज भी दूसरे के घरों में गोबर के उपले पाथने का काम करती है। दोनों भाइयों के बच्चे भी नगर निगम के स्कूल में जाते हैं। ऐसे में इन सज्जन ने कहा से इतना धन कमा लिया यह भी विचारणीय प्रश्न है। बाकी की रिपोर्ट हम आपको फिर देंगे आज के लिए इतना ही। यदि अनुमति मिली तो हम उनके नाम भी प्रकाशित करेंगे।