LAW & ORDERs
स्टिंग मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई को दी हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति

पूर्व सीएम रावत को अंतिम आदेश तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता : कोर्ट
मामले में अगली सुनवाई एक नवंबर को होगी
सिब्बल ने हरक सिंह रावत व उमेश शर्मा के बीच बातचीत का ब्यौरा किया कोर्ट के सामने प्रस्तुत
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
आखिर क्या है मामला
वर्ष 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत के नेतृत्व में नौ कांग्रेस विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। हरीश रावत हाईकोर्ट गए थे जहां से उनकी सरकार बहाल हुई थी। इस दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के एक निजी चैनल के मालिक ने हरीश रावत का स्टिंग किया था जिसमें हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख़्त की बात करते दिखाई दिए थे।
मामले में इसी स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल के.के.पॉल ने सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की थी। सरकार बहाल होने के बाद हरीश रावत ने इस केस की जांच सीबीआई के बजाय एसआईटी से करवाने की सिफारिश की थी, लेकिन यह मामला सीबीआई के पास ही रहा।
इसके बाद हरीश रावत गिरफ़्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण में चले गए थे और हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले वह कोर्ट से अनुमति ले। तीन सितंबर को सीबीआई ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी थी कि उसने इस केस की जांच पूरी कर ली है और वह जल्द ही इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करना चाहती है।