केंद्र व राज्य की सरकारों ने हमारे प्रवासी भाइयों को उनके हाल पर छोड़ा : यूकेडी
व्यवसाय के अनुसार पहले बैंक क़िस्त, टैक्स व अन्य करों में पूरी छूट दे सरकार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
ऋषिकेश। उत्तराखण्ड क्रांति दल के संरक्षक व पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने कहा कि भाजपा व कॉंग्रेस की कुनीति से त्रस्त होकर आज उत्तराखण्ड का निवासी उक्रांद की ओर विकास की आस लगाए बैठा है। पंवार ने इस कोरोना संक्रमण महामारी में केंद्र व राज्य की सरकारों ने हमारे प्रवासी भाइयों को उनके हाल पर छोड़ दिया और सिर्फ अपने घर वापसी का अस्वासन देकर चलता कर दिया। पंवार ने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में साफ फर्क दिख रहा है कि लोगो को झांसे में लेने के लिए बीस लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज की बात करके लोगों को कर्ज मुक्त बनाने की ओर अग्रसर कर दिया । यदि सरकार कोविड19 महामारी में लोगो को वास्तविक मदद करना चाहती तो उन्हें उनके व्यवसाय के अनुसार पहले बैंक क़िस्त, टैक्स व अन्य करों में पूरी छूट देती।
पंवार ने कहा, कि उत्तराखण्ड सरकार के मुखिया ने 25000 कोरोना संक्रमण प्रवासियों के उत्तराखंड वापस आने की संभावना को लेकर बचकाना बयान दिया जिस कारण आज हमारे पहाड़ों में रैबासी व प्रवासियों के मध्य झगड़े की बाते सुनाई दे रही है।
सरकार को चाहिए कि राज्य में सभी धर्मशालाओं को कोरोना संक्रमण काल के लिए बिना किराए के सरकार अधिग्रहण करके उन्हें क्वारीनटाइन सेंटर में तब्दील कर। जिसमे बाहरी राज्यों से आने वाले सभी प्रवासियों को 14 दिन हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, विकासनगर, कोटद्वार, हल्द्वानी, रामनगर आदि स्थानों पर क्वारीनटाइन करके ही अपने अपने गांव को भेजा जाए जिससे शांतप्रिय पर्वतीय जनपदों में सामाजिक सौहार्द बना रह सके। पंवार ने कहा कि सरकार कागजी आंकड़ो के अलावा धरातल पर भी कार्य करे व राज्यभर इस महामारी के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा किये जा रहे कार्यों की गुणवत्ता व कार्यप्रणाली की ओर भी ध्यान रखकर समय समय पर मॉनीटिरिंग करवा कर जन सामान्य के अवलोकन हेतु प्रकाशित करें।
पंवार ने कहा कि सरकार सिर्फ राज्य के चार जनपदों पर ही ध्यान दे रही है जबकि हमारे सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में खाद्यान संकट से ग्रामीण जूझ रहे है उन क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
उक्रांद संरक्षक ने कहा की उत्तराखण्ड सरकार को सभी विधायकों व सांसदों की निधि को आगामी मार्च 2022 तक के लिए रोक लगा देना चाहिए व इस पैंसे से कोरोना महामारी के दौरान हुए नुकसान को पूर्ण करने हेतु विकास कार्यों पर ख़र्च करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की आजीविका धर्माटन व पर्यटन पर आश्रित है इसलिए इस व्यवसाय से जुड़े हुए सभी व्यापारियों व कामगारों की आर्थिक मदद की जानी आवश्यक है।