गडकरी के ‘चिट्ठी बम’ से दहली उत्तराखंड विधानसभा, मंत्रियों तक के उड़े होश
एनएच घोटाले मामले में विपक्ष ने किया उत्तराखंड विधानसभा में जमकर हंगामा
देहरादून । गुरुवार को हुए विधानसभा सत्र में आखिरकार केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी का चिट्ठी बम फूट ही गया। उनकी चिट्ठी पर चर्चा कब बहस और आक्रोष में तब्दील हो गई यह खुद सभा में मौजूद मंत्री भी नहीं समझ पाए। मामला बढ़ा तो सीएम से लेकर मंत्रियों के भी होश उड़ गए।
जैसा कि पहले से तय था, विधानसभा सत्र का पहला दिन नेशनल हाईवे-74 के घोटाले के नाम रहा। सत्र आरंभ करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष अपनी कुर्सी पर आकर बैठे ही थे, कि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश नियम-310 के तहत एनएच-74 के संबंध में सरकार के जबाव देने को लेकर अड़ गईं।उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष ने एनएच-74 घोटाले की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग को लेकर सदन में जमकर हंगामा किया। विपक्ष ने वेल में आकर जमकर नारेबाजी की। विपक्ष का कहना था कि केंद्र सरकार इसकी सीबीआई जांच कराने को तैयार नहीं है। विपक्ष का कहना था कि इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा संघीय ढांचे पर हमला किया जा रहा है। केंद्र सरकार के एक मंत्री द्वारा इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र भेजकर धमकाया गया है।
पूर्वाहन 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश ने एनएच-74 के घोटाले को उठाते हुए इस पर सदन में नियम 310 के तहत चर्चा कराए जाने की मांग की। उनका कहना था कि यह एक गंभीर मामला है इसलिए सदन की सारी कार्यवाही को रोकते हुए इस मामले में नियम 310 के तहत चर्चा कराई जाए। इस पर विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने व्यवस्था दी कि प्रश्नकाल के बाद वे इस मामले को नियम 310 के तहत ग्राह्यता के आधार पर सुन लेंगे, लेकिन विपक्ष नहीं माना। विपक्ष ने केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की चिट्ठी सदन में लहराकर कहा कि इस मामले में केंद्र राज्य को सीधी धमकी दे रहा है, जो कि संघीय ढांचे पर हमला है। विपक्षी सदस्य वेल पर आ गए और हंगामा करने लगे। इस दौरान प्रश्नकाल चलने देने की मांग कर रहे भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल और कांग्रेस विधायक हरीश धामी आपस में भिड़ गए।
देशराज कर्णवाल का कहना था कि पहला और दूसरा तारांकित प्रश्न उनके हैं जो कि अनुसूचित जाति से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न हैं इसलिए उन्हें प्रश्नकाल में अपने प्रश्न उठाने दिया जाए। हंगामे को देखते हुए स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही पहले 15 मिनट के लिए और फिर पौने 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। 11.45 बजे दुबारा सदन की कार्यवाही शुरु होते ही विपक्ष ने फिर इस मामले पर नियम 310 के तहत चर्चा कराए जाने की मांग शुरु कर दी।
नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश, कांग्रेस विधानमंडल दल के उपनेता करन माहरा, गोविंद सिंह कुंजवाल, प्रीतम सिंह, काजी निजामुद्दीन, मनोज रावत का कहना था कि 500 करोड़ से अधिक के एनएच 74 घोटाले की सीबीआई जांच कराई जाए। उनका कहना था कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा इस मामले में एनएच के तीन आरोपी अधिकारियों को बचाया जा रहा है। तीनों अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है लेकिन उसके बावजूद उन्हें बचाया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि राज्य सरकार ने सीबीआई की जांच की संस्तुति की, लेकिन क्या एसडीएम स्तर का अधिकारी अकेले यह काम कर सकता हैं। हम सरकार की भ्रष्घ्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का समर्थन कर रहे है। इस मामले में सात अधिकारियों पर करवाई को चुकी है। एक को क्यों छोडा जा रहा है।केंद्रीय मंत्री सीधे तौर पर धमका रहे हैं। प्रोजेक्ट रोकने की धमकी दी जा रही है। डबल इंजन की सरकार इसका जवाब दे। भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल ने हाई कोर्ट में आकर एनएच अधिकारी की पैरवी की। इसका मतलब साफ है कि केंद्र सीबीआई की जांच नही चाहती। ऐसे में सरकार ये जवाब दे की क्या सीबीआई जांच होगी। कुमाऊं कमिश्नर का तबादला क्यो किया गया।
