अटल बिहारी वाजपेई जी भारत की एक ऐसी शख्सियत थे जिनकी पहचान राष्ट्र के प्रतीक चिन्ह राष्ट्रध्वज,राष्ट्रगान या राष्ट्रचिन्ह जैसे अमर चिन्हों के रुप में हमेशा होती रहेगी।……
कमल किशोर डुकलान
हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं मानूंगा!
काल के कपाल पर,
लिखता-मिटाता हूं!
गीत नया गाता हूं,
गीत नया गाता हूं!!
रार नहीं मानूंगा!
काल के कपाल पर,
लिखता-मिटाता हूं!
गीत नया गाता हूं,
गीत नया गाता हूं!!
जन्मदिन के अवसर पर मैं बात कर रहा हूं भारत रत्न व देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की जिनके असंख्य चहेते हैं,जिनकी प्रसिद्धि राजनीति की खुरदरी जमीन से लेकर कविता की मखमली फर्श तक फैली है। जिनकी चुटकी,ठहराव,शब्द और जिसके बोलने की कला का पूरा देश आज भी लोहा मानता है।उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है।
अटल बिहारी वाजपेई जी एक ऐसे राजनेता थे जिसका सभी राजनीतिक दल सम्मान करते थे।यही नहीं अटल जी एक ऐसे प्रखर वक्ता थे। जो भारतीय संसद में जब भी अगर किसी विषय पर बोलते थे तो पक्ष क्या,विपक्ष क्या पूरा सदन शांत होकर उनकी बात सुनता था।अटल बिहारी बाजपेयी जी का आज 96वॉ जन्मदिन है। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में आगे की बात करने से पहले वाजपेयी जी को जन्मदिन के अवसर पर की हार्दिक बधाई देते हुए मैं अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।
अटल बिहारी बाजपेयी जी का जन्म 25 दिसम्बर सन् 1924 में हुआ था। वे भारत की एक ऐसी शख्सियत थे जिन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है।जिस प्रकार राष्ट्र के प्रतीक चिन्ह राष्ट्रध्वज,राष्ट्रगान या राष्ट्रचिन्ह किसी देश की पहचान कराते हैं,वैसी ही पहचान देश में कुछ ही व्यक्तित्वों की होती है।जो राष्ट्र के पर्याय और पहचान बन जाते हैं। उनमें से श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जी भी देश की प्रमुख शख्सीयतों में से एक हैं।
अटल बिहारी बाजपेयी जी का जन्म 25 दिसम्बर सन् 1924 में हुआ था। वे भारत की एक ऐसी शख्सियत थे जिन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है।जिस प्रकार राष्ट्र के प्रतीक चिन्ह राष्ट्रध्वज,राष्ट्रगान या राष्ट्रचिन्ह किसी देश की पहचान कराते हैं,वैसी ही पहचान देश में कुछ ही व्यक्तित्वों की होती है।जो राष्ट्र के पर्याय और पहचान बन जाते हैं। उनमें से श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जी भी देश की प्रमुख शख्सीयतों में से एक हैं।
अटल बिहारी वाजपेई जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता से लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक राजनीति को एक नये रुप में परिभाषित किया।उनकी विनम्रता की मिसाल देते हुये विरोधी दल के लोग भी अटल जी को कहते थे अटल जी तो अच्छे हैं लेकिन वे सही पार्टी में नहीं है।
अटल बिहारी बाजपेई जी का राष्ट्र भाषा हिन्दी से प्रेम अतुलनीय रहा। उन्हें जब भी मौका मिला,उन्होंने हिन्दी का मान बढ़ाया उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी जो उन्हें दूसरों से अलग करती थी। अटल जी का कविता प्रेम एवं जीवन और देश प्रेम पर आधारित कालजयी रचनाओं के अलावा उन्होंने अगर किसी विषय पर सबसे अधिक लिखा तो वह ‘मौत’ ही था। जो उनके निधन के बाद सबसे ज्यादा चर्चा ‘मौत से ठन गई’ नामक कविता का रहा।
अटल बिहारी वाजपेई जी सोच, स्वभाव,रहन-सहन व पहनावे से संपूर्ण भारतीय रहे।वे हमेशा उदार रहे,उनमें कट्टरता नहीं रही। उनमें हमेशा साहस,प्रबंधन,समन्वय और संयोजन की शक्ति बनी रही। ऎसा नहीं है कि वे हमेशा धीर-गंभीर रहे बल्कि हंसी-मजाक में भी वे कभी पीछे नहीं रहे।उनकी गिनती हमेशा स्पष्टवादी नेताओं में हुई।
अटल बिहारी वाजपेई जी सोच, स्वभाव,रहन-सहन व पहनावे से संपूर्ण भारतीय रहे।वे हमेशा उदार रहे,उनमें कट्टरता नहीं रही। उनमें हमेशा साहस,प्रबंधन,समन्वय और संयोजन की शक्ति बनी रही। ऎसा नहीं है कि वे हमेशा धीर-गंभीर रहे बल्कि हंसी-मजाक में भी वे कभी पीछे नहीं रहे।उनकी गिनती हमेशा स्पष्टवादी नेताओं में हुई।