‘नेताओं’ के लिये तो नहीं टालेगी सरकार कृषि व बागवानी एकीकरण
जनहित के लिये किये गये निर्णयों को पलटने का सरकार का कोई इरादा नहीं : सुबोध
देहरादून । कृषि,कृषि विपणन, कृषि प्रसंस्करण,कृषि शिक्षा, उद्यान एवं फलोद्यान तथा रेशम विकास सुबोध उनियाल का कहना है कि कृषि और औद्यानिकी के बीच सामंजस्य ओैर समान प्रकृति के अलावा कार्य की सुविधा के लिये ही इनके विभागों को एक किये जाने का निर्णय किया गया है । उनका यह भी कहना है कि जनहित के लिये किये गये निर्णयों को पलटने का सरकार का कोई इरादा नही है। अब इसमें किसी की नेतागिरी प्रभावित होती है तो क्या किया जा सकता है़ ? उनियाल आज यहां भारतीय जनता पार्टी के बलबीर रोड कार्यालय में दैनिक जनता दर्शन कार्यक्रम के बाद एकत्र पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे ।
आज के जनता दर्शन में लगभग एक सौ लोगों की समस्या का यथा स्थान समाधान किया गया । आवेदनों पर निर्देश लिखने के साथ मंत्री ने सीधे अफसरों से बात भी की कि वे आवेदक को उनके पास भेज रहे हैं । पहले पंजीकृत आवेदकों की शिकायतों की क्रमशः सुनवाई हुई और उसके बाद अपंजीकृत शिकायतों को भी सुना गया । असल में हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक हिन्दी दैनिक अखबार में कृषि और बागबानी के एकीकरण के विरोध में एक लंबा – चौडा लेख लिखा है जिसका लुब्बो लुबाब यह है कि उत्तराखंड में बागवानी संस्थान बहुत पुराने है और उनकी उपलब्धियां भी हैं । उन्होने इनके अलग रहने की जरूरत बताया है।
उनियाल का इस बारे में कहना था कि कृषि और बागवानी अफसरों व वैज्ञानिकों के विषय एक ही है जो दोनां विषयों के साथ न्याय कर सकते हैं लेकिन फिलहाल इनमें से यदि कोई अफसर और वैज्ञानिक फील्ड में जाये तो किसी किसान या बागवान के कोई समस्या बताने पर अफसर बडी आसानी से यह कह कर टाल देता है कि ये उनके विभाग का मामला नही है। यह कृषि और बागवानी दोनों के अफसरों के साथ है जबकि वे दोनों की समस्या का आसानी से समाधान कर सकते हैं । फिर हम डुप्लीकेसी क्यां जारी रहने दें ? कुछ अन्य सवालों का जवाब देते हुए उनियाल ने कहा कि फसल नष्ट करने वाले जानवरों सुअरों और बंदरों को मारने को हमारे किसान तैयार ही नही है वरना वे जब चाहे केंद्रीय कृषि मंत्री से इन्हे मारने की अनुमति दिला सकते हैं ।
उन्होने बताया कि पडोसी हिमाचल प्रदेश में सुअरों और बंदरों को मारने की अनुमति है। पहले उत्तराखंड में भी सुअरों को मारने की अनुमति थी जिसकी अवधि समाप्त हो रही है लेकिन किसी ने सुअर मारे ही नही । उनका कहना था कि सरकार वनों में फलदार वृक्ष लगाने पर काम कर रही है ताकि वन्य जंतुओं को भूख के कारण वनों से बाहर आने की जरूरत न हो ।
उनियाल ने बताया कि राज्य में किसानों की आय दोगुणा करने को सरकार ने समय पर बीज व खाद के अलावा कृषि उपकरणों का ‘टूल रूम’ स्थान-स्थान पर बनाया जा रहे हैं । आपदा में परिवहन बंद होने पर तैयार फसल खराब न हो,इसके लिये शीतगृह बनाये जा रहे हैं । आपदा में फसल खराब होने पर प्रति एकड 10 हजार रूपये देने की व्यवस्था है । सूखा सर्वेक्षण को इकाई तहसील पोस्ट हारवेस्ट में कलेक्शन सेंटर बनाये जा रहे हैं । सरकार का जोर वैल्यू एडीशन पर है । उसमें पेकेजिंग भी शामिल है। 250 करोड रूपये से महत्वाकांक्षी सेव मिशन चलाया जा रहा है। हरबल,मशरूम,जडीबूटी को अटल हरबल मिशन है।
तराई बीज विकास निगम को पर्वतीय बीज उत्पादन केंद्र में बदला जा रहा है। राज्य की मंडियों में फूलों के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाने को इसे नोटिफाई किया गया है। आंशिक चकबंदी को वेधानिक रूप देने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। वार्ता में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, प्रवक्ता विनय गोयल, मंत्री सुनील उनियाल गामा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी उर्बादत्त भट्ट, जितेंद्र सिंह रावत मोनी आदि भी थे।