उनका कहना था कि खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस प्रकरण की सीबीआई से जांच कराए जाने की केंद्र सरकार से दो बार संस्तुति कर चुके हैं लेकिन केंद्र इसकी सीबीआई जांच नहीं कराना चाहता है। विपक्ष का यह भी कहना था कि एनएच 74 घोटाले को उजागर करने वाले कुमांऊ मंडल के तत्कालीन आयुक्त को राज्य सरकार द्वारा इस पद से हटा दिया गया है, आखिर इस ईमानदार अफसर का स्थानांतरण क्यों किया गया। विपक्षी सदस्यों और संसदीय कार्यमंत्री को सुनने के बाद स्पीकर ने एनएच घोटाले पर नियम 310 के तहत चर्चा कराए जाने की विपक्ष की मांग को अग्राही कर दिया। इस पर विपक्ष ने फिर हंगामा शुरु कर दिया। विपक्षी सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे।
एनएच घोटाले मामले में संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि इस मामले में छह अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं, जबकि एक अधिकारी और पकड़ में आया है। उनका कहना था कि उत्तराखंड में राज्य सरकार द्वारा अब तक 13 प्रकरणों में सीबीआई जांच की संस्तुति की लेकिन एक भी प्रकरण सीबीआई द्वारा टेकओवर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि एनएच घोटाले मामले की यदि सीबीआई जांच नहीं भी होती है तो राज्य सरकार इसकी अपने स्तर पर जांच कराएगी, दोषियों को दंडित किया जाएगा। इस मामले में कोई कितना बड़ा क्यों न हो उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
विधानसभा में हाथापाई और गाली गलौच पर उतरे विधायक
देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा सत्र के अंदर माहौल उस समय गरमा गया जब दो विधायक आपस में ही लड़ने लगे। वे लड़े ही नहीं बल्कि उन्होंने एक दूसरे से गाली गलौच भी की। इतना ही नहीं दोनों ने एक दूसरे को देख लेने की धमकी भी दे डाली। पढ़िए क्या हुआ विधानसभा में…
समय-ग्यारह बजकर 20 मिनट। स्थान-विधानसभा। एनएच-74 मामले में हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित है। स्पीकर, सीएम और कुछ एक मंत्रियों को छोड़कर बाकी सब मौजूद हैं।
नेता प्रतिपक्ष डा.इंदिरा ह्दयेश की भी मौजूदगी है। झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल जोर-जोर से बोलकर अपनी ओर सबका ध्यान खींच रहे हैं। दलित वर्ग से संबंधित एक सवाल वह प्रश्नकाल बाधित होने के कारण नहीं उठा पाए हैं।
वह विपक्ष पर दलित विरोधी होने का आरोप मढ़ रहे हैं। विपक्ष उनके अंदाज पर चुटकी ले रहा है। इस मामले में उनकी पार्टी के विधायक भी पीछे नहीं है। माहौल हल्का-फुल्का है। इस बीच, जौनसार क्षेत्र में मंदिरों में दलितों के प्रवेश को लेकर कर्णवाल की टिप्पणी सामने आ रही है।
निशाने पर जाने-अनजाने चकराता विधायक और पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह आ गए हैं। कांग्रेसी विधायक हरीश धामी अब कर्णवाल से मुखातिब होकर जोर जोर से चिल्लाने लगे हैं।
वह कर्णवाल के करीब पहुंच गए हैं और हाथ पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ और कांग्रेसी विधायक उनके साथ हैं और माहौल गर्म हो गया है। हो-हल्ला अब गूंज रहा है। एकाध सदस्य गाली भी दे रहे हैं।
स्थगित सदन में बृहस्पतिवार को जो कुछ हुआ, उससे सदन में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों के कुरूप चेहरों को सामने रखा है। यह मामला सदन की कार्रवाई का हिस्सा नहीं है, लेकिन सवाल जनप्रतिनिधियों के आचरण से जरूर जुड़ा है।
दरअसल, देशराज कर्णवाल की टिप्पणी के बाद जो माहौल स्थगित सदन में बना, उसने ये ही साबित किया है, कि संसदीय शिष्टाचार की तमाम सारी बातें अभी हमारे विधायकों को सीखनी बाकी है।
हरीश धामी के साथ ही रानीखेत विधायक करन माहरा और जसपुर विधायक आदेश चौहान के विरोध के तरीके पर उनकी पार्टी के लोग भी हतप्रभ दिखे। कांग्रेसी विधायकों को समझाने के लिए कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और अरविंद पांडेय को उनकी सीटों तक जाना पड़ा। नाराज झबरेड़ा विधायक ने बाद में विधानसभा गेट पर धरना भी दिया।