DEHRADUN

पूर्व कांग्रेसी ही कांग्रेस को दे रहा टक्कर !

‘हाट’ बनी सहसपुर विस सीट पर बेहद दिलचस्प होगा सियासी मुकाबला

कांग्रेस-भाजपा दोनों की साख लगी दांव पर

कांग्रेसी रहे आर्य़ेंद्र की चाल ने विपक्षियों को चौंकाया

भाजपा को भी लक्ष्मी अग्रवाल से मिल रही चुनौती

देहरादून। सहसपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के मैदान में उतरने से सियासी लोगों की निगाहें यहां जमीं हैं। यहां कांग्रेस की प्रतिष्ठा पूरी तरह से दांव पर है तो भाजपा के सामने इस सीट को बचाने की चुनौती है। भाजपा को भी यहां बगावत झेलनी पड़ रही है तो कांग्रेसी रहे आर्येंद्र शर्मा की चाल ने सभी विपक्षियों की पेशानी पर बल डाल दिए हैं।

2012 में यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के सहदेव पुंडीर और कांग्रेस के आर्येंद्र शर्मा के बीच रहा था। कांग्रेस के एक बागी गुलजार की वजह से आर्य़ेंद्र सहदेव से चुनाव हार गए थे। भाजपा प्रत्याशी को भी लक्ष्मी अग्रवाल की वजह से नुकसान हुआ था। इस बार कांग्रेस ने आर्येंद्र का टिकट काटकर अपने प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को मैदान में उतारा है। इसी वजह से यह सीट बेहद हाट मानी जा रही है।

इस बार भी भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी सहदेव पर ही दांव खेला है। टिकट न मिलने से नाराज लक्ष्मी अग्रवाल एक बार फिर से बगावती तेवर अपनाकर बतौर निर्दलीय मैदान में हैं। भाजपा के निश्चित रूप से इसका नुकसान होने की बात सियासी गलियारों में की जा रही है। दूसरी तरफ पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर लड़ने वाले आर्येंद्र निर्दलीय मैदान में हैं। इस बार आर्येद्र की चाल बेहद तेज है। पिछला चुनाव हारने के बाद भी आर्येंद्र इस क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे। कांग्रेस सरकार में अपनी पकड़ के चलते उन्होंने इस क्षेत्र में तमाम विकास कार्य रहे। शायद यही वजह रही कि उनका टिकट कटने की जानकारी होते ही क्षेत्र में उनके समर्थकों और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश फैल गया। यह आक्रोश प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ के रूप में सामने आया। उसके बाद ही कांग्रेस के ऱणनीतिकारों की समझ में आया कि टिकट काटना सही नहीं रहा। सीएम हरदा और किशोर के साथ ही केंद्रीय नेता भी आर्येंद्र के घर गए और समझाने की कोशिश की। लेकिन समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने आर्येंद्र से किसी तरह का समझौता न करने का दबाव बना दिया तो उन्होंने चुनावी समर में कूदने की हां कर दी।

यूं तो क्षेत्र में किशोर, सहदेव और लक्ष्मी अग्रवाल की ओर से भी प्रचार चल रहा है। लेकिन आर्येंद्र की चाल बेहद तेज है। नामांकन जूलूस में उमड़ी भीड़ से चौकन्ने हो गए विपक्षी नेता अब और भी सतर्क हो गए हैं। आर्येंद्र डोर टू डोर खुद लोगों से मिल रहे हैं तो कार्यकर्ताओं को समर्थकों की टीम अपने तरीके से लोगों को समझाने की कोशिश कर रही है कि किस साजिश के तहत आर्येंद्र का टिकट कांग्रेस के बड़े लोगों ने कटवाया। आर्येंद्र की ओर से क्षेत्र में कराए गए तमाम विकास कार्य लोगों को बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि विधायक न होने के बाद भी उन्होंने इतना काम किया है तो विधायक बनने के बात क्षेत्र में किसी तरह भी किसी तरह के विकास काम में देरी नहीं होगी।

बहरहाल, सहसपुर की जनता का क्या फैसला होगा, यह तो 11 मार्च की सुबह ही सामने आएगा। लेकिन अभी साफ दिख रहा है कि इस सीट पर चुनाव बेहद दिलचस्प अंदाज में आगे बढ़ रहा है। मतदान के रोज तक इस सीट पर अभी कई और नए सीन देखने को मिल सकते हैं।

 

 

 

 

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