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कोविड-19 से जंग में कैंसर, हाइपर टेंशन, डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज में बाधा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मई महीने में 155 देशों में तीन सप्ताहों के दौरान सर्वे में सामने आया निष्कर्ष

ऐसी स्थिति वैसे तो दुनियाभर में पैदा हुई है, लेकिन निम्न आय वाले देश सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए 

आधे से ज़्यादा देशों ने बताया है कि वहाँ ग़ैर-संचारी बीमारियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ आँशिक रूप से पूर्ण रूप से बाधित हुई हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों के कारण कैन्सर, डायबिटीज़, हाइपरटेन्शन और अन्य ग़ैर संचारी बीमारियों की रोकथाम व इलाज सम्बन्धी सेवाओं में गम्भीर बाधा खड़ी हो गई है। संयुक्त राष्ट्र समाचार में प्रकाशित रिपोर्ट  के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन के सोमवार को प्रकाशित एक ताज़ा सर्वे के अनुसार इन बीमारियों के कारण दुनियाभर में हर साल चार करोड़ से ज़्यादा लोगों की मौत होती है। 
रिपोर्ट में स्वास्थ्य एजेन्सी के हवाले से कहा गया है कि यह स्थिति बहुत चिन्ताजनक है क्योंकि इन बीमारियों से पीड़ित मरीज़ गम्भीर रूप से बीमार होने के लिए बहुत संवेदनशील हो जाते हैं, या फिर नॉवल कोरोनावायरस के संक्रमण से उनकी मौत भी हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडनेहॉम गैबरेयेसस का कहना है, “इस सर्वे के परिणामों से उन चिन्ताओं की पुष्टि होती है जो हम पिछले अनेक सप्ताहों से देशों से सुनते आए हैं.”। “कैन्सर, दिल की बीमारियों और डायबिटीज़ के जिन मरीज़ों को इलाज की ज़रूरत है, उन्हें कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से वो स्वास्थ्य सेवाएँ और दवाएँ नहीं मिल पा रहे हैं जिनकी उन्हें बेहद ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि ये बहुत ज़रूरी है कि सभी देश ये सुनिश्चित करने के रचनात्मक और नवीकरण वाले तरीक़े खोजें, जिनके ज़रिए ग़ैर-संचारी बीमारियों के मरीज़ों को ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएँ, कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के दौरान भी मिलती रहें।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई महीने में 155 देशों में तीन सप्ताहों के दौरान ये सर्वे किया। इसके परिणाम ये पुष्टि करते हैं कि ऐसी स्थिति वैसे तो दुनियाभर में पैदा हुई है, लेकिन निम्न आय वाले देश सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। इनमें से आधे से ज़्यादा देशों ने बताया है कि वहाँ ग़ैर-संचारी बीमारियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ आँशिक रूप से पूर्ण रूप से बाधित हुई हैं। 
दो तिहाई देशों का कहना है कि ऐसे मरीज़ों की पुनर्वास सम्बन्धी सेवाएँ प्रभावित हुई हैं। जबकि आश्चर्यचकित कर देने वाली बात ये है कि 94 प्रतिशत देशों में ग़ैर-संचारी बीमारियों सम्बन्धी स्वास्थ्य सेवाओं में काम करने वाला स्टाफ़ आँशिक या पूर्ण रूप से कोविड-19 का मुक़ाबला करने के संसाधनों पर लगा दिया गया है। आधे से ज़्यादा देशों में छाती या सर्वाइकल कैन्सर की पहले से जाँच (स्क्रीनिन्ग) की सुविधाएँ भी स्थगित कर दी गई हैं। 
सर्वे में मालूम हुआ है कि दुनिया के लगभग हर कोने में इस महामारी से पैदा हुए संकट के दौरान भी कुछ अच्छी बातें सामने आई हैं। अधिकतर देशों ने उच्चतम जोखिम का सामना करने वाले लोगों की मदद के लिए वैकल्पिक रणनीतियाँ बनाई हैं, ताकि कोविड-19 महामारी के दौरान भी उनका सटीक इलाज चलता रहे।
इनमें डॉक्टरों से मुलाक़ातों के स्थान पर फ़ोन व अन्य तकनीकों व उपकरणों का सहारा लिया जा रहा है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन में ग़ैर-संचारी रोग सम्बन्धी विभाग के निदेशक डॉक्टर बेन्ते मिक्कलसन का कहना है कि ताज़ा स्थिति का पूरा प्रभाव जानने में अभी कुछ और समय लगेगा।  
विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें
“हम अब ये जान चुके हैं कि ग़ैर-संचारी बीमारियों के मरीज़ों की स्थिति कोरोनावायरस से गम्भीर रूप से बीमार होने के लिए बेहद नाज़ुक व संवेदनशील है, मगर बहुत से ऐसे मरीज़ों को अपना सटीक इलाज कराने के लिए ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं।”
उनका कहना है कि सभी देशों के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि वो कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने की रणनीतियों के दौरान भी ग़ैर-संचारी बीमारियों के मरीज़ों की देखभाल को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शामिल रखें।

devbhoomimedia

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