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छात्र वृत्ति घोटाले में गीता तो एक कड़ी है,अब एसआईटी को जोड़नी बाकी और लड़ी है

समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल ने एसआईटी के समक्ष किया सरेंडर

एसआईटी के सामने सब कड़ियों को खोलने की जिम्मेदारी

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून । छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल ने आखिर काफी ना नुकुर के बाद एसआईटी के समक्ष सरेंडर कर ही दिया। वह मामले में काफी समय से फरार चल रहे थे। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने पर आखिर वह खुद रोशनाबाद स्थित जिला पुलिस मुख्यालय में बने एसआईटी कार्यालय पहुंच गए। एसआईटी के अधिकारी उनसे पूछताछ में जुटे रहे। लेकिन अब एसआईटी के सामने गीता राम सहित भ्रष्टाचार की इस कड़ी के साथ इतनी और लड़ी है और मामले में कितने और किरदार हैं उसको गांठ को खोलने  की चुनौती आ खड़ी हुई है।  

गौरतलब हो कि करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी पिछले कई माह से संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की तलाश में जुटी हुई थी। कोर्ट से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट लेकर गिरफ्तारी के लिए तमाम संभावित स्थानों पर छापेमारी भी की गई थी। लेकिन वह हत्थे नहीं चढ़े। नौटियाल के गिरफ्त में न आने पर उनके खिलाफ कुर्की की एक्सरसाइज भी शुरू कर दी गई थी। पिछले दिनों देहरादून में बसंत विहार में नौटियाल के घर एसआईटी ने कुर्की नोटिस चस्पा करते हुए बाकायदा मुनादी तक कराई थी। इतना ही नहीं हाईकोर्ट के निर्देश के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए नौटियाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी थी और सात दिन के अंदर एसआईटी के सामने पेश होने के आदेश दिए थे।

मामले में एसआईटी अध्यक्ष मंजूनाथ टीसी ने बताया कि आरोपी संयुक्त निदेशक को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। करोड़ों के सरकारी खजाने को चपत लगा चुके समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल हरिद्वार के जिला समाज कल्याण अधिकारी भी रहे हैं। यहां तैनाती के दौरान ही उन्होंने ही छात्रवृति घोटाले का खेल खेला। नौटियाल के अलावा एक पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर एवं चार सहायक समाज कल्याण अधिकारी भी छात्रवृति घोटाले में अब तक गिरफ्तार हो चुके हैं।

लेकिन अब गीता राम की गिरफ्तारी के बाद एसआईटी के सामने उन सब कड़ियों को खोलने की जिम्मेदारी आ खड़ी हुई है जो गीता से जुडी हुई हैं।  मामले में वे अधिकारी भी क्या गिरफ्त में आ पाएंगे जिन्होंने गीताराम की गिरफ्तारी के आदेश निकलने के बाद से उसे बचाने के वे सभी प्रयास किये जो  उन्हें नहीं करने चाहिए थे। मामले में यह तथ्य में सामने आने जरुरी है कि उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने तक इस कॉकस ने कितने गड़बड़-घोटाले किये हैं। 

मिली जानकारी के अनुसार अपनी नौकरी की शुरुआत से ही ये लोग यूपी के समय ये वहां भी शिकायत करने वालों को धमकाते रहे थे l जैसा कि उन्होंने उत्तराखंड के ”व्हिसिल ब्लोअर” के साथ किया इतना ही नहीं यूपी से उत्तराखण्ड आने पर  इसने अपनी इस शिकायत की पत्रावाली शासन से गायब करवा दी है ऐसा सूत्रों का कहना है।

सूत्रों के अनुसार ये कागज़ शासन में इसकी फाईल में नहीं है l लेकिन निदेशालय में इसकी फाईल में इसके ये कागज़ बचे रह गये l इन कागजों  पर अगर किसी भी अधिकारी ने संज्ञान लिया होता तो ये कभी भी उपनिदेशक नहीं बन पाता क्योंकि इसकी प्रोबेशन की ही सेवाये संतोषजनक नहीं थी l इतना ही नहीं इस मामले में इसका पूरा साथ एक आईएएस ने दिया जो इसकी चाची का भाई है से मिलीभगत कर अपनी सेवाओं को संतोषजनक बता कर ना केवल एससीपी का लाभ लिया बल्कि प्रमोशन भी ले लिया l

इतना ही नहीं इस मामले में चर्चित एक पीसीएस अधिकारी  के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत भी है जिसकी फाइल को सतर्कता विभाग उत्तराखण्ड शासन के अनुसचिव ने दबा के रखा हुआ है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शासन का सतर्कता विभाग के कर्मचारी भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करने के बजाय उनसे उगाही कर अपना घर भरने में लगे हुए हैं । चर्चा है कि उन्हें उनके विभागाध्यक्ष से भी पूरी शह मिली हुई है । 

कुछ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह विभाग ऐसे व्यक्तियों और अधिकारियों के हवाले होना चाहिए जो अपनी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के लिए जाने पहचाने जाते हैं।

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