प्रदेश के पांच नगर निगम एवं नगर पालिका का नगर वन योजना में हुआ चयन
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । भारत सरकार द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर नगर वन योजना (सिटी फारेस्ट) का संचालन करने की घोषणा के अंतर्गत उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पहले ही देहरादून में आनन्द वन (सिटी फारेस्ट) की स्थापना की जा चुकी है। इतना ही नहीं इस योजना के तहत प्रदेश में पांच नगर निगम एवं नगर पालिका को नगर वन योजना में चयनित कर लिया गया है। लेकिन कोविड-19 के कारण इनका उद्धघाटन नहीं किया जा सका है।
यह जानकारी उत्तराखंड के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मत्रांलय भारत सरकार की अध्यक्षता में विडियों कॉन्फ्रेंसिंग के दौरना उत्तराखण्ड प्रदेश की ओर से प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत द्वारा दी गई ।
वन मंत्री डॉ. रावत द्वारा भारत सरकार से उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में नगर वन हेतु न्यूनतम 10 हेक्टेयर भूमि की बाध्यता को कम कर 5 हेक्टेयर तक किये जाने का अनुरोध किया गया। वहीं साथ ही नगर वन स्थापना हेतु चार लाख प्रति वन की धनराशि को पर्वतीय क्षेत्रों में बढाने की भी मांग की है।
उन्होंने कहा स्कूल नर्सरी योजना के अन्तर्गत प्रदेश में 100 स्कूलों का चयन किया जाना है। वर्तमान में कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही गतिमान है।
उन्होंने कहा 20 सूत्रीय कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य को 30769हेक्टेयर भूमि पर 200 लाख पौधे रोपित करने का लक्ष्य रक्षा गया है, जो गत वर्ष की तुलना में 45.96 प्रतिशत अधिक है। मंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि प्रदेश का 71 प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित है, इसलिए भारत सरकार से आवंटित लक्ष्य को संशोधित करते हुए 20 हजार किये जाने पर विचार किया जाए।
उन्होंने कहा नदियों का पुर्नजीवन हेतु चिन्हित 13 नदियों में उत्तराखण्ड के अन्तर्गत यमुना नदी भी हैं, जबकि गंगा नदी पूर्व से ही आच्छादित है। इनके पुर्नजीवन हेतु डी.पी.आर. आई.सी.एफ.आर.ई. द्वारा तैयार की जा रही है। साथ ही शिप्रा, रिस्पना, खोह, मालन, नयार तथा कोसी में उद्गम स्थल से ही कैम्पा फंड से नदियों के पुर्नजीवन पर कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने भारत सरकार द्वारा ट्रांजिट पोर्टल जारी करने पर भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ट्रांजिट पोर्टल पर किसान अपने भूमि पर वृक्षों के उत्पादन को बाजारों में विक्रय कर सकते हैं। इस हेतु प्रदेश सरकार द्वारा 10 हेक्टेयर से कम भूमि को डीम्ड फाॅरेस्ट से बाहर करने का निर्णय लिया गया था, जिस पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गयी थी। जिस पर वन मंत्री ने केंद्र सरकार से प्रदेश में वन अधिनियम, 1995 को लागू करने का अनुरोध किया गया।