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MBBS फीस वृद्धि के रोक के निर्णय पर श्रेय लेने की शुरू हुई राजनीति !

देहरादून : एमबीबीएस फ़ीस वृद्धि के बाद देश भर में सरकार की किरकिरी होने के बाद एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ने फ़ीस वृद्धि तो वापस ले ली, लेकिन अब इसका श्रेय लूटने की होड़ मच गई है। एसजीआरआर प्रबंधन ने जहाँ आनन -फानन में फीस वृद्धि का फरमान अपने यहां अध्ययनरत छात्रों को सुना डाला वहीँ सूबे के अन्य मेडिकल कॉलेजों ने इसको लागू करने में इतनी जल्दबाज़ी नहीं दिखाई परिणाम यह हुआ कि एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज जहाँ छात्रों के निशाने पर आ गया वहीँ उसकी साख को तो नुक्सान पहुंचा है वहीँ सरकार को भी बैकपुट पर आना पड़ा। वहीँ अब यह बात भी सूबे में चर्चा का विषय बन गयी यही कि आखिर एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ने इसे लागू करने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों दिखाई।  हालाँकि अब एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज अब सरकार को फजीहत से बचाने के लिए फीस बढ़ाने के इस फैसले को अपना फ़ैसला बता रहा है।

वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्होंने विश्वविधायल पर दबाव डालकर छात्र हित में यह निर्णय करवाया है तो वहीँ  उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह भी अब इस विवाद में अब कूद गए हैं।उनका कहना है कि वे विश्वविद्यालय के खिलाफ जांच बैठा सकते हैं जबकि कांग्रेस का कहना है सरकार को मजबूरी में हमारे दबाव के बाद यह फैसला वापस लेना पड़ा है। 

गौरतलब हो कि राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ही फ़ीस निर्धारण के लिए ज़िम्मेदार विभाग होता है। लेकिन अब तक उच्च शिक्षा विभाग की चुप्पी संदेह के घेरे में यही कि क्या इतना बबाल होने के दौरान ही शिक्षा विभाग क्यों नहीं चेता और जब इस मामले में बयानबाजी हो रही थी तब उसका जवाब क्यों नहीं आया। हालाँकि राज्य में उच्च शिक्षा की ज़िम्मेदारी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत के पास है और उन्होंने भी बीते दिन मुख्यमंत्री का बयान आने के बाद ही अपनी चुप्पी तोड़ी।

वहीँ अपने बयान में धन सिंह रावत ने फ़ीस वृद्धि के पूरे प्रकरण के लिए एजीआरआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को दोषी ठहराते हुए कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए थी। धन सिंह रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि फ़ीस कमेटी फ़ीस का निर्धारण करेगी। हालांकि इस आदेश में भी निजी विश्वविद्यालयों को लेकर स्पष्ट निर्णय नहीं था।

बकौल धनसिंह निजी विश्ववविद्यालयों को फ़ीस वृद्धि से पहले सरकार से पूछना चाहिए था और छात्रों, अभिभावकों से भी बात करने किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए था। धन सिंह रावत ने कहा कि अगर छात्र और उनके अभिभावक उनके पास आते हैं तो वह विश्वविद्यालय के ख़िलाफ़ जांच बैठा सकते हैं।हालाँकि धन सिंह रावत की खामोशी संदेह पैदा करती है कि कैबिनेट ने ही बीते हफ़्ते यह फ़ैसला किया था कि निजी विश्वविद्यालय फ़ीस बढ़ा सकते हैं। वह इस बात पर भी कहीं भी कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं।

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