सरकार से करार तोड़ने वाले डॉक्टरों पर सख्त हुई सरकार
- उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल रजिस्ट्रेशन भी किया जा सकता है निरस्त
- वर्ष 2017 से पहले कोर्स करने वालों से होगी 30 लाख की वसूली
- वर्ष 2017 व उसके बाद कोर्स करने वालों से होगी एक करोड़ रुपये की वसूली
देहरादून : उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में सेवा देने के नाम पर और सरकारी खर्चे से एमबीबीएस की डिग्री लेकर प्रदेश के अस्पतालों में सेवाएं न देने वाले डॉक्टरों पर सरकार कठोर कार्रवाही करने जा रही है इसके तहत अब ऐसे डॉक्टरों का उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल रजिस्ट्रेशन भी निरस्त किया जा सकता है। इतना ही नहीं चिकित्सा विभाग ऐसे सभी चिकित्सकों का चिह्नीकरण भी करने जा रही है। सरकार का मानना है कि अब करार तोड़ने वाले जिन डॉक्टरों ने वर्ष 2017 से पहले कोर्स किया है उनसे 30 लाख रुपये और वर्ष 2017 व उसके बाद कोर्स पूरा करने वाले डॉक्टरों से एक करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में वसूल किया जायेगा।
गौरतलब हो कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए राज्य सरकारों ने एमबीबीएस, एमडी समेत अन्य मेडिकल संबंधी पढ़ाई को सस्ती फीस पर कराने का प्रावधान रखा था। सरकारी योजना के तहत मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों से बॉंड भराया जाता है। बॉंड के अनुसार ऐसे छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद एक निश्चित समय के लिए प्रदेश में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य किया गया है। बावजूद इसके अधिकांश मेडिकल के छात्र इस बांड भरने की बाद भी इसका अनुपालन नहीं कर रहे हैं। वहीँ अधिकाँश ऐसे डॉक्टर बन बैठे छात्र अब पढ़ाई पूरी करने के बाद यह छात्र निजी क्षेत्र अथवा अन्य राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
हालाँकि कुछ समय पहले स्वास्थ महकमे ने इनका रिकार्ड खंगाला था। इस रिकार्ड के अनुसार सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पास आउट होने वालों में से इस वर्ष जनवरी तक तक केवल 244 ने ही अस्पतालों में तैनाती दी थी। 213 ने तैनाती नहीं दी जबकि 218 ऐसे पाए गए, जिनके संबंध में न तो सरकार के पास ही उनकी कोई जानकारी थी ही नहीं और न ही स्वास्थ्य महकमे के पास ही ।
अब सरकार ने ऐसे डॉक्टरों पर सख्ती दिखाते हुए स्वास्थ्य महकमे ने अनुपस्थित रहे सभी डॉक्टरों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर तैनाती देने के निर्देश दिए। इनमें से तकरीबन सौ डॉक्टर तैनाती दे चुके हैं। शेष अभी भी भी अपनी सेवाएं नहीं दे रहे हैं। इस वर्ष पास आउट होने वाले कुछ डॉक्टर ने भी अपनी तैनाती नहीं दी है। इसे देखते हुए अब शासन ने ठोस और कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया है।