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सीमा पर बसे भारतीयों ने कहा, नेपाल के लिए एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेंगे
सुगौली की संधि को नकार रहे नेपाल का सीमा पर बसे लोगों ने किया विरोध
भारत नेपाल सीमा पर लोगों ने कहा, जो जमीन हमारी है वो हमारी ही रहेगी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । लगभग 131वर्ष स्वतंत्रता से पूर्व अंग्रेजों और नेपाल सरकार के बीच हुई सुगौली की संधि को अब नेपाल नकार रहा है। नेपाल ने भारत के साथ अपने पुराने और बेहतर संबंधों को भुलाकर सीमा विवाद खड़ा कर दिया है। क्या नेपाल चीन के इशारे पर भारत के साथ अपने संबंधों को नज़र अंदाज़ कर रहा है। ये कुछ सवाल हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में हैं। वहीं, भारत नेपाल सीमा पर बसे लोगों का कहना है कि हम भारतवासी हैं। हम नेपाल के लिए अपनी एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेंगे।
आपको बता दें कि वर्ष 1816 में नेपाल और ब्रिटिश शासन के बीच एक संधि हुई थी, जिसे सुगौली की संधि के नाम से जाना जाता है। इस संधि के अनुसार, कालापानी से बहने वाली काली नदी भारत और नेपाल की सीमाओं को निर्धारित करती है। इस नदी के एक तरफ भारत और दूसरी तरह नेपाल है। लेकिन नेपाल अब सुगौली की संधि से मुकर गया और लिपुलेख, लिम्पियाधुरा को अपनी सीमा में बताकर सीमा विवाद खड़ा करने लगा है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला पड़ाव धारचूला है, जो पिथौरागढ़ से लगती भारत और नेपाल सीमा पर सबसे बड़ा कस्बा है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि नेपाल से अच्छे रिश्ते हैं पर जहां तक जमीन की बात है तो हम अपनी एक भी इंच अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे। उनका कहना है कि “जो जमीन हमारी है वो हमारी ही रहेगी”।
भारत-नेपाल सीमा के दोनों तरफ बसे लोगों की रिश्तेदारियां हैं, वहीं सांस्कृतिक तथा व्यापारिक संबंध भी है। नेपाल की नई जिद से लोग काफी हैरान हैं। उनका कहना है कि भारत हमेशा नेपाल को हितैषी रहा है। भारत नेपाल सीमा पर बसे लोगों का मानना है कि नेपाल यह हरकत चीन के इशारे पर कर रहा है।