गैरसैण को प्रदेश की स्थायी राजधानी बनाने से मुंह फेर रही है सरकार

श्रीनगर (गढ़वाल ) : उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण बनाए जाने को लेकर ‘राजधानी संवाद’ नाम से श्रीनगर में एक परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन के जल, जंगल, जमीन, स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार के सवाल सरकारों ने सवाल बनाकर ही रख दिए हैं। पलायन को उत्तराखंड की बड़ी समस्या बना दिया है। गैरसैंण राजधानी की मांग इन सभी समस्याओं के समाधान की मांग भी है। जिससे वो उत्तराखंड राज्य बन सके जो राज्य आंदोलन का सपना था।
परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने से सरकार मुंह फेर रही है। डालमिया धर्मशाला में आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा आज उत्तराखंड में उसी तरह समस्याओं का पहाड़ खड़ा कर दिया है जिस तरह राज्य आंदोलन के दौर में था। कहा गैरसैण की मांग पहाड़ बचाने के साथ ही मैदान बचाने की लड़ाई भी है।
वक्ताओं ने कहा सरकार केवल ठेकेदारों, खनन व शराब माफियाओं के पक्ष में नीतियां बना रही है और स्थायी राजधानी सहित जनता के सवालों को लेकर गंभीर नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी केदार सिंह बिष्ट ने की। मौके पर राज्य आंदोलनकारी मदन मोहन नौटियाल, इंद्रेश मैखुरी, योगेंद्र कांडपाल, संजय घिल्डियाल, अतुल सती, प्रभाकर बाबुलकर, मोहित डिमरी, कपूर सिंह, शिवानी पांडेय, भारती जोशी, भगवती प्रसाद मैंदोली, सचिन थपलियाल, उमा घिल्डियाल, विकास कठैत, रेशमा, पीबी डोभाल आदि मौजूद रहे।