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ग्राउंड रिपोर्ट : अब नो मेन्स लैंड पर कब्जे करवा रहा है नेपाल

भारत के नरम रुख का कई सालों से फायदा उठाता रहा है नेपाल

भारत को भी अपनी सीमा पर करनी चाहिए चौकसी और मजबूत 

दिनेश मानसेरा 
बनवसा (नेपाल) : उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से लगी नेपाल सीमा पर नोमेन्स लैंड पर नेपाली नागरिक कब्जे कर रहे है,ऐसा पिछले कई सालों से चल रहा है,दोनों देशों के सीमावर्ती जिलो के अधिकरियों की हर छह माह में होने वाली मीटिंग में भी ये मुद्दे उठते रहे है और पुनःसर्वे करने की बात कह कर इस मामले को टाला जाता रहा है।
नेपाल और भारत के बीच सीमा पिलर बने हुए है इन सीमा पिलर्स के दोनों तरफ पच्चास पच्चास मीटर तक नोमेन्स लैंड दोनों देशों की तरफ ,अंतरराष्ट्रीय संधि के मुताबिक बनी रहे ऐसा प्रावधान किया गया है,किंतु नेपाल की तरफ से नोमेन्स लैंड पर नेपाली लोगो के कब्जे हो रहे है।उत्तराखंड के चंपावत जिले में बनबसा सीमा भारत पिलर संख्या 805(1) 8से लेकर 14 तक नेपाली लोगो ने पिलर तक कब्जे कर लिए है।  पिलर संख्या 10 के आसपास नेपाली मदिरा की दुकानें भारत की तरफ मुंह खोले खुली हुई है और बराबर में पिलर को दाब दिया गया है।
जब भी नेपाली कब्जेदारों से ये पूछा जाता है आप नोमेन्स लैंड पर क्यों कब्जा किये हुए हो तो जवाब मिलता है हमारे पास नेपाल प्रशासन का लाल पुरचा (भूमि पट्टा) है जिसे वो दिखा देते है,चुकी ये कब्जे नेपालसीमा के नोमेन्स लैंड पर है लिहाजा भारतीय अधिकारी बेबस हो जाते है।कई बार नेपाली और भारतीय अतिक्रमणकारी भारत के नोमेन्स एरिया मे भी कब्जे करने की कोशिश करते है जिसे वन विभाग,सिचाई विभाग और एसएसबी हटाती रहती है। टनकपुर में शारदा बैराज को पार करके नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी है यह सीमा पिलर ही गायब हो गया है कुछ साल पहले जब चंपावत और नेपाल के कंचनपुर प्रशासन ने इसे खोजा तो उसे एक झोपड़ी के अंदर पाया, इस बारे में चम्पावत जिला प्रशासन द्वारा जब कड़ा एतराज भी दर्ज किया गया तो झोपड़ी को हटा दिया गया।किंतु आसपास कब्जे बरकरार रहे है।
भारत नेपाल की खुली सीमा है कई स्थान तो ऐसे है जहां नदी सीमा विभाजित नही है वहां खेतो की मेड़ से सीमा विभाजित है,उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में मेलाघाट सीमा चौकी के आसपास येही ज़मीन विभाजन है जहां नेपाल की खुली सीमा पर लोग एक कदम फांद कर नेपाल आजा सकते है अक्सर इसी एरिया से अवांछित तत्वों का आना जाना रहता है।
यूपी में पीलीभीत, लखीमपुर गौरखपुर और अन्य जिलों में भी येही हालात है खबर ये भी है नेपाल ने नोमेन्स लैंड पर ही अपनी सीमा चौकियां बनानी शुरू कर दी है जबकि इन्हें सीमा पिलर से पच्चास मीटर दूर बनानी चाहिए भारत के एसएसबी की सीमा चौकियां भी इतनी ही दूर बनी हुई है, नेपाल ने लीपूपास सीमा विवाद पर अपनी संसद में नए नक्शे को लेकर कूटनीति शुरू की हुई है। इसके साथ साथ उसने भारत के सीमा पर चौकियां थर्मन पॉवर सीसीटीवी कैमरे चीन के सहयोग से लगाने शुरू कर दिए है।

नेपाल को भारत रोजगार से लेकर कई व्यापारिक सुविधाएं देता रहा है। परंपरागत रोटी बेटी का रिश्ता निभाता रहा है लेकिन राज शाही की समाप्ति के बाद से नेपाल बदल गया है वहां सशस्त्र संघर्ष माओवादियो ने चीन के संरक्षण में चलाया वहां की युवा पीढ़ी में भारत के प्रति जहर घोला जा रहा है ,वहां के स्कूलों में विश्वविद्यालयों में चीनी भाषा पढ़ाई जा रही है और इनके शिक्षकों का वेतन भी चीनी दूतावास देता है।

भारत से नेपाल दूर हो रहा है ऐसा आभास पिछले कई सालों से हो रहा है,नेपाल चीन की सीमा खुली है वैसे ही भारत नेपाल सीमा खुली हुई है,जिस प्रकार के हालात नेपाल सरकार पैदा कर रही है जिस तरह से नोमेन्स लैंड पर कब्जे करवाये जा रहे हैं उसे देखते हुए भारत को भी अपनी सीमा पर चौकसी और मजबूत करनी चाहिए सीमा खुली रहे किंतु उसके मार्ग निर्धारित हो बाकि सीमा पर पाकिस्तान ,बंग्लादेश सीमा की तरह तारबाड़ लगाई जानी चाहिए इससे भारत की आंतरिक सुरक्षा भी मजबूत होगी ।

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