DEHRADUNUTTARAKHAND
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने किया आईआईआरएस परिसर में वृक्षारोपण
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान की गतिविधियों की ली जानकारी
कार्बन को रोकने में पीपल, बरगद और इसकी प्रजातियों का बड़ा योगदानः इसरो
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के परिसर का भ्रमण किया। इस दौरान संस्थान के निदेशक डा. प्रकाश चौहान ने संस्थान की गतिविधियों की जानकारी दी। श्री त्रिवेंद्र ने संस्थान के निदेशक के साथ परिसर में पीपल, बरगद और इसकी प्रजाति के पौधे भी रोपे।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज कालीदास रोड स्थित भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान पहुंचे। संस्थान के निदेशक और उनकी टीम ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। इसके बाद संस्थान की टीम ने निदेशक डा. चौहान की मौजूदगी में संस्थान की सैटेलाइट इमेज के माध्यम से किए जा रहे कार्यों और समाज के हित में एकत्र किए जा रहे डाटा की जानकारी साझा की। पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने बताया कि इस साल उन्होंने एक लाख पीपल, बरगद और इसकी प्रजातियों के वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा है। प्रदेश के विभिन्न भागों में करीब 65 हजार से ज्यादा वृक्ष रोपित किए जा चुके हैं। समाज के हर वर्ग का भी सहयोग इस कार्य में मिल रहा है। जनता के सहयोग से उनका यह अभियान अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
संस्थान के निदेशक ने इसरो की गतिविधियों की जानकारी देते हुए पीपल, बरगद और इसकी प्रजातियों के वृक्षारोपण के अभियान की सराहना करते हुए श्री त्रिवेंद्र जी को बधाई भी दी और बताया कि पीपल और बरगद में कार्बन उत्सर्जन को सोखने की शक्ति सबसे ज्यादा है। संस्थान इस दिशा में मैपिंग का कार्य भी कर रहा है। डा. चौहान ने ही चंद्रमा में पहली बार पानी के कणों का पता लगाने में कामयाबी हासिल की थी। संस्थान ने कोरोना काल में एक लाख से अधिक युवा वैज्ञानिकों को आन लाइन कक्षाओं के जरिए कई कोर्सेज पढ़ाए। इसमें उत्तराखंड के साथ ही देश और विदेश के युवाओं ने भी आन लाइन कोर्सेज में प्रतिभाग किया। उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के विभिन्न जन कल्याणकारी प्रोजेक्ट्स पर भी संस्थान कार्य कर रहा है। इसी साल फरवरी में चमोली के तपोवन रैणी की आपदा के बाद राज्य सरकार की ओर से संस्थान को हिमालय के सभी ग्लेशियरों की मानिटरिगं की जिम्मेदारी भी दी गई है। इस मौके पर उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डा. महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट समेत संस्थान के वैज्ञानिक मौजूद रहे।