ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा है स्थाई राजधानी बनाने की दिशा में बड़ी शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का मुद्दा एक बार फिर चर्चाओं में
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। गैरसैंण में राजधानी बनाने संबंधी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही स्पष्ट कर दिया कि यह नीतिगत फैसला है और कोर्ट इसमें निर्देश जारी नहीं कर सकता। इससे गैरसैंण का मामला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया, लेकिन पहले ही इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से करारा झटका खा चुके विरोधियों के पास अब कुछ कहने को बाकी नहीं रहा। क्योंकि प्रदेश सरकार ने गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा के साथ ही यह संकेत भी दे दिए थे कि गैरसैंण स्थाई राजधानी भी बनेगा। ढांचागत विकास पर भारी बजट का खर्चा तथा कनेक्टिविटी बनाने संबंधी कार्य गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की दिशा में पहल ही तो है।
गैरसैंण में राजधानी की मांग उसी समय से उठ रही है, जबसे उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया। प्रदेश में राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को भुनाया जरूर पर सरकार बनने के बाद इस दिशा में कोई काम नहीं किया। त्रिवेंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल के तीसरे वर्ष में गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा कर दी। इस घोषणा का पूरे राज्य में स्वागत किया गया। घोषणा करते हुए बहुत भावुक हो गए त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके मंत्रिमंडल का स्थानीय निवासियों और राज्य निर्माण आंदोलनकारियों ने सम्मान किया।
गैरसैंण में राजधानी के लिए जरूरी अवस्थापनाओं पर प्रदेश सरकार ने काम शुरू कर दिए हैं। इसमें अभी तक 450 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया जा चुका है। हालांकि कोविड-19 संक्रमण की वजह बाधा खड़ी हुई है। सरकार ने पूरा एक्शन प्लान तैयार किया है और एक कमेटी भी बनाई है। वहीं राजधानी गैरसैंण तक रेलमार्ग की पहुंच पर भी काम चल रहा है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर कार्य प्रगति पर है। बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे भी हो रहा है। ऐसे में गैरसैंण तक सुविधाएं और संसाधनों की पहुंच आसान हो सकेगी।
वरिष्ठ आंदोलनकारी रविंद्र जुगराण का कहना है कि गैरसैंण राज्य निर्माण की अवधारणा पहाड़ की समस्याओं को दूर करने के लिए की गई है। पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए। तमाम पर्वतीय राज्यों की राजधानी पहाड़ में ही हैं। हर लिहाज से उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण में होनी चाहिए। यह नीतिगत मामला है और इसे राज्य सरकार को ही तय करना है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अजेंद्र अजय का कहना है कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना भाजपा सरकार का ऐतिहासिक फैसला है। सरकार ने राज्य आंदोलन के शहीदों और राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं को सम्मान किया है। गैरसैंण के विकास के लिए अवस्थापना विकास और रोड व रेलवे कनेक्टिविटी को लेकर योजनाएं शुरू की गई हैं। धीरे-धीरे गैरसैंण विकसित शहर होगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण का कार्य प्रगति पर है। बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे हो रहा है।
भाकपा नेता इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि गैरसैंण पहाड़ की जनाकांक्षाओं व भावनाओं का प्रतीक है। गैरसैंण को राजधानी घोषित किया जाना चाहिए।
गैरसैंण के मामले में कांग्रेस केवल राजनीति ही करती रही है। त्रिवेंद्र सरकार की ऐतिहासिक घोषणा के बाद कांग्रेस का कहना है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी से संतुष्ट नहीं है और सत्ता में आने पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाएंगे। जबकि कांग्रेस ने पूर्व में सत्ता होने पर गैरसैंण पर कोई फैसला नहीं लिया था। अब जब त्रिवेंद्र सरकार ने घोषणा कर दी तो कांग्रेस के पास इस मुद्दे पर बोलने के लिए कुछ बचा नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पूर्व में इस संबंध में कहा था कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित नहीं कर पाने का उन्हें मलाल रहेगा।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कहते हैं कि एक राज्य की दो राजधानियां नहीं हो सकती। भाजपा चाहती तो राजधानी की पहेली राज्य बनने के समय ही हल हो जाती। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने दो गलत फैसले किए। नैनीताल मे हाईकोर्ट और देहरादून को अस्थाई राजधानी बना दिया। सरकार को नीतिगत तौर पर स्थाई राजधानी के बारे में अपना मत स्पष्ट कर देना चाहिए